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BSEB Class 7 Hindi Kislay Chapter 19 आर्यभट Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 7th Hindi Kislay Chapter 19 आर्यभट Book Answers |
Bihar Board Class 7th Hindi Kislay Chapter 19 आर्यभट Textbooks Solutions PDF
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Board | BSEB |
Materials | Textbook Solutions/Guide |
Format | DOC/PDF |
Class | 7th |
Subject | Hindi Kislay Chapter 19 आर्यभट |
Chapters | All |
Provider | Hsslive |
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BSEB Class 7th Hindi Kislay Chapter 19 आर्यभट Textbooks Solutions with Answer PDF Download
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पाठ से –
प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों में सही के सामने सही (✓) का और गलत के सामने गलत (☓) का निशान लगाइए।
प्रश्नोत्तर –
(i) आर्यभट्ट एक प्रसिद्ध किसान थे। (☓)
(ii) वे पाटलीपुत्र के रहने वाले थे। (☓)
(iii) आर्यभट्ट भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने कहा था कि पृथ्वी अपनी धूरी पर चक्कर लगाती है। (✓)
(iv) चाँद के प्रकट होने तथा पूरा गायब होने के मध्य एक निश्चित अवधि होती है। (✓)
प्रश्न 2.
आर्यभट्ट ने कौन-कौन-सी खोज की?
उत्तर:
आर्यभट्ट एक महान खगोलविद्, महान गणितज्ञ एवं ज्योतिष सम्राट के रूप में जाने जाते हैं।
उन्होंने निम्नलिखित खोज की।
(i) पृथ्वी गोल है।
(ii) पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमती है।
(iii) सूर्य स्थिर है।
(iv) राशियाँ 12 हैं।
(v) पृथ्वी की छाया चन्द्रमा पर पड़ने से चन्द्रग्रहण होता है।
(vi) चन्द्रमा के लोप होने की अवधि होती है।
(vii) रवि मार्ग पर सभी नक्षत्र भ्रमण करते हैं।
(viii) वृत्त की परिधि जानने का तरीका इत्यादि !
प्रश्न 3.
अन्धविश्वास से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
परम्परा को मानना, वैज्ञानिक सम्मत नहीं होना फिर भी उसे मानना अन्धविश्वास कहलाता है। जैसे—इस वैज्ञानिक युग में भी हम मरे हुए को भृत कहकर पुकारते हैं। वह मनुष्य को तंग करता है ऐसा जानते हैं। यह एक भयंकर अन्धविश्वास का उदाहरण है।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।
(क) आर्यभट्ट का सूर्यग्रहण एवं चन्द्रग्रहण के विषय में क्या मानना था?
उत्तर:
आर्यभट्ट का मानना था कि जब चन्द्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है तो सूर्यग्रहण और जब पृथ्वी की छाया चन्द्रमा पर पड़ती है तो चन्द्रग्रहण होता है।
(ख) “आर्य भट्टीयम्” किन विषयों पर लिखा ग्रन्थ है ?
उत्तर:
“आर्य भट्टीयम्” खगोली ज्ञान, गणित और ज्योतिषीय ज्ञान पर साधारित ग्रन्थ है।
(ग) रवि मार्ग किसे कहते हैं ?
उत्तर:
आकाशीय पिण्ड सूर्य की परिक्रमा करते हैं, जिस मार्ग से आकाशीय पिण्ड परिक्रमा करते हैं उसे “रवि मार्ग” कहते हैं।
(घ) आर्यभट्ट ने जब “आर्यभट्टीयम्” की रचना की उस समय उनकी उम्र क्या थी?
उत्तर:
मात्र तैइस वर्ष की उम्र में आर्यभट्ट ने आर्यभट्टीयम् की रचना की।
व्याकरण –
(क) विज्ञान + इक = वैज्ञानिक। इसी तरह “इक” प्रत्यय जोड़कर अन्य कुछ शब्दों का निर्माण कीजिए।
उत्तर:
दर्शन + इक = दार्शनिक।
साहित्य + इक = साहित्यिक ।
साहस + इक = साहसिक।
परम्परा + इक = पारम्परिक ।
भूगोल + इक = भौगोलिक।
शब्द + इक = शाब्दिक इत्यादि ।
(ख) निम्नलिखित शब्दों से वाक्य बनाइए-
उत्तर:
उपग्रह–उपग्रह बड़े ग्रहों की परिक्रमा करते हैं।
उद्योग – उद्योग-धन्धे को बढ़ावा देना चाहिए।
भौगोलिक – भौगोलिक स्थिति का ज्ञान भूगोल में मिलता है।
नैतिक – हमारे नैतिक कर्म समय पर होना चाहिए।
पृथ्वी – पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमती है।
(ग) निम्नलिखित शब्दों को अ और आ के उच्चारण में अंतर पर ध्यान देते हुए बोलिए-
उत्तर:
कुछ करने को
प्रश्न 1.
संध्या समय आकाश में सूर्य को देखते हुए सूर्यास्त का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
संध्या समय सूर्य पश्चिम की ओर आकाश में दिखता है। अस्त से पूर्व सूर्य लाल रंग का दिखाई पड़ता है। आकाश के बादल भी लाल सिन्दुरिया रंग के दिखते हैं पेड़-पौधे पर सूर्य की लाल किरणें पड़ने से लालिमायुक्त दिखते हैं।
धीरे-धीरे सूर्यास्त हो जाता है।
प्रश्न 2.
