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Monday, June 20, 2022

BSEB Class 11 Physics मात्रक एवं मापन Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Physics मात्रक एवं मापन Book Answers

BSEB Class 11 Physics मात्रक एवं मापन Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Physics मात्रक एवं मापन Book Answers
BSEB Class 11 Physics मात्रक एवं मापन Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Physics मात्रक एवं मापन Book Answers


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Bihar Board Class 11th Physics मात्रक एवं मापन Textbooks Solutions PDF

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Bihar Board Class 11th Physics मात्रक एवं मापन Books Solutions

Board BSEB
Materials Textbook Solutions/Guide
Format DOC/PDF
Class 11th
Subject Physics मात्रक एवं मापन
Chapters All
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Bihar Board Class 11 Physics मात्रक एवं मापन Text Book Questions and Answers

अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 2.1
रिक्त स्थान भरिए –
(a) किसी 1 cm भुजा वाले घन का आयतन ………… m3 के बराबर है।
(b) किसी 2 cm त्रिज्या व 10 cm ऊँचाई वाले सिलिंडर का पृष्ठ क्षेत्रफल ……… (mm)2 के बराबर है।
(c) कोई गाड़ी 18 km/h की चाल से चल रही है तो यह 1 s में ………. m चलती है।
(d) सीसे का आपेक्षिक घनत्व 11.3 है। इसका घनत्व – g cm-3 या ………. kg m-3 है।
उत्तर:
(a) घन का आयतन = (भुजा)3 = (1 सेमी)3
= (1100 मी)3 [∴ 1 सेमी = 1100 मी]

(b) सिलिंडर का पृष्ठ क्षेत्रफल
= वक्र पृष्ठ का क्षे० × वृत्तीय सिरों का क्षे०
= 2πr (h + r)
= 2 × 3.14 × 2 सेमी (10 सेमी + 2 सेमी)
= 2 × 3.14 × 2 × 12 वर्ग सेमी
= 150.72 सेमी2 = 150.72 × (10)2 वर्ग मिम
= 1.5 × 104 वर्ग मिमी

(c) गाड़ी की चाल = 18 किमी/घण्टा
= 18 × 518 मी/सेकण्ड = 5 मीटर/सेकण्ड
∴ 1 सेकण्ड में चली दूरी = चाल × समय
= 5 मी/सेकण्ड × 1 सेकण्ड = 5 मीटर

(d) सीसे का घनत्व
= सीसे का आपेक्षिक घनत्व × जल का घनत्व
= 11.3 × 1 ग्राम/सेमी3
= 11.3 ग्राम/सेमी3
= 11.3 (11000 किग्रा)/1100 मीटर)3
= 11.13 × 1014 किग्रा प्रति मीटर3

प्रश्न 2.2
रिक्त स्थानों को मात्रकों के उचित परिवर्तन द्वारा भरिए –
(a) 1 kg m2s-2 = ………. g cm2s-2
(b) 1 m = …… ly
(c) 3.0 ms-2 = ………. Kmh-2
(d) G = 6.67 × 10-11 Nm (kg)-2 = ……… (cm)3s-2g-1
उत्तर:
(a) 1 kg m2 = 1kg × 1 m2s-2
= (100 gm) × (100 cm)2 × 18-2
= 107 gm cm2s-2
1 ly (light year) = 9.46 × 1015 मीटर

(b) ∵ 1 मीटर = 19.46×1015
= 1.06 × 10-16 ly

(c) 3 m-2 = 3m × 1s-2
= (3100)km(160×60h)2
= 3.9 × 104 km h-2

(d) G = 6.67 × 10-11 Nm2 (kg)-2
= 6.67 × 10-11 N – m2 × (1𝑘𝑔)2
= 6.67 × 10-11 (kg ms-2) × 1𝑘𝑔
= 6.67 × 10-11 × m3s-2 × 1𝑘𝑔
= 6.67 × 10-11 × 11000𝑔𝑚 × (100)3 × s-2
= 6.67 × 10-8 (cm)3 s-2 g-1

प्रश्न 2.3
ऊष्मा (परागमन में ऊर्जा) का मात्रक कैलोरी है और यह लगभग 4.2 J के बराबर है। जहाँ 1 J = 1kg m2s-2 मान लीजिए कि हम मात्रकों की कोई ऐसी प्रणाली उपयोग करते हैं जिससे द्रव्यमान का मात्रक αkg के बराबर है, लंबाई का मात्रक βm के बराबर है, समय का मात्रक γs के बराबर है। यह प्रदर्शित कीजिए कि नए मात्रकों के पदों में कैलोरी का परिमाण 4.2 α-1 β-1
γ2 है।
उत्तर:
1 कैलोरी = 4.2 जूल = 4.2 किग्रा-मीटर2 प्रति सेकण्ड।
हम जानते हैं कि ऊर्जा का विमीय सूत्र = [ML2T2]
माना कि दो अलग-अलग मापन पद्धतियों के द्रव्यमान के मात्रक M1 व M2 लम्बाई के मात्रक L1 व L2 एवम् समय के मात्रक T1 व T2 है।
प्रश्नानुसार M1 = 1 किग्रा
L1 = 1 मीटर
T1 = 1 सेकण्ड, तथा M2 = α किग्रा
L2 = β मीटर
T2 = γ सेकण्ड
इस प्रकार

