BSEB Class 11 Home Science Resources Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Home Science Resources Book Answers |
Bihar Board Class 11th Home Science Resources Textbooks Solutions PDF
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Board | BSEB |
Materials | Textbook Solutions/Guide |
Format | DOC/PDF |
Class | 11th |
Subject | Home Science Resources |
Chapters | All |
Provider | Hsslive |
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BSEB Class 11th Home Science Resources Textbooks Solutions with Answer PDF Download
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वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
खमीर में पाए जाने वाले सूक्ष्म जीवाणु होते हैं।
(क) एककोशीय
(ख) बहुकोशीय
(ग) द्विकोशीय
(घ) तृ-कोशीय
उत्तर:
(क) एककोशीय
प्रश्न 2.
फफूंदी के जीवाणु तापमान में पनपते हैं।
(क) 20°C – 25°C
(ख) 25°C – 30°C
(ग) 30°C – 35°C
(घ) 35°C – 40°C
उत्तर:
(ख) 25°C – 30°C
प्रश्न 3.
एककोशीय सूक्ष्म जीवाणु के लिए उचित तापमान की आवश्यकता होती है।
(क) 25°C-30°C
(ख) 30°C – 35°C
(ग) 35°C-40°C
(घ) 40°C – 45°C
उत्तर:
(क) 25°C-30°C
प्रश्न 4.
एकलोटॉक्सिन Aflofoxin कहलाता है।
(क) विषैला पदार्थ
(ख) स्टार्चयुक्त पदार्थ
(ग) क्षारीय पदार्थ
(घ) अम्लीय पदार्थ
उत्तर:
(क) विषैला पदार्थ
प्रश्न 5.
बैक्टीरिया एक प्रकार का जीवाणु है
(क) एककोशीय
(ख) बहुकोशीय
(ग) द्वि-कोशीय
(घ) ती-कोशीय
उत्तर:
(क) एककोशीय
प्रश्न 6.
मानवीय साधन के अंतर्गत आते हैं। [IB.M.2009A]
(क) ज्ञान
(ख) धन
(ग) संपत्ति
(घ) आभूषण
उत्तर:
(क) ज्ञान
प्रश्न 7.
साधनों की व्याख्या करने से -[B.M.2009AL ]
(क) उपलब्ध साधनों को प्रयोग कर लक्ष्य प्राप्त हो सकता हैं
(ख) खर्च कम होता है
(ग) आवश्यकताओं की पूर्ति होती है
(घ) शक्ति का दूर उपयोग नहीं होता
उत्तर:
(क) उपलब्ध साधनों को प्रयोग कर लक्ष्य प्राप्त हो सकता हैं
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
साधन (Resources) शब्द की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
जो वस्तुएँ और क्षमताएँ हमारी आवश्यकता की पूर्ति में सहायता करती हैं व हमारे · लक्ष्यों तक पहुँचाने में सहायक हैं, उन्हें साधन या संसाधन कहते हैं।
प्रश्न 2.
साधन और संतोष (Resources & Satisfaction) में अन्तःसंबंध बताइए।
उत्तर:
साधन और संतोष में गहरा सम्बन्ध है। यदि एक कार्य को करने के लिए कई साधन चाहिए और यदि वे सन्तुलित मात्रा में उपलब्ध हों तो सन्तोष शीघ्र और अवश्य प्राप्त होता है।
प्रश्न 3.
मानवीय साधन (Human Resources) क्या हैं, उदाहरण दें।
उत्तर:
जो क्षमताएँ व साधन मानव द्वारा प्राप्त होते हैं उन्हें मानवीय साधन कहते हैं।
ये चार हैं-
- ज्ञान
- योग्यताएँ एवं कुशलताएँ,
- शक्ति
- अभिवृत्तियाँ व अभिरुचियाँ।
प्रश्न 4.
संसाधन कितने प्रकार के होते हैं ? नाम लिखें।
उत्तर:
संसाधन दो प्रकार के होते हैं-
(i) मानवीय संसाधन
(ii) भौतिक संसाधन
प्रश्न 5.
सभी संसाधनों की कोई दो विशेषताएँ (Characteristics) बताएँ।
उत्तर:
सभी संसाधनों की दो विशेषताएँ निम्न हैं-
1. सभी साधन उपयोगी होते हैं।
2. सभी साधन सीमित होते हैं।
प्रश्न 6.
भौतिक साधन (Non Human Resources) किन्हें कहते हैं ? उदाहरण दें।
उत्तर:
जो साधन भौतिक रूप में प्राप्त होते हैं, उन्हें भौतिक साधन या अमानवीय साधन कहा जाता है।
ये निम्न हैं-
1. धन,
2. वस्तुएँ,
3. सम्पत्ति,
समय व सामुदायिक सुविधाएँ।
प्रश्न 7.
“निर्णय लेना’ (Decision making) से क्या तापलं है?
उत्तर:
अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए विभिन्न विकल्पों में से सर्वोत्तम विकल्प का चुनाव ही निर्णय है।
प्रश्न 8.
