इयत्ता ११ हिंदी मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीला मराठी स्वाध्याय PDF |
या लेखात, आम्ही हिंदी मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीला विषयासाठी इयत्ता ११ मराठी सोल्यूशन्स देऊ. इयत्ता ११ मधील विद्यार्थी पाठ्यपुस्तकांमध्ये उपस्थित असलेल्या व्यायामांसाठी प्रश्न आणि उत्तरे डाउनलोड आणि कॉपी करण्यास सक्षम असतील.
इयत्ता ११ हिंदी मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीलााच्या पुस्तकात महाराष्ट्र बोर्डाच्या अभ्यासक्रमातील सर्व प्रश्नांचा समावेश आहे. येथे सर्व प्रश्न पूर्ण स्पष्टीकरणासह सोडवले आहेत आणि डाउनलोड करण्यासाठी विनामूल्य उपलब्ध आहेत. महाराष्ट्र बोर्ड इयत्ता ११ हिंदी मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीलााचे पुस्तक खाली दिले आहे. आम्हाला आशा आहे की आमच्या इयत्ता ११ वीच्या हिंदी मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीलााचे पुस्तक तुमच्या अभ्यासात मदत करेल! जर तुम्हाला आमचे इयत्ता ११ चे पुस्तक आवडले असेल तर कृपया ही पोस्ट शेअर करा.
इयत्ता ११ हिंदी मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीला स्वाध्याय
मंडळाचे नाव |
Maharashtra Board |
ग्रेडचे नाव |
११ |
विषय |
हिंदी मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीला |
वर्ष |
2022 |
स्वरूप |
PDF/DOC |
प्रदाता |
|
अधिकृत संकेतस्थळ |
mahahsscboard.in |
समाधानासह महाराष्ट्र बोर्ड आठवा स्वाध्याय कसे डाउनलोड करायचे?
महाराष्ट्र बोर्ड ११ स्वाध्याय PDF डाउनलोड करण्यासाठी खालील स्टेप्स फॉलो करा:
- वेबसाइट- Hsslive ला भेट द्या. 'स्वाध्याय' लिंकवर क्लिक करा.
- महा बोर्ड ११ स्वाध्याय PDF पहा.
- आता महाराष्ट्र बोर्ड ११ स्वाध्याय तपासा.
- डाउनलोड करा आणि भविष्यातील संदर्भांसाठी जतन करा.
इयत्ता ११ हिंदी मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीला स्वाध्याय उपाय
इयत्ता ११ स्वाध्याय मधील विद्यार्थी खालील लिंक्सवरून हिंदी मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीलााचे उपाय डाउनलोड करू शकतील.
आकलन
1. लिखिए :
प्रश्न अ.
यशोदा अपने पुत्र को शांत करती हुई कहती हैं –
………………………………………………………….
………………………………………………………….
उत्तर :
हे चंदा जल्दी से आ जाओ। तुम्हें मेरा लाल बुला रहा है। मेरा लाल मधु मेवा स्वयं भी खाएगा और तुम्हें भी खिलाएगा।
प्रश्न आ.
निम्नलिखित शब्दों से संबंधित पद में समाहित एक-एक पंक्ति लिखिए –
(१) फल : ………………………………………………………….
(२) व्यंजन : ………………………………………………………….
(३) पान : ………………………………………………………….
उत्तर :
(a) फल : खारिक दाख खोपरा खीरा।
केरा आम ऊख रस सीरा।।
(b) व्यंजन : रचि पिराक लड्डू दधि आनौं।
तुमकौं भावत पुरी संधानौ।।
(c) पान : तब तमोल रचि तुमहिं खवावौं।
सूरदास पनवारौ पावौं।।
काव्य सौंदर्य
2.
प्रश्न अ.
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव सौंदर्य स्पष्ट कीजिए –
“जलपुट आनि धरनि पर राख्यौ।
गहि आन्यौ वह चंद दिखावै॥”
उत्तर :
बालक कृष्ण को माता यशोदा कह तो देती है कि, “तुम जल्दी से चुप हो जाओ। मैं चंद्रमा को तुम्हारे साथ खेलने के लिए बुला रही हूँ।” पर अब यह चंद्रमा बालक कृष्ण की पकड़ में आए कैसे..? गहि आन्यौ… पंक्ति में माँ का बड़ा ही सुंदर भाव प्रकट हुआ है।
माँ अपनी युक्ति लगाती है – बड़े बर्तन में पानी रखकर चंद्रमा को अपने आँगन में उतार लेती है। यशोदा कहती है यह लो लल्ला, पकड़ लाई चंद्रमा को.. यहाँ चंद्रमा का मानवीकरण किया गया है। वात्सल्य रस की निष्पत्ति हुई है।
प्रश्न आ.
