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BSEB Class 7 Hindi रचना पत्र-लेखन Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 7th Hindi रचना पत्र-लेखन Book Answers |
Bihar Board Class 7th Hindi रचना पत्र-लेखन Textbooks Solutions PDF
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Board | BSEB |
Materials | Textbook Solutions/Guide |
Format | DOC/PDF |
Class | 7th |
Subject | Hindi रचना पत्र-लेखन |
Chapters | All |
Provider | Hsslive |
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BSEB Class 7th Hindi रचना पत्र-लेखन Textbooks Solutions with Answer PDF Download
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छोटे भाई को पत्र
चिरंजीवी विकास,
मोतिहारी
12.4.2012
आशीर्वाद ।
तुम्हारा पत्र मिला । पढ़कर प्रसन्नता हुई और सारी बातों की जानकारी भी । तुमने अपनी कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया है, हम सब के लिए गर्व की बात है। अब तो तुम्हें और भी अधिक मेहनत करनी चाहिए, जिससे भविष्य में अधिक अंक प्राप्त कर सको । तुम्हारी भाभी तुम्हें बहुत याद करती हैं। वह तुम्हारे लिए एक सुन्दर स्वेटर बुन रही हैं । पूरा हो जाने पर पार्सल द्वारा भेजेंगी। शेष कुशल है । पूज्य पिताजी और माताजी को मेरा प्रणाम ।
पता ……………………
……………………
तुम्हारा हितैषी
सरोज कुमार
मित्र को पत्र
प्रिय मित्र संजीव,
पटना
8.4.2012
नमस्ते ।
बहुत दिनों से तुम्हारा कोई समाचार प्राप्त नहीं हो सका । क्या, बात है ? हमसे नाराज हो क्या ? अगर मुझसे कोई भूल हो गई हो तो क्षमा करना और शीघ्र ही पत्र का उत्तर देना । माताजी तुम्हें बहुत याद करती हैं । मैं गर्मी की छुट्टी में बरौनी आ रहा हूँ । शेष कुशल है । अपने पिताजी और माताजी को मेरा प्रणाम कहना, राजू और सीमा को स्नेह ।
पता :
तुम्हारा मित्र
चुन्नू
बड़ी बहन को पत्र
आदणीय बहन जी,
सादर प्रणाम ।
छपरा
9.2.2012
मैं कुशल से हूँ और आपकी कुशलता के लिए सदैव ईश्वर से प्रार्थना करती हूँ । बहुत दिनों से आपका कोई समाचार नहीं मिला । क्या आप यहाँ से जाकर, हमें भूल गईं । हमलोगों को तो हर समय आपकी हो याद आती है । माता जी तो आपको याद करके कभी-कभी रोने लगती हैं । सच दीदी, जब से आप गई हैं, सारा घर सूना-सूना लगता है । गोपाल तो हर समय आपको खोजता रहता है ।
अब राखी को त्योहार आ रहा है | क्या अच्छा होता कि आप यहाँ होती। हम सब मिलकर भैया को राखी बाँधती । दीदी, राखी के अवसर पर आने की कोशिश कीजिएगा । माँ आपको बुलाने भैया को भेजेंगी । शेष कुशल है । जीजा जी प्रणाम बोलिएगा ।
पता :
उत्तर की प्रतीक्षा में
आपकी छोटी बहन
सोनिया
बीमारी की छुट्टी के लिए प्रधानाध्यापक को प्रार्थना-पत्र
सेवा में.
श्रीमान् प्रधानाध्यापक महोदय,
गाँधी संस्थान,
आरा
आदरणीय महोदय,
सेवा में सविनय नम्र निवेदन है कि मैं कल रात से बुखार से पीड़ित हूँ। इसलिए मैं आज विद्यालय में उपस्थित नहीं हो सकूँगा ।
अतः आपसे प्रार्थना है कि मुझे तीन दिनों की छुट्टी प्रदान करने की कृपा करें।
दिनांक : 4.3.2012
आपका आज्ञाकारी छात्र
सुभाष कुमार
कक्षा-8
विवाह के कारण छुट्टी के लिए प्रार्थना-पत्र
सेवा में,
प्रधानाचार्य,
शिशु विद्यालाय, पूर्णिया
आदरणीय महोदय,
सविनय नम्र निवेदन है कि मेरी बहन का शुभ विवाह 20 दिसम्बर को होने जा रहा है । इसलिए मैं एक सप्ताह विद्यालाय नहीं आ सकूँगी ।
अतः आपसे सादर अनुरोध है कि मुझे 28 दिसम्बर तक की छुट्टी देने की कृपा करें।
दिनांक : 8.1.2012
आपकी आज्ञाकारिणी शिष्या
सुनयना
पिता का पत्र पुत्र के नाम
प्रिय महानन्द,
पटना
10 मार्च, 2012
आशीर्वाद ।
यहाँ सभी आनन्द और प्रसन्न हैं ! आशा है कि तुम भी विद्याध्ययन में संलग्न होगे । पिछले पत्र में तुमने बुखार हो जाने की बात लिखी थी । छात्रों के लिए यह एक बुरी बीमारी है, जो कि संयम के अभाव में होती है। समय पर अपने सभी कार्यों को करनेवाले छात्र सदा स्वस्थ रहते हैं । तुम्हारे स्वस्थ रहने पर ही अच्छी पढ़ाई हो सकेगी, क्योंकि स स्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है । अतः समय की पाबंदी रखो और सुबह उठकर व्यायाम करो । इससे तुम्हारा शरीर स्वस्थ होगा और मन भी प्रसन्न रहेगा । तुम्हारा स्वेटर व सामान डाक से भेज रहा हूँ। मिलने की सूचना देना । विशेष शुभ ।