सार्वजनिक या जन सुविधाएँ क्या हैं ?
उत्तर:
जो सुविधाएं सार्वजनिक उपयोग के लिए होती हैं और सब इसका प्रयोग करते हैं, उन्हें सार्वजनिक या जन सुविधाएँ (Public Conveniences)
कहते हैं।
ये निम्न हैं-
- पार्क
- सार्वजनिक परिवहन
- पुस्तकालय
- अस्पताल व डिस्पेन्सरी
- स्कूल तथा कॉलेज
- सार्वजनिक शौचालय
- सार्वजनिक नल
- सड़कें तथा गलियाँ
- सार्बजनिक इमारतें
- बिजली पानी
- पेड़ आदि
प्रश्न 9.
“साधन सीमित हैं” (Resources are limited) स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सभी साधन चाहे वे मानवीय हों या अमानवीय एक निश्चित सीमा तक ही प्रयोग में लाये जा सकते हैं। एक परिवार के पास निश्चित आय होती जिसमें उसे अपनी आवश्यकताओं को पूरा करना पड़ता है। एक विद्यार्थी के पास एक निश्चित कार्य करने के लिए सीमित ही समय होता है जिसमें उसे पढ़ाई सम्बन्धी कार्य करने होते हैं। अतः सभी साधन सीमित होते हैं।
प्रश्न 10.
साधनों को व्यवस्थित (Organisation of Resources) करने से क्या लाभ हैं? अथवा, लक्ष्य प्राप्ति के लिए साधनों को व्यवस्थित करना आवश्यक है या नहीं? यदि हाँ, तो क्यों?
उत्तर:
साधनों को व्यवस्थित करने से यह लाभ है कि हम सीमित साधनों से अधिकाधिक आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकते हैं। अधिकतम लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल हो सकते हैं। यदि हम इनका व्यवस्थित प्रयोग नहीं करेंगे तो ये साधन बेकार जा सकते हैं। व्यवस्थित करने से हम अपने समस्त साधनों से अवगत हो सकते हैं, और अपने दृष्टिकोण एवं अभिवृत्तियों में परिवर्तन लाकर अपने उपलब्ध साधनों में वृद्धि भी कर सकते हैं।
प्रश्न 11.
साधनों का प्रबन्ध करना (Arrangement of Resources) क्यों आवश्यक है ?
उत्तर:
सभी साधन सीमित होते हैं और उनकी उपलब्धि भी सीमित होती है। हमारी आवश्यकताएँ व लक्ष्य असीमित होते हैं। इन्हीं सीमित साधनों द्वारा हमें असीमित आवश्यकताओं और लक्ष्यों की प्राप्ति करनी होती है। यह तभी सम्भव है जब हम नियोजित ढंग से सोच-विचार कर इनका उपयोग करें ताकि अधिकाधिक आवश्यकताएं पूरी हो सकें व अधिकाधिक लक्ष्यों की प्राप्ति हो सके। इसीलिए साधनों का प्रबंध अति आवश्यक है।
प्रश्न 12.
निर्णय की प्रक्रिया के विभिन्न चरण (Process of decision making) कौन-कौन-से हैं ?
उत्तर:
अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए विभिन्न विकल्पों में से सर्वोत्तम विकल्प का चुनाव ही निर्णय लेना कहलाता है। निर्णय लेने की प्रक्रिया के पाँच मुख्य सोपान हैं जो निम्नलिखित हैं समस्या को परिभाषित करना। समस्या के समाधान के लिए विभिन्न विकल्पों की खोज करना। विभिन्न विकल्पों पर विचार-विनिमय। सर्वोत्तम विकल्प का चयन करना । अन्तिम निर्णय लेना या निर्णय की स्वीकृति।
प्रश्न 13.
यदि निर्णय प्रक्रिया में एक चरण रह गया है, तो क्या होगा?
उत्तर:
यदि निर्णय प्रक्रिया में एक चरण रह गया है तो सही निर्णय लेने में हम गलत साबित होंगे।
लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
साधन किसे कहते हैं ? किन दो वर्गों में इन्हें वर्गीकृत किया जाता है ?
उत्तर:
उत्तम गृह व्यवस्था के लिए पारिवारिक लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु तथा उच्च जीवन स्तर बनाने हेतु साधनों की आवश्यकता होती है। इन्हीं साधनों को गृह व्यवस्था का आधार माना जाता है। पारिवारिक साधनों को मुख्यत: दो वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है –
(क) मानवीय साधन (Human Resources)
(ख) भौतिक साधन (Material Resources)
प्रश्न 2.
सामुदायिक सुविधाएँ किन्हें कहते हैं ?
उत्तर:
सामुदायिक सुविधाएं (Community Resources): सड़क, पार्क, शैक्षणिक संस्थाएँ, पानी, बिजली की सुविधाएँ, ईंधन, पुलिस संरक्षण, अग्नि शमन सहायता, पुस्तकालय, बाजार, यातायात सेवाएँ आदि सामुदायिक सुविधाएँ हैं जिनकी व्यवस्था सामाजिक समूह के लिए की जाती है। अलग-अलग लक्ष्यों के लिए इनमें से अलग-अलग साधन की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 3.