कुछ धर्मग्रन्थों का मानना है कि पृथ्वी स्थिर एवं सूर्य सहित बाकी ग्रह उसके चारों ओर घूमते हैं, जबकि वैज्ञानिकों का मानना है कि सूर्य स्थित है एवं पृथ्वी सहित बाकी ग्रह उसके चारों ओर घूमते हैं । इन दोनों बातों में से आप किसे सही मानते हैं और क्यों?
उत्तर:
वैज्ञानिकों के मत से हम असहमत हैं क्योंकि सूर्य घूमता तो सभी आकाशीय पिण्ड (ग्रह) पर. पृथ्वी के समान ही शीत-गर्मी होता । सर्य से जितनी दूरी पर जो ग्रह या उपग्रह हैं वे उतने ही सूर्य की गर्मी से प्रभावित हैं।
प्रश्न 3.
आर्यभट्ट ने कई जटिल सवालों का हल खोजा। क्या आप बता सकते हैं कि पानी को उबालने पर वह नीचे नहीं गिरता। लेकिन दूध उफान लेकर नीचे गिर जाता है। क्यों? उत्तर:
दूध पानी की अपेक्षा गाढ़ा द्रव पदार्थ है जब दूध को उबाला जाता है तो उसके गाढ़ा तत्व गर्म होकर. ऊपर आकर परत बना लेता है। वह परत गर्म होकर ऊपर की ओर उठने लगता है और अंत में गिरने लगता है जो पानी में नहीं होता।
आर्यभट Summary in Hindi
सारांश – भारत के प्रथम और महान खगोलविद् महान गणितज्ञ तथा महान ज्योतिषी के रूप में अपना स्थान बनाने वाले आर्यभट्ट का जन्म 476 ई. में गोदावरी और नर्मदा नदी के बीच अश्मक प्रदेश में हुआ था।
वे अपने नये विचारों का प्रचार कर लोगों में व्याप्त खगोल सम्बन्धित अन्धविश्वास को दूर करने एवं उत्तर भारत के ज्योतिषियों के विचारों का अध्ययन करने हेतु पटना आये थे। पटना से थोड़ी दूर पर उनकी वेधशाला थी जहाँ ताँबे, पीतल और लकड़ी के तरह-तरह के यंत्र रखे थे।
ज्योतिष सम्राट आर्यभट्ट स्वतंत्र विचार के थे। उन्होंने पुराने विचारों का खंडन कर अपना नये विचार की स्थापना करने के लिए “आर्य मट्टीयम्” नामक श्रेष्ठ ग्रन्थ मात्र 23 वर्ष की आयु में लिखा । पहले लोग जानते थे कि पृथ्वी स्थिर तथा सूर्य आदि ग्रह घूमते हैं। परन्तु आर्यभट्ट ने लिखा कि पृथ्वी घूमती है, सूर्य स्थिर रहता है। अन्य ग्रह सूर्य के चारों ओर परिक्रमा लगा है। जिस मार्ग पर सभी नक्षत्र गमन करते हैं उसे “रविमार्ग” कहते हैं।
आर्यभट्ट का आर्यभट्टीयम् मात्र 242 पंक्तियों एवं इक्कीस श्लोक में सिमटा हुआ है। उन्होंने चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण की प्राचीन अन्धविश्वासों का भी खण्डन करते हुए कहा कि जब पृथ्वी की छाया चन्द्रमा पर पड़ती है तो चन्द्रग्रहण तथा जब चन्द्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है तो सूर्यग्रहण होता है।
“आर्यभट्टीयम्” पूर्णतः विज्ञान पर आधारित ग्रन्थ है। इसमें शून्य की उपयोगिता पर विशेष रूप से चर्चा की गई है जो आज कम्प्यूटर के लिए बहुत महत्वदायक है। आर्यभट्ट ने अंकगणित, बीजगणित, रेखागणित और ज्यामिति क्षेत्रों में भी अपनी प्रतिभा का अनुपम प्रदर्शन किया। सबसे पहले उन्होंने ही बताया कि वृत्त का व्यास यदि मालूम हो तो परिधि निकालना सरल है। उनके ज्ञान का प्रचार यूनानी गणितज्ञों ने यूरोप में भी किया। आज विद्यालय में रेखा गणित को यूनानी गणितज्ञ यूक्लिड की ज्यामिति पर आधारित माना जाता है लेकिन इसकी जड़ “आर्यभट्टीयम्” में देखा जा सकता है।
आर्यभट्ट में वैज्ञानिकों को खोज के लिए नया रास्ता दिया ।
वेद-पुराण उपनिपद् और स्मृतियों में स्थापित परम्परा का विरोध कर सही विचार देकर उन्होंने अपने साहस का परिचय दिया जिसके कारण उन्हें क्रांति पुरुष के नाम से भी जाना जाता है।
भारत को ज्ञान में अग्रणी स्थापित करने वाले उस महान विभूति को आसमान में स्थापित करने के लिए भारत ने अपना पहला कृत्रिम उपग्रह का नाम “आर्यभट्ट” रखा।
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