निम्नलिखित पंक्तियों का भावार्थ स्पष्ट कीजिए –
“रचि पिराक, लड्डू, दधि आनौं।
तुमको भावत पुरी संधानौं।”
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्तियाँ सूरदास जी द्वारा रचित बाल लीला पद से ली गई हैं। इस पद में माता यशोदा कृष्ण को जलपान करने की मनुहार करती है। कहती है – “देखो तुम्हारे लिए क्या-क्या बना लाई हूँ। मैं एक नहीं तुम्हारी पसंद के सभी व्यंजन एक साथ बना लाई हूँ। गुझिया, लड्डू, पूरी, अचार और दही भी लाई हूँ।
अभिव्यक्ति
3. ‘माँ ममता का सागर होती है’, इस उक्ति में निहित विचार अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
ईश्वर सभी जगह नहीं पहुँच सकता, इसलिए उसने माँ का निर्माण किया है। माँ की ममता ही व्यक्ति को जीवन में सबल और सार्थक बनाती है। माँ की ममता व्यक्ति के जीवन की वह नींव है जिसके आधार पर ही वह जीवन की इमारत खड़ी करता है। माँ की तुलना किसी से नहीं की जा सकती। वह अमूल्य हीरा है, निच्छल, निष्कपट, पवित्र। उसका प्यार व्यक्ति को धनवान बना देता है। माँ की ममता के बारे में जितना भी कुछ कहा जाए सब कम है। जैसे सागर की गहराई को नहीं नापा जा सकता वैसे ही माँ की ममता को भी कुछ शब्दों में बयाँ नहीं किया जा सकता।
रसास्वादन
4. बाल हठ और वात्सल्य के आधार पर सूर के पदों का रसास्वादन कीजिए।
उत्तर :
(i) शीर्षक : बाल लीला
(ii) रचनाकार : संत सूरदास
(iii) केंद्रीय कल्पना : प्रस्तुत कविता में कविवर्य संत सूरदास जी ने कृष्ण के बाल हठ एवं यशोदा मैया की वात्सल्य मूर्ति को अंकित किया है। प्रथम पद में यशोदा मैया कृष्ण का चाँद पाने का हठ भी पूरा करती है तो द्वितीय पद में यशोदा कृष्ण को कलेवा कराने हेतु दुलारती दिखाई देती है। कृष्ण की पसंद के विभिन्न स्वादिष्ट व्यंजन सामने रखकर वह कृष्ण की मनुहार कर रही है।
(iv) रस-अलंकार : प्रस्तुत पद गेय शैली में लिखे गए हैं। इनमें वात्सल्य रस की निष्पत्ति हुई है।
(v) प्रतीक विधान : सूरदास स्वयं को माता यशोदा मानते हैं और अपने आराध्य को बालक कृष्ण समझकर कृष्ण के बाल हठ को पूरा कर रहे हैं तथा उन्हें भोजन कराने का प्रयत्न कर रहे हैं।
(vi) कल्पना : प्रथम पद में चाँद को शरीर धारण कर कृष्ण के साथ खेलने की कल्पना की है।
(vii) पसंद की पंक्तियाँ तथा प्रभाव :
‘जलपुट आनि धरनी पर राख्यौ, गहि आन्यौ वह चंद दिखावै।
सूरदास प्रभु हँसि मुसक्याने, बार-बार दोऊ कर नावै।।
सूरदास जी इस पद में कह रहे हैं कि यशोदा हाथ में पानी का बरतन उठाकर लाई है। वे चंद्रमा से कहती हैं कि, ‘तुम शरीर धारण कर आ जाओ।’ फिर उन्होंने जल का पात्र भूमि पर रख दिया और कृष्ण से कहा, “देखो मैं वह चंद्रमा पकड़ लाई हूँ। तब सूरदास के प्रभु कृष्ण हँस पड़े और मुस्कराते हुए उस पात्र में बार-बार दोनों हाथ डालने लगे। कितनी सुंदर कल्पना की है यहाँ सूरदास जी ने।
(viii) कविता पसंद आने के कारण : मुझे यह कविता पसंद है, क्योंकि यहाँ वात्सल्य रस के साथ-साथ सूरदास जी का अपने आराध्य के प्रति भक्ति भाव भी स्पष्ट दिखाई देता है। उन्होंने अपने आराध्य को बालक के रूप में देखा और माता के समान स्नेह देते हुए भक्ति की है। माँ के जैसे ही वे कृष्ण को कहते हैं, “उठिए स्याम कलेऊ की जै।” यही भक्ति की चरम सीमा है।
साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान
5. जानकारी दीजिए:
प्रश्न अ.