“मूल्यांकन (Evaluation) भविष्य की योजनाओं का आधार है” इस कथन की विवेचना करें।
उत्तर:
मूल्यांकन व्यवस्था की प्रक्रिया का अन्तिम चरण है जो भविष्य की योजनाओं के लिए अति महत्त्वपूर्ण है। मूल्यांकन अर्थात् प्राप्त मूल्यों का अंकन करना, यह आंकना कि निर्धारित उद्देश्य कितनी सीमा तक पूरे हुए। लक्ष्य प्राप्ति की सफलता को आंकने के लिए मूल्यांकन अति आवश्यक है। यह आवश्यक नहीं कि मूल्यांकन केवल लक्ष्य प्राप्ति के बाद ही किया जाए।
यह व्यवस्थापन के प्रत्येक चरण पर निर्णय लेने के लिए किया जाता है। इसमें हमें लक्ष्यों की पूर्ति अथवा आपूर्ति के उत्तरदायी कारणों का ज्ञान होता है जिससे भविष्य में बनाई जाने वाली योजनाओं में सहायता मिलती है। पिछली योजनाओं की त्रुटियों में आवश्यक सुधार लाकर सूझ-बूझ से नई योजनाएं बनाई जा सकती हैं। अतः स्पष्ट है कि मूल्यांकन भविष्य की योजनाओं का आधार है।
प्रश्न 4.
सामुदायिक सुविधाओं का दुरुपयोग क्यों नहीं करना चाहिए?
उत्तर:
सामुदायिक सुविधाओं का दुरुपयोग (Misuse of Community Resources)सामुदायिक सुविधाएँ सीमित हैं और इसीलिए उन पर अंकुश लगाना आवश्यक है। उनका दुरुपयोग नहीं करना चाहिए । चूँकि हम सब उनको मिलकर बाँटकर प्रयोग करते हैं यह हम सबका कर्तव्य हो जाता है कि उनके संरक्षण के लिए उचित उपाय करें। हमें केवल अपने अधिकारों का ही ज्ञान नहीं होना चाहिए अपितु अपने दायित्वों के प्रति भी सजग होना चाहिए।
उदाहरण के लिए, सरकारी जमादार सफाई करने के लिए होता है, परन्तु यह हम सबका कर्त्तव्य है कि किसी को भी सड़कों पर गंदगी फैलाते देखें तो उसे रोकें। सामान्यतः विद्यार्थियों को जेब खर्च के रूप में सीमित धन मिलता है। अगर अपने पैसे को योजनाबद्ध तरीके से खर्च नहीं करेंगे तो क्या होगा? आपके राशन कार्ड पर मिट्टी के तेल की सीमित मात्रा मिलती है।
अगर आप ईंधन को सावधानी से प्रयोग नहीं करेंगे तो आपका खाना नहीं पकेगा। उपजाऊ धरती कम है और उगने वाला चारा भी सीमित है। एक किसान को चारे का प्रबंध सावधानी से करना होगा ताकि उसके पशु स्वस्थ रहें। आपको साधनों का प्रबंध करना आवश्यक है ताकि अपने लक्ष्य तक पहुँचने की खुशी प्राप्त हो।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
साधन क्या हैं ? साधनों को किस प्रकार वर्गीकृत किया जाता है ? विस्तार से समझाइए। [B.M.2009A]
उत्तर:
प्रत्येक परिवार के समक्ष कुछ लक्ष्य रहते हैं। इन लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु साधनों का उपयोग करना होता है। ग्रीन व कैंडल के अनुसार “अच्छे गृह-प्रबन्ध का उद्देश्य परिवार को अधिकतम संतुष्टि के लिए पारिवारिक साधनों का उपयोग करना है।”आयरिन ओपनहाइन के मत से “पारिवारिक साधनों का प्रबन्ध गृह-व्यवस्था के सबसे चुनौतीपूर्ण कार्यों में से एक है।” गृह-व्यवस्था में पारिवारिक साधनों का प्रयोग ऐसी सफलता के साथ किया जाता है ताकि निर्धारित मूल्यों एवं लक्ष्यों की प्राप्ति हो। पारिवारिक साधनों को कई प्रकार से वर्गीकृत किया गया है।
गृह विज्ञान की एक परिचर्चा में साधनों को इस प्रकार वर्गीकृत किया गया था –
- तकनीकी साधन (Technological resources): इसके अन्तर्गत परिवार के लिए उपयोगी वस्तुएँ व उपकरण आते हैं। ये साधन प्राकृतिक भी हो सकते हैं व मानव निर्मित भी।
- सामाजिक साधन (Social resources): इसमें विभिन्न सामाजिक संस्थाएँ आती हैं जो परिवार के लिए उपयोगी हैं, जैसे-क्लब, बैंक, पुस्तकालय आदि।
- मानवीय साधन (Human resources): जैसे भावनाएँ, विचार, अभिरुचि आदि।
आयरिन ओपनहाइन के अनुसार साधनों के निम्नलिखित तीन प्रकार हैं –
- मानवीय साधन (Human resources)
- आर्थिक साधन (Economic resources)
- पर्यावरण सम्बन्धी साधन (Environmental resources)
ग्रीन व कैंडल ने साधनों को दो प्रमुख भागों में वर्गीकृत किया है –
(क) मानवीय साधन (Human resources)