अर्थात् दूसरी मापन पद्धति में 1 कैलोरी का मान 4.2 α-1β-2γ+2

प्रश्न 2.4
इस कथन की स्पष्ट व्याख्या कीजिए:
तुलना के मानक का विशेष उल्लेख किए बिना “किसी विमीय राशि को ‘बड़ा’ या ‘छोटा’ कहना अर्थहीन है।” इसे ध्यान में रखते हुए नीचे दिए गए कथनों को जहाँ कहीं भी आवश्यक हो, दूसरे शब्दों में व्यक्त कीजिए:
(a) परमाणु बहुत छोटे पिण्ड होते हैं।
(b) जेट वायुयान अत्यधिक गति से चलता है।
(c) बृहस्पति का द्रव्यमान बहुत ही अधिक है।
(d) इस कमरे के अंदर वायु में अणुओं की संख्या बहुत अधिक है।
(e) इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन से बहुत भारी होता है।
(f) ध्वनि की गति प्रकाश की गति से बहुत ही कम होती है।
उत्तर:
दिया गया कथन सत्य है। सामान्यतः हम कहते हैं कि परमाणु बहुत छोटा पिण्ड है। लेकिन इलेक्ट्रॉन परमाणु से भी छोटा कण है। तब यह भी कह सकते हैं कि इलेक्ट्रॉन की अपेक्षा परमाणु एक बड़ा पिण्ड है। जबकि टेनिस गेंद की तुलना में परमाणु बहुत छोटा पिण्ड है। इस प्रकार हम देखते हैं कि परमाणु को किसी एक वस्तु की अपेक्षा बहुत छोटा कह सकते है जबकि इलेक्ट्रॉन की तुलना में बड़ा पिण्ड का संकेत है।
(a) आलपिन की नोक की तुलना में परमाणु बहुत छोटे पिण्ड होते हैं।
(b) रेलगाड़ी की तुलना में जेट वायुयान अत्यधिक गति से चलता है।
(c) बृहस्पति का द्रव्यमान पृथ्वी की तुलना में बहुत अधिक होता है।
(d) इस कमरे के अन्दर वायु में अणुओं की संख्या वायु के एक ग्राम अणु में उपस्थित अणुओं से काफी अधिक है।
(e) यह कथन सही है।
(f) यह कथन सही है।

प्रश्न 2.5
लंबाई का कोई ऐसा नया मात्रक चुना गया है जिसके अनुसार निर्वात में प्रकाश की चाल 1 है। लम्बाई के नए मात्रक के पदों में सूर्य तथा पृथ्वी के बीच की दूरी कितनी है, प्रकाश इस दूरी को तय करने में 8 min और 20 s लगाता है।
उत्तर:
प्रश्नानुसार प्रकाश की चाल = 1 मात्रक प्रति सेकण्ड
प्रकाश द्वारा लिया गया समय, t = 8 मिनट 20 सेकण्ड
= 8 × 60 + 20 = 500 सेकण्ड
∴ सूर्य एवम् पृथ्वी के मध्य दूरी
= प्रकाश की चाल × लिया गया समय
= 1 मात्रक प्रति सेकण्ड × 500 सेकण्ड
= 500 मात्रक

प्रश्न 2.6
लंबाई मापने के लिए निम्नलिखित में से कौन-सा सबसे परिशुद्ध यंत्र है:
(a) एक वर्नियर कैलीपर्स जिसके वर्नियर पैमाने पर 20 विभाजन हैं।
(b) एक स्क्रूगेज जिसका चूड़ी अंतराल 1 mm और वृत्तीय पैमाने पर 100 विभाजन है।
(c) कोई प्रकाशिक यंत्र जो प्रकाश की तरंग दैर्ध्य की सीमा के अंदर लंबाई माप सकता है।
उत्तर:
(a) वर्नियर कैलीपर्स का अल्पतमांक

= 0.005 सेमी

(b) स्क्रूगेज की अल्पतमांक

= 0.001 सेमी

(c) चूँकि प्रकाशिक यन्त्र द्वारा प्रकाश की तरंग दैर्ध्य की सीमा के अन्दर लम्बाई मापी जा सकती है। अतः इसकी अल्पतमांक
= 10-7 मीटर
= 10-5 सेमी
अर्थात् प्रकाशिक यन्त्र की अल्पतमांक सबसे कम है। इस कारण यह सर्वाधिक परिशुद्ध यन्त्र है।