पता :
तुम्हारा पिता
रामदेव मिश्र
महानन्द कुमार
शिशु ज्ञान मंदिर,
मधुबनी
पिता को पत्र
पूज्यवर पिताजी,
बेगूसराय
5.4.2012
सादर चरण-स्पर्श ।
मैं यहाँ कुशलपूर्वक हूँ और आशा करता हूँ कि आपलोग भी सकुशल होंगे । आज मेरी वार्षिक का परीक्षाफल प्राप्त हुआ है । यह जानकर आपको खुशी होगी कि मैंने कक्षा में सर्वप्रथम स्थान प्राप्त किया है । पिताजी, यह आपके चरणों का प्रताप और माताजी के आशीर्वाद का फल है।
हमारे सभी अध्यापक बड़े स्नेह से पढ़ाते हैं। आगे परीक्षा में भी मुझे ऐसी ही आशा है । चाचा कचाची दोनों मेरा बड़ा ध्यान रखते हैं । माता जी की याद मुझे कभी-कभी बेचैन कर देती है । उनको मेरा प्रणाम, और लता को मेरा प्यार कहिएगा ।
पता :
आपका आज्ञाकारी पुत्र
रोहन कुमार
निर्धन-छात्रकोष से सहायता हेतु प्रधानाध्यापक
को आवेदन-पत्र
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाध्यापक महोदय,
राजकीय मध्य विद्यालय, पटना
मान्यवर,
सेवा मे नम्र निवेदन है कि मैं बहुत गरीब छात्र हूँ। मेरे पिताज़ी मजदूरी करके किसी तरह परिवार का पालन करते हैं । हमलोगों के पास पैतृक सम्पत्ति नहीं है । धनाभाव के कारण पिताजी मेरे लिए किताबें नहीं खरीद सकते हैं। मेरी पढ़ने की उत्कट इच्छा है । इसके लिए आप-जैसे कृपालु महानुभव की सहायता की अपेक्षा करता हूँ।
अतः श्रीमान् से प्रार्थना है कि मूझे निर्धन-छात्रकोष से किताबें खरीदने . के लिए उचित रकम प्रदान कर कृतार्थ करें। इस कार्य के लिए मैं सदा आपका आभारी बना रहूँगा ।
दिनांक :
24.1.2012
आपका आज्ञाकारी छात्र
विपिन ठाकुर
आर्थिक दण्ड माफ करने के लिए आवेदन-पत्र
श्रीमान् प्राचार्य महोदय,
उच्च विद्यालय, सीतामढ़ी
महाशय,
सेवा में निवेदन है कि कल दिनांक 8.4.2012 को भूल से वर्ग के शीशे का एक ग्लास मुझसे टूट गया । मैं पानी पीने ग्लास लेकर नल के पास गया । ___ हाथ से गिर जाने के कारण ग्लास टूट गया । वर्गशिक्षक महोदय ने इस गलती के लिए मुझ पर आठ रुपये का आर्थिक दण्ड लगाया है । मैं एक गरीब छात्र हूँ। मेरे पिताजी दण्ड की रकम देने में असमर्थ हैं।
अतः श्रीमान् से प्रार्थना है कि उपर्युक्त दण्ड माफ करने की कृपा की . जाय । मैं इस प्रकार की गलती फिर कभी नहीं करने का वचन देता हूँ।
दिनांक :9-4-2012
आपका आज्ञाकारी छात्र
आलोक कुमार
वर्ग : दशम
दहेज-प्रथा के विरुद्ध जनमत तैयार करने के लिए संपादक को पत्र
सेवा में,
संपादक महोदय,
दैनिक जागरण,
पटना।
विषय-दहेज : एक कुप्रथा
मान्यवर,
आपके लोकप्रिय समाचार-पत्र ‘दैनिक जागरण’ के माध्यम से मैं ‘दहेज-प्रथा’ का वर्णन कर रहा हूँ। आप इसे अपने समाचार-पत्र में प्रकाशित करने की कृपा करें।
दहेज की कुप्रथा ने आज भारतीय समाज को बुरी तरह कुचल कर रख . दिया है। विशेषकर जिन घरों में एक-से अधिक कन्याएँ होती हैं, वहाँ दहेज का भूत गीध की तरह सदा मँडराता रहता है । इस समस्या ने नारी-जीवन को तहस-नहस करके रख दिया है।
दुर्भाग्य से आजकल दहेज की जबरदस्ती माँग की जाती है । दूल्हों के भाव लगते हैं । इस बुराई की सीमा यहाँ तक बढ़ गई है कि जो जितना शिक्षित हैं, समझदार हैं, उसका भाव उतना ही तेज है । डॉक्टर, इंजीनियर का भाव पंद्रह-बीस लाख रुपये, आई० ए० एस० का पचास-साठ लाख, प्रोफेसर का पाँच-दस लाख, ऐसे अशिक्षित व्यापारी, जो खुद कौड़ी के तीन बिकते हैं, उनका भी भाव कई बार लाखों तक जा पहुँचता है। ऐसे में कन्या का पिता कहाँ मरे?
इस प्रथा के दुष्परिणाम विभिन्न रूपों में दिखाई देते हैं । इसे रोकने के उपाय स्वयं समाज के हाथ में हैं। हमें सबसे अधिक आशा है युवक-युवतियों से, जो दहेज के दैत्य से कड़ा मुकाबला कर सकते हैं ।
भवदीय,
अमरेन्द्र रावत मेन बाजार,
दरभंगा।
दिनांक : 21-3-2012
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