(ख) भौतिक साधन (Material or Non-human resources)।
यदि हम तालिका बनाएँ तो इन साधनों का उपविभाजन इस प्रकार से कर सकते हैं-
(क) मानवीय साधन-
- समय
- शक्ति
- अभिरुचियाँ
- क्षमताएँ व दक्षता
- ज्ञान
- अभिवृत्तियाँ
(ख) भौतिक साधन:
- भौतिक वस्तुएँ
- धन
- सामुदायिक सुविधाएँ
(क) मानवीय साधन (Human Resources):
1. समय-समय एक महत्त्वपूर्ण साधन है। इसके अन्तर्गत मिनट, घण्टे, दिन आदि आते . हैं। समय का सही उपयोग निश्चित ही वांछित लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायक होता है। घरेलू कार्यों के करने में व्यय होने वाली समयावधि इसके अन्तर्गत आती है, जैसे एक घंटा, एक दिन, एक सप्ताह, अल्प समयावधि, दीर्घ समयावधि आदि। समय का उचित व्यवस्थापन बहुत जरूरी है। यह तो परिवार के सदस्यों पर निर्भर करता है कि वह समय का किस प्रकार सदुपयोग करें।
2. शक्ति-किसी भी कार्य को सम्पन्न करने में शक्ति का उपयोग करना होता है जैसे वस्त्र धोने, बर्तन व घर की सफाई आदि । काम करने की क्षमता प्रत्येक व्यक्ति में अलग-अलग होती है। यदि परिवार के सदस्यों में शक्ति अधिक होगी तो वह उसका उचित व्यवस्थापन करके अन्य साधनों को प्राप्त करने में सहायता करेगी।
3. अभिरुचियाँ-कार्य प्रायः थकान वाला होता है परन्तु अभिरुचि उस कार्य को रोचक बना देती है तथा उसे शीघ्र पूरा करने में सहायक होती है।
4. क्षमताएँ-इसके अन्तर्गत प्रकृति प्रदत्त तथा अर्जित दोनों ही प्रकार की योग्यताएँ सम्मिलित होती हैं। कुशलता से अभिप्राय गृह-सम्बन्धी विभिन्न कार्य करने की कुशलता, जैसे-सीने, काढ़ने, बुनने आदि की कुशलता है। परिवार के सदस्यों के कार्य निपुण होने पर पारिवारिक लक्ष्यों की प्राप्ति और भी सहज हो जाती है। यदि गृहिणी या परिवार का कोई अन्य सदस्य कपड़े सिलने में निपुण हो तो परिवार को दर्जी की सिलाई पर व्यय नहीं करना पड़ता है।
5. ज्ञान-समुचित ज्ञान परिवार के कुशल संचालन में सहायक होता है। उदाहरणार्थ संतुलित आहार का ज्ञान पारिवारिक स्वास्थ्य बनाए रखने में सहायक होगा। बाजार का ज्ञान होने पर गृहिण उत्तम वस्तुएँ सस्ते मूल्य पर क्रय कर सकेगी। बाल विकास का ज्ञान बच्चों के उचित लालन-पालन में सहायक हो सकता है।
6. अभिवृत्तियाँ-वे इच्छाएँ तथा भावनाएँ अभिवृत्ति कहलाती हैं जो किसी कार्य को करने के लिए व्यक्ति को उत्प्रेरित अथवा निरुत्साहित करती हैं। परिवार का दृष्टिकोण सकारात्मक . (Positive) अथवा नकारात्मक (Negative) हो सकता है। सकारात्मक अथवा आशावादी दृष्टिकोण उद्देश्य की प्राप्ति में सहायक होता है। यह विषम परिस्थितियों से जूझने में भी सहायक होता है।
(ख) भौतिक साधन (Material or Non-human Resources):
1. भौतिक वस्तुएँ-परिवार के लिए उपयोगी सभी वस्तुएँ इस श्रेणी में आती हैं, जैसे-खाद्य पदार्थ, वस्त्र, मकान, पुस्तकें, फर्नीचर आदि । ये वस्तुएँ स्थाई (Permanent) अथवा अस्थाई (Perishable) हो सकती हैं। विभिन्न कार्यों के सम्पादन में ये वस्तुएँ सहायक होती हैं, जैसे-आवास के लिए मकान आवश्यक है। यह साधन मानवीय साधनों की भाँति काफी महत्त्वपूर्ण है। इनका प्रयोग अन्य साधनों के क्रय के लिए किया जा सकता है, किन्तु इन साधनों की सहायता से केवल भौतिक वस्तुओं का ही क्रय किया जा सकता है तथा इनके द्वारा मानवीय साधनों को पाना कठिन होता है।
2. धन-यह साधन भी मानवीय साधनों की भाँति काफी महत्त्वपूर्ण है । धन के बदले वस्तुएँ, सेवाएँ हैं, जिनसे यांत्रिक शक्ति प्राप्त होती है। बचत, विभिन्न प्रकार के विनियोजित आय धन के अन्तर्गत आते हैं। धन के अभाव में परिवार का संचालन असम्भव है।
3. सामुदायिक सुविधाएँ-पुलिस संरक्षण, शैक्षिक सुविधाएँ, सड़क, पार्क, पुस्तकालय, बाजार, यातायात सेवाएँ जिनकी व्यवस्था सामाजिक समूह द्वारा की जाती है, वे इस वर्ग के साधन हैं। समाज द्वारा व्यक्ति अथवा परिवार के लिए प्राप्त सुविधाएँ इस वर्ग में आती हैं।
प्रश्न 2.
साधनों के सामान्य गुणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
साधनों में निम्नलिखित विशेषताएँ समान रूप से पायी जाती हैं।
1.सभी साधन सीमित हैं (Resources are limited)-साधन सदा सीमित रहते हैं अन्यथा उनके व्यवस्थापन की आवश्यकता ही नहीं रहती। साधन जितने सीमित होते हैं, उसी अनुपात में उनका महत्त्व बढ़ जाता है। गृहिणी को उनके उपयोग करने में उतनी ही दक्षता की आवश्यकता होती है। साधनों की दो प्रकार की सीमाएँ होती हैं-
(अ) संख्यात्मक सीमाएँ
(ब) गुणात्मक सीमाएँ
(अ) संख्यात्मक सीमाएँ (Quantitative): विभिन्न साधनों की सीमा भिन्न-भिन्न होती हैं। समय सर्वाधिक सीमित साधन है। एक दिन में चौबीस घण्टे से अधिक समय नहीं हो सकता। व्यक्ति भी एक सीमित साधन है। हालांकि इसकी सीमाएँ भिन्न व्यक्तियों में भिन्न हो सकती. हैं। प्रत्येक व्यक्ति को दिन में कछ घण्टे आराम की भी आवश्यकता होती है। यदि वह आराम न करे तो उसमें अगले दिन कार्य करने की शक्ति नहीं रहती है। धन भी सीमित है।
इस साधन की मात्रा भिन्न-भिन्न व्यक्तियों के पास भिन्न-भिन्न होती है तथा एक ही व्यक्ति के पास जीवन के विभिन्न अवसरों पर भिन्न-भिन्न होती है परन्तु धन दूसरे साधनों से इस रूप में भिन्न है कि उसे बचाकर भविष्य के लिए रखा जा सकता है। आवश्यकता पड़ने पर धन उधार भी ले सकते हैं। परिवार के सदस्यों की क्षमताएँ भी सीमित हैं। भिन्न व्यक्तियों में जन्मजात क्षमताएँ भिन्न होती हैं। शिक्षा व वातावरण भी सीमाएँ निर्धारित करते हैं। उचित शिक्षा व स्वस्थ वातावरण की क्षमताएँ और भी सीमित हो जाती हैं।
(ब) गुणात्मक सीमाएँ (Qualitative): गुणात्मक सीमाएँ भी निश्चित हैं। दो परिवारों को एक जैसे आर्थिक साधन उपलब्ध हैं परन्तु यह सम्भव है कि एक की गृह-सज्जा उच्च स्तर की हो, दूसरे की निम्न स्तर की। कार्य निपुणता, ज्ञान आदि कुछ ऐसे मानवीय साधन हैं जिनकी . गुणात्मक सीमाएँ होती हैं। गुणात्मक स्तर हर साधन के उपयोग में देखा जा सकता है।
2. साधनों में घनिष्ठ सम्बन्ध (Resources have close relation): प्रायः एक कार्य को करने में एक से अधिक साधन की आवश्यकता होती है। अध्ययन के लिए समय व शक्ति दोनों ही चाहिए। अधिकांश गृह कार्यों को करने के लिए इन दोनों साधनों की आवश्यकता होती है। एक साधन के अभाव में कई बार वाछित सफलता नहीं मिल पाती।
3. साधन एक बार में एक ही स्थान पर प्रयुक्त होते हैं-एक साधन यदि हम एक स्थान पर प्रयुक्त कर लेते हैं तो अन्यत्र उसका उपयोग सम्भव नहीं ना | गृहिणी यदि एक धनराशि का उपयोग बच्चों की सालाना फीस देने के लिए कर लेती है उसी से उनके लिए वस्त्र नहीं खरीद सकती।
4. सभी साधन उपयोगी होते हैं-उचित गृह-व्यवस्था के लिए सभी साधन उपयोगी होते हैं। यदि साधनों का उचित उपयोग नहीं किया जाएगा तो वे निरर्थक हो जाते हैं क्योंकि किसी चीज की उपयोगिता ज्ञात होने के पश्चात् ही उसे साधन में सम्मिलित किया जाता है। टेलीविजन, शिक्षा व मनोरंजन दोनों के लिए उपयोगी है।
5. कुछ साधन एक-दूसरे के स्थान पर प्रयुक्त हो सकते हैं-साधनों को एक-दूसरे के स्थान पर प्रयुक्त किया जा सकता है। उदाहरण-घर में रहने वाली गृहिणी समय का उपयोग बच्चों के कपड़े घर पर सिलने में कर सकती है, परन्तु यदि वही गृहिणी बाहर काम करने लगे तो समयाभाव में वही कपड़े धन देकर सिलवा लेती है।।
6. सभी साधनों के प्रयोग से लक्ष्य की प्राप्ति-सभी साधनों का प्रयोग लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए किया जाता है। यदि साधन लक्ष्यों की प्राप्ति न करें तो वह अर्थहीन एवं निरर्थक हो जाते हैं।
प्रश्न 3.
साधनों में क्या समानताएँ (Similarities) पायी जाती हैं ?
उत्तर:
समस्त साधनों में प्रायः निम्नलिखित समानताएँ पाई जाती हैं-
1. समस्त साधन लाभप्रद हैं।
2. सभी साधन सीमित हैं।
3. व्यवस्थापन सम्बन्धी प्रक्रिया समस्त साधनों पर लागू होती है।
4. साधनों का प्रयोग करने के परिणामस्वरूप जीवन का जो गु णात्मक स्तर प्राप्त होता है, वह व्यक्ति के इन साधनों के प्रयोग करने के ढंग पर निर्भर करता है।
प्रश्न 4.
सामुदायिक सुविधाओं का संरक्षण और प्रबन्ध क्यों आवश्यक है? अथवा, चार सामुदायिक सुविधाओं के नाम लिखें तथा विस्तार से बताएं कि इनका प्रबन्ध क्यों आवश्यक है ?
उत्तर:
सामुदायिक सुविधाओं का संरक्षण और प्रबन्ध: सभी साधनों की विशेषताएँ जानने के बाद यह ज्ञात होता है कि साधन सीमित हैं, अत: उनके प्रबंध की आवश्यकता है। साधनों के सर्वोत्तम उपयोग के लिए उनकी व्यवस्था अत्यंत आवश्यक है।
कुछ साधन निम्नलिखित हैं –
1. ईंधन (Fuel): कोई भी वस्तु जिसमें गर्मी अर्थात् शक्ति पैदा करने की सामर्थ्य है, ईंधन कहलाती है। ईंधन कई प्रकार के होते हैं।
कुछ सामान्य प्रयोग में आने वाले ईंधन निम्नलिखित हैं –
भोजन पकाने के लिए ईंधन का संरक्षण निम्नलिखित रूप से किया जा सकता है :
- सारे संघटक एकत्रित करने के बाद ही आग जलाएँ।
- प्रयोग के तुरत बाद आग बुझा दें।
- उबलने के बाद आग की लपट धीमी कर दें।
- कम गहरे व चौड़े बर्तनों से ईंधन की बचत होती है।
- खाद्य पदार्थों को उबालने के लिए कम से कम पानी का प्रयोग करें।
- पकाने से पहले खाद्यान्न व दालों को भिंगोकर रखें। इससे पकाने का समय कम हो जाता है।
- प्रेशर कूकर के प्रयोग से समय और ईंधन की बचत होती है।
- अच्छी तरह बंद होने वाले ढक्कनों से ताप नष्ट नहीं होता और इस प्रकार पकाते हुए समय तथा ईंधन की बचत होती है।
- यह सुनिश्चित करें कि आग की लौ तेज और नीली हो। पीले रंग की लौ का अर्थ है कि ईंधन व्यर्थ जा रहा है तथा लौ ठीक तरह नहीं जल रही है।
- भोजन को बार-बार गर्म न करें। सारे परिवार को एक ही बार गर्म खाना परोसें न कि हर एक को अलग-अलग भोजन दें।
- फ्रिज में रखे खाने को पकाने से पहले कमरे के ताप पर ले आएँ। इस प्रकार ईंधन की बचत होती है।
- गंदे बर्तन व बर्नर अधिक ईंधन खर्च करते हैं।
2. विद्युत (Electricity): यह एक महँगा ईंधन है। यह खाना पकाने, पानी गर्म करने, रोशनी करने, कमरे का ताप बढ़ाने और बिजली के उपकरण चलाने में प्रयोग की जाती है। आपको इस महँगे और सीमित साधन को बहुत सावधानी से प्रयोग करना चाहिए। यह निम्नलिखित ढंग से किया जा सकता है :
- कमरा छोड़ने पर सारी बत्तियाँ बुझा दें।
- जब आवश्यकता न हो तो टी.वी., रेडियो बंद कर दें।
- बिजली के उपकरणों को आपस में मिल-जुल कर प्रयोग करें तथा बिजली की बचत करें।
- बल्ब के स्थान पर टयब लाइट का प्रयोग करें जिससे रोशनी भी अधिक होती है तथा बिजली भी कम प्रयोग होती है।
- काम करते समय प्राकृतिक रोशनी का अधिक से अधिक प्रयोग करें। दिन की रोशनी में पढ़ने से बिजली की काफी बचत होती है।
- जब धीमी रोशनी चाहिए तो छोटे बल्ब प्रयोग करें।
- बिजली के उचित उपकरणों के प्रयोग से बिजली की बचत होती है।
3. पानी (Water): क्या आप पानीरहित जीवन का विचार कर सकती हैं ? नहीं। पानी मनुष्य की एक मूल आवश्यकता है जो धीरे-धीरे कम हो रहा है।
दिल्ली में 1960 से अब तक पानी का स्तर (मीटर में) कम होता जा रहा है-
निम्नलिखित सिद्धांतों के पालन से पानी का संरक्षण सुनिश्चित हो सकता है:
- पानी का नल अथवा कोई स्रोत प्रयोग के बाद बंद कर दें।
- पानी को व्यर्थ बहने से रोकें।
- आवश्यकता के अनुसार पानी का उपयोग करें। अगर आपको आधा गिलास पानी चाहिए तो उसे पूरा मत भरिए।
- प्रत्येक व्यक्ति के कपड़े अलग धौने की बजाय परिवार के सभी कपड़े एक साथ धोने से पानी की मात्रा में बचत हो सकती है।
- पृथ्वी की सतह के नीचे अर्थात् भूमिगत पानी का संरक्षण भी आवश्यक है। जहाँ पानी का स्तर ऊँचा हो वहाँ जमीन के नीचे वाला पाखाना नहीं बनाना चाहिए।
- अगर जल का कोई सामुदायिक स्रोत हो तो उसका प्रबन्ध सुनिश्चित करना चाहिए। पानी लेने के लिए पंक्ति में लगना चाहिए।
- रसोईघर के व्यर्थ पानी को नाली द्वारा पिछवाड़े की बागवानी में प्रयोग करें। पानी को एक स्थान पर एकत्रित न होने दें।
- वर्षा के जल को छत पर संग्रह करने का प्रबंध करना चाहिए।
1. वर्षा के जल का संग्रह (Storage of Rain Water): वर्षा का जो जल छत पर गिरता है उसे छोटे व्यास की पाइपों द्वारा ट्यूबवेल, गड्ढों, पुराने या नए अनुपयोगी कुओं की तरफ मोड़कर सतह के नीचे के जल के संग्रह की प्रक्रिया प्रारंभ की जाती है ताकि यह बाद में आवश्यकतानुसार प्रयोग में लाया जा सके। यह प्रक्रिया एकजिली तथा कई मंजिली इमारतों में उत्तम परिणामों के साथ प्रयोग की जा रही है।
2. दिल्ली के लिए सर्वोत्तम: 100 वर्ग मी. की छत पर लगभग 65000 लीटर बारिश का पानी पाइपों द्वारा एकत्र किया जा सकता है, जिससे चार व्यक्तियों के परिवार की 160 दिन तक पानी की आपूर्ति की जा सकती है।
3. विशेष सहायता: दिल्ली जल बोर्ड ने इस संदर्भ में सहायता शिविर का गठन किया है जो इस मितव्ययी तथा पर्यावरण सुरक्षित तथ्य को कार्यान्वत करने में सहायता करता है। संकर्प करें-वरिष्ठ अभियंता (योजना जल), कमरा नं. 207, वरुणालय, दूरभाष-3675434, 3678380-82
4. राज्य परिवहन (Public Transport): बसें, गाड़ियाँ, ट्राम और हवाई जहाज परिवहन के कुछ साधन हैं। ये एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने में सहायक होते हैं। परिवहन व्यवस्था एक महँगा साधन है। उचित सेवा न होने पर कई बार विद्यार्थी बसों को तोड़-फोड़ देते हैं। परिणामतः पुनः व्यवस्था बनाने के लिए अधिक व्यय करना पड़ता है जिसके कारण किराये में वृद्धि व करों में वृद्धि होती है। आप सोचें कि क्या यह उचित हैं ? असामाजिक तत्त्व कभी-कभी बसों को बमों से उड़ा देते हैं, जिससे सामाजिक सम्पत्ति को नुकसान पहुँचता है। मनुष्य भी मर जाते हैं। इन असामाजिक कार्यों का परिणाम, समाज पर आर्थिक दबाव पड़ता है।
5. चारा (Fodder): ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को चारे की गंभीर समस्या का सामना करना पड़ता है। यह जानवरों को खिलाने के काम आता है। बचा हुआ या फालतू चारा फेंक दिया जाता है जिससे सफाई की समस्या बढ़ जाती है। अधिक चारे को अमूल्य साधनों की तरह प्रयोग में लाया जा सकता है। इससे खाद व गोबर गैस निर्मित की जा सकती है। परिवार की दूसरी आवश्यकताएँ जैसे चटाइयाँ, छप्पर आदि भी चारे से बनाई जा सकती हैं। जब ये टूट जाएँ तो इन्हें गोबर के साथ मिलाकर अच्छे उपले व खाद बनाई जा सकती है। इस प्रकार ग्रामीण क्षेत्र में किसान चारे का उपयुक्त प्रयोग कर सकते हैं।