संत सूरदास के प्रमुख ग्रंथ –
उत्तर :
‘सूरसागर’, ‘सूर सारावली’
प्रश्न आ.
संत सूरदास की रचनाओं के प्रमुख विषय –
उत्तर :
कृष्ण की बाललीलाएँ (वात्सल्य रस)
सगुण और निर्गुण भक्ति (भक्ति रस)
वियोग श्रृंगार (श्रृंगार रस)
रस
हास्य – जब काव्य में किसी की विचित्र वेशभूषा, अटपटी आकृति, क्रियाकलाप, रूप-रंग, वाणी एवं व्यवहार को देखकर, सुनकर, पढ़कर हृदय में हास का भाव उत्पन्न होता है, वहाँ हास्य रस की निर्मिति होती है।
उदा. –
(१) तंबुरा ले मंच पर बैठे प्रेमप्रताप,
साज मिले पंद्रह मिनट, घंटा भर आलाप।
घंटा भर आलाप, राग में मारा गोता,
धीरे-धीरे खिसक चुके थे सारे श्रोता।।
– काका हाथरसी
(२) मैं ऐसा शूर वीर हूँ, पापड़ तोड़ सकता हूँ।
अगर गुस्सा आ जाए तो कागज मरोड़ सकता हूँ।।
– अजमेरी लाल महावीर
वात्सल्य – जब काव्य में अपनों से छोटों के प्रति स्नेह या ममत्व भाव अभिव्यक्त होता है, वहाँ वात्सल्य रस की निर्मिति होती है।
उदा. –
(१) जसोदा हरि पालनैं झुलावै।
हलरावे दुलराइ मल्हावै, जोइ सोइ कछु गावै।।
– सूरदास
(२) ठुमक चलत रामचंद्र, बाजत पैंजनियाँ।
किलकि किलकि उठत धाय, गिरत भूमि लटपटाय।
धाय मात गोद लेत, दशरथ की रनियाँ।।
– तुलसीदास
Yuvakbharati Hindi 11th Textbook Solutions Chapter 5.2 मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीला Additional Important Questions and Answers
कृतिपत्रिका
(अ) निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
पद्यांश : बार-बार ……………………………………………………………………………………………………………. दोऊ कर नावें (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 24) |
प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
उत्तर :
प्रश्न 2.
आशय स्पष्ट कीजिए :
(i) “गहि आन्यो वह चंद दिखावै”
उत्तर :
माँ यशोदा कृष्ण को समझा रही है पहले तो वह कहती है कि, “देखो मेरे लाल, तुम कभी रोना मत। तुम्हें खेलने के लिए मैं चंद्रमा को धरती पर बुलाऊँगी।” चंद्रमा का और बाल मन का कुछ प्राकृतिक आकर्षण है। प्रत्येक छोटा बालक चंद्रमा को प्राप्त करने (हाथ से छूने की) की अभिलाषा रखता है।
माँ यशोदा एक बड़े बर्तन में पानी भरकर आँगन में रख देती है और कृष्ण से कहती है, “मेरे लाल ये देखो मैं चंद्रमा को पकड़ लाई, अब जितनी देर तक मन करे उतनी देर तक तुम चंद्रमा के साथ खेल सकते हो।’ इस पंक्ति में चंद्रमा को धरती पर ले आने का भाव व्यक्त हुआ है।
प्रश्न 3.