प्रश्न 2.7
कोई छात्र 100 आवर्धन के एक सूक्ष्मदर्शी के द्वारा देखकर मनुष्य के बाल की मोटाई मापता है। वह 20 बार प्रेक्षण करता है और उसे ज्ञात होता है कि सूक्ष्मदर्शी के दृश्य क्षेत्र में बाल की औसत मोटाई 3.5 mm है। बाल की मोटाई का अनुमान क्या है?
उत्तर:
हम जानते हैं कि, सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता

अतः बाल की अनुमानित मोटाई = 0.035 मिमी।

प्रश्न 2.8
निम्नलिखित के उत्तर दीजिए:
(a) आपको एक धागा और मीटर पैमाना दिया जाता है। आप धागे के व्यास का अनुमान किस प्रकार लगाएंगे?
(b) एक स्क्रूगेज का चूड़ी अंतराल 1.0 mm है और उसके वृत्तीय पैमाने पर 200 विभाजन हैं। क्या आप यह सोचते हैं कि वृत्तीय पैमाने पर विभाजनों की संख्या स्वेच्छा से बढ़ा देने पर स्क्रूगेज की यथार्थता में वृद्धि करना संभव है?
(c) वर्नियर कैलीपर्स द्वारा पीतल की किसी पतली छड़ का माध्य व्यास मापा जाना है। केवल 5 मापनों के समुच्चय की तुलना में व्यास के 100 मापनों के समुच्चय के द्वारा अधिक विश्वसनीय अनुमान प्राप्त होने की संभावना क्यों हैं?
उत्तर:
(a) एक बेलनाकार छड़ लेकर, इसके ऊपर धागे को सटाकर लपेटते हैं। धागे के फेरों द्वारा घेरी गई छड़ की लम्बाई का मीटर पैमाने द्वारा माप लेते हैं। माना लपेटे गए फेरों की संख्या 20 है।
अतः धागे का व्यास = 𝑙20
20 इस प्रकार धागे का व्यास ज्ञात हो सकता है।

(b) हम जानते हैं कि स्क्रूगेज का अल्पतमांक

प्रश्नानुसार स्क्रूगेज पर बने विभाजनों (भागों) की संख्या बढ़ा देने से, स्क्रूगेज का अल्पतमांक घटेगा अर्थात् यथार्थता बढ़ेगी।

(c) हम जानते हैं कि, प्रेक्षणों की माध्य निरपेक्ष त्रुटि,

उपरोक्त सूत्र के अनुसार प्रेक्षणों की संख्या बढ़ाने से माध्य निरपेक्ष त्रुटि घटेगी। अर्थात् अधिक प्रेक्षणों द्वारा प्राप्त, छड़ का माध्य व्यास अधिक विश्वसनीय होगा।

प्रश्न 2.9
किसी मकान का फोटोग्राफ 35 mm स्लाइड पर 1.75 cm2 क्षेत्र घेरता है। स्लाइड को किसी स्क्रीन पर प्रक्षेपित किया जाता है और स्क्रीन पर मकान का क्षेत्रफल 1.55 m2 है। प्रक्षेपित्र-परदा व्यवस्था का रेखीय आवर्धन क्या हैं?
उत्तर:
दिया है:
स्लाइड पर मकान का क्षेत्रफल = 1.75 वर्ग
सेमी स्क्रीन पर मकान का क्षेत्रफल = 1.55 वर्ग मीटर
= 1.55 × (100 सेमी)2
= 1.55 × 10000 सेमी2
= 15500 सेमी2

= 8857‾‾‾‾‾√ = 94.1

प्रश्न 2.10
निम्नलिखित में सार्थक अंकों की संख्या लिखिए:
(a) 0.007 m2
(b) 2.64 × 1024 kg
(c) 0.2370 g cm-3
(d) 6.320 J
(e) 6.032 Nm-2
(f) 0.0006032 m2
उत्तर:
(a) 1
(b) 3
(c) 4
(d) 4
(e) 4
(f) 4

प्रश्न 2.11
धातु की किसी आयताकार शीट की लंबाई, चौड़ाई व मोटाई क्रमशः 4.234 m, 1.005 m व 2.01 cm है। उचित सार्थक अंकों तक इस शीट का क्षेत्रफल व आयतन ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है:
लम्बाई a = 4.234
मीटर चौड़ाई b = 1.005 मीटर
मोटाई c = 2.01 सेंटीमीटर
शीट का पृष्ठ क्षेत्रफल = 2 (ab + bc + ca)
= 2[4.234 × 1.005 + 1.005 × 2.01 + 2.01 × 4.234]
= 8.7209478 मी2
= 8.72 मीटर2
चूँकि मोटाई में न्यूनतम सार्थक अंक (i.e., 3) है।
शीट का आयतन = a × b × c
= 4.234 × 1.005 × 0.0201 मी3
= 0.0855 मीटर3

प्रश्न 2.12
पंसारी की तुला द्वारा मापे गए डिब्बे का द्रव्यमान 2.300 kg है। सोने के दो टुकड़े जिनका द्रव्यमान 20.15 g व 20.17 g है, डिब्बे में रखे जाते हैं।
(a) डिब्बे का कुल द्रव्यमान कितना है
(b) उचित सार्थक अंकों तक टुकड़ों के द्रव्यमानों में कितना अंतर हैं?
उत्तर:
(a) दिया है: डिब्बे का द्रव्यमान m = 2.300 किग्रा
पहले टुकड़े का द्रव्यमान m1 = 20.15 ग्राम
= 0.02015 किग्रा
दूसरे टुकड़े का द्रव्यमान m2 = 20.17 ग्राम = 0.02017 किग्रा
∴ टुकड़े रखने के बाद डिब्बे का कुल द्रव्यमान
M = m + m1 + m2
= 2.300 + 0.02015 + 0.02017
= 2.34032 किग्रा
चूँकि डिब्बे के द्रव्यमान में न्यूनतम सार्थक अंक 4 है। अतः डिब्बे के कुल द्रव्यमान का अधिकतम चार सार्थक अंकों में पूर्णांक करना चाहिए।
∴कुल द्रव्यमान = 2.340 किग्रा

(b) द्रव्यमानों में अन्तर
∆m = m2 – m1
= 20.17 – 20.15
= 0.02 ग्राम
चूँकि अधिकतम सार्थक अंक 4 हैं। अतः इनके अन्तर का दशमलव के दूसरे स्थान तक अर्थात् 0.02 ग्राम होगा।

प्रश्न 2.13
कोई भौतिक राशि P, चार प्रेक्षण-योग्य राशियों a, b, c तथा d से इस प्रकार संबंधित हैं:
P = 𝑎3𝑏2(𝑐√𝑑)
a, b, c तथा d के मापने में प्रतिशत त्रुटियाँ क्रमशः 1%, 3%,4% तथा 2% हैं। राशि P में प्रतिशत त्रुटि कितनी है? यदि उपर्युक्त संबंध का उपयोग करके P का परिकलित मान 3.763 आता है, तो आप परिणाम का किस मान तक निकटन करेंगे?
उत्तर:
दिया है:
P = 𝑎3𝑏2(𝑐√𝑑)
P के मान में % त्रुटि

= 3 × 1% + 2 × 3% + 12 × 4% + 2%
= 3% + 6% + 2% + 2%
= 13%
∴ ∆𝑃𝑃 = 13
∴ ∆P = 13×𝑃100 = 13×3.763100
= 0.4891
= 0.489 (उचित सार्थक अंक तीन तक)
अतः P के मान में त्रुटि 0.489 है। इससे स्पष्ट है कि P के मान में दशमलव के पहले स्थान पर स्थित अंक ही संदिग्ध है। अर्थात् P के मान को दशमलव के दूसरे स्थान तक लिखना कार्य है। अत: P के मान का दशमलव के पहले स्थान तक ही पूर्णांकन करना होगा।

प्रश्न 2.14
किसी पुस्तक में, जिसमें छपाई की अनेक त्रुटियाँ हैं,आवर्त गति कर रहे किसी कण के विस्थापन के चार भिन्न सूत्र दिए गए हैं:
(a) y = a sin 2πt/T
(b) y = a sin vt
(c) y = (a/T) sin t/a
(d) y = (a2‾√) (sin 2πt/T + cos 2πt/T)
(a = कण का अधिकतम विस्थापन, v = कण की चाल, T = गति का आवर्त काल)। विमीय आधारों पर गलत सूत्रों को निकाल दीजिए।
उत्तर:
किसी भी त्रिकोणमितीय फलन का कोण एक विमाहीन राशि होती है।
(a) सही है।
(b) ∵ vt विमाहीन नहीं है। अतः यह सूत्र गलत है।
(c) ∵ t/ a विमाहीन नहीं है। अतः यह सूत्र गलत है।
(d) सही है।
∴ P का निकटतम मान = 3.763 = 3.8

प्रश्न 2.15
भौतिकी का एक प्रसिद्ध संबंध किसी कण के ‘चल द्रव्यमान (moving mass) m, ‘विराम द्रव्यमान (rest mass)’ m0, इसकी चाल और प्रकाश की चाल के बीच है। (यह संबंध सबसे पहले अल्बर्ट आइंस्टाइन के विशेष आपेक्षिकता के सिद्धांत के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुआ था।