6. पार्क (Parks): शालिनी जिस क्षेत्र में रहती है वहाँ पाँच पार्क हैं। पहले ये पार्क बंजर भूमि लगते थे। इन पार्कों में कोई गतिविधि न थी। पिछले दिनों वहाँ के लोगों ने एक सभा बनाकर चार लोगों को पार्कों के प्रबंध का उत्तरदायित्व सौंप दिया। उन्होंने माली लगाकर सारे पार्क ठीक करवा दिये। अब चहुँ ओर हरियाली है तथा फूल भी खिले हैं। इससे क्षेत्र में रौनकता बढ़ गई है।
बड़े बच्चे पार्क में पानी देने का काम करते हैं। सभी पार्क एक प्रयोगशाला का काम करते हैं जहाँ बच्चे फूल, पत्तों व पौधे के बारे में ज्ञान प्राप्त करते हैं। आस-पड़ोस के लोग सुबह-शाम वहाँ व्यायाम करने भी जाते हैं। इस सुविधा से क्षेत्र में नया जीवन आ गया है। आप भी कुछ ऐसा कर सकती हैं तथा कुछ अन्य सुझाव भी दे सकती हैं।
7.विद्यालय और चिकित्सालय (Schools and Hospitals): विद्यालय और चिकित्सालय वे सामुदायिक सुविधाए हैं जिनके द्वारा बच्चों को शिक्षा दी जाती है और आपके स्वास्थ्य के बारे में ध्यान रखा जाता है। इन दोनों स्थानों पर सफाई का बहुत ध्यान रखना चाहिए। सावधानी रखनी चाहिए कि इन दोनों सुविधाओं को किसी प्रकार की हानि न पहुंचाई जाए। आप सबको विद्यालय के बारे में पता है। उदंडी विद्यार्थियों द्वारा विद्यालय की सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाया जाता है। आप ऐसी हानियों की एक सूची बनाएँ । चिकित्सालय में उचित और बढ़िया ढंग से काम होना चाहिए ताकि सबको अच्छी सुविधाएँ मिलें तथा रोगियों को उनके दुखों से मुक्ति मिले।
8. सड़कें (Roads): घर से विभिन्न स्थानों तक आपकों व आपके परिवार को कौन जोड़ता है। ये सड़कें हैं । यह आपका उत्तरदायित्व है कि आप इस साधन का उचित रूप से प्रयोग करें। सड़कें संचार के माध्यम हैं, यह एक सामुदायिक सुविधा है। आप निजी समारोह के लिए इसे प्रयोग न करें। इससे समाज के दूसरे सदस्यों को परेशानी होती है। सड़कों को साफ तथा सुरक्षित रखें।
प्रश्न 5.
सभी साधनों की व्यवस्था करना क्यों आवश्यक है ?
उत्तर:
सभी साधनों की व्यवस्था करना (Need to manage the resources): सभी साधनों की चाहे वह भौतिक हों अथवा मानवीय, की व्यवस्था की जा सकती है। इनकी उचित व्यवस्था करके ही हम उत्तम गृह व्यवस्था की कल्पना कर सकते हैं। इन साधनों के प्रयोग के लिए सर्वप्रथम इन्हें आयोजित करने की आवश्यकता होती है, जैसे कौन-सा साधन किस आवश्यकता पूर्ति के लिए प्रयोग किया जाए।
मौद्रिक आय की व्यवस्था करके हम ज्ञात कर सकते हैं कि कोई परिवार भोजन पर, कपड़ों पर तथा अन्य आवश्यकताओं पर कितना व्यय करे। आयोजन के पश्चात् साधनों का प्रयोग करते समय नियन्त्रण रखना भी अति आवश्यक है जिससे साधनों का दुरुपयोग न हो। सभी साधनों के प्रयोग के पश्चात् हमें मूल्यांकन करना चाहिए जिससे हमें ज्ञान हो जाए कि साधनों के प्रयोग से हमारी आवश्यकता की पूर्ति हुई है या नहीं।
जैसे धन की व्यवस्था करके जब हम आहार पर व्यय करते हैं और इस व्यय को नियन्त्रित भी रखते हैं तो अन्त में हमें देखना होगा कि मुद्रा के उपयोग से हमारी संतुलित आहार पाने की आवश्यकता पूर्ण हुई है अथवा नहीं। यदि हमारी आवश्यकता पूर्ण नहीं हुई है तो उसका क्या कारण है जिससे आगामी मास की व्यवस्था करते समय उन कारणों को दूर किया जा सके।
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