पद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
यशोदा अपने पुत्र कृष्ण को चुप करा रही है। स्वभावत: जब बच्चे रोने लगते हैं तो माताएँ कुछ कहकर या लोरी सुनाकर उन्हें चुप कराने का प्रयास करती हैं। वैसे ही माता यशोदा कहती है कि, “तुम जल्दी से, चुप हो जाओ, मैं चंदा को बुला रही हूँ। अगर तुम रोते रहे तो चंद्रमा नीचे नहीं आएगा।
आ जाओ, चंदा जल्दी से आ जाओ। मेरा लाल तुम्हें बुला रहा है। स्वयं भी छप्पन भोग खाएगा और तुम्हें भी खिलाएगा।” यशोदा कृष्ण की पसंदीदा मक्खन, मिसरी, मेवा का नाम इसलिए लेती है कि यह सुनते ही कृष्ण चुप हो जाएँगे। “मेरे लल्ला को तुम्हारे साथ खेलना बहुत अच्छा लगेगा, हाँ, तुम चिंता ना करो, मेरा लाल तुम्हे अपने हाथ (हथेली) पर ही रखकर खेलेगा, नीचे तो कभी नहीं उतारेगा।”
यशोदा आँगन में पानी से भरा पात्र रखकर कृष्ण को चंद्रमा दिखाती है। कहती है, “लाल यह देखो, मैं चंद्रमा को पकड़कर ले आई।” सूरदास जी कहते हैं – ऐसा सुनकर मेरे प्रभु श्रीकृष्ण हँस पड़े और मुस्कराते हुए उस पात्र में बार-बार दोनों हाथ डालने लगे।
(आ) निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
पद्यांश : उठिए स्याम ……………………………………………………………………………………………………………. पनवारौ पावौं (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 24) |
प्रश्न 1.
जाल पूर्ण क्रीजिए :
उत्तर :
प्रश्न 2.
रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए :
(i) खोवा ………….. खाहु बलिहारी।
(ii) तुमकौं ……………. पुरी संधानौं।।
उत्तर :
सहित
भावत
प्रश्न 3.
पद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
प्रस्तुत पद्यांश “बाल-लीला” कविता से लिया गया है। इसके रचयिता सूरदास जी हैं। इस पद में माता यशोदा कृष्ण का लाड़ प्यार कैसे करती है, कैसे उनको जलपान कराती है आदि का विस्तार पूर्वक संवेदनाओं एवं भावनाओं के साथ वर्णन किया है।
माता यशोदा कहती है – “हे स्याम, मेरे मनमोहन उठो, जल्दी उठकर कलेवा (जलपान) कर लो। मेरे जीवन का आधार तो तुम ही हो। अर्थात् तुम्हें देखकर ही तो मैं जीवित हूँ। देखो, तुम्हारे जलपान के लिए नाना प्रकार के व्यंजन लाई हूँ।
छुहारा, दाख, खोपरा, आम, केला, ईख का रस, पूड़ी, अचार जो तुम्हें बहुत ही प्रिय है वह सब कुछ। जब पूरे व्यंजन खत्म कर दोगे तो मैं तुम्हें पान भी खिलाऊँगी।” यह माता-पुत्र के संवाद को सुनकर सूरदास जी अत्यंत प्रसन्न हो जाते हैं। मन-ही-मन आनंदित होते हैं कि अब उनको पान खिलाई मिलें।
इयत्ता ११ हिंदी स्वाध्याय उपाय
- इयत्ता ११ हिंदी प्रेरणा मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता ११ हिंदी लघु कथाएँ मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता ११ हिंदी पंद्रह अगस्त मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता ११ हिंदी मेरा भला करने वालों से बचाएँ मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता ११ हिंदी मध्ययुगीन काव्य (अ) भक्ति महिमा मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता ११ हिंदी मध्ययुगीन काव्य (आ) बाल लीला मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता ११ हिंदी कलम का सिपाही मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता ११ हिंदी स्वागत है ! मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता ११ हिंदी तत्सत मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता ११ हिंदी गजलें मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता ११ हिंदी महत्त्वाकांक्षा और लोभ मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता ११ हिंदी भारती का सपूत मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता ११ हिंदी सहर्ष स्वीकारा है मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता ११ हिंदी नक्कड़ नाटक मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता ११ हिंदी हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता ११ हिंदी समाचार : जन से जनहित तक मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता ११ हिंदी रेडियो जॉकी मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता ११ हिंदी ई – अध्ययन : नई दृष्टि मराठी स्वाध्याय PDF
0 Comments:
Post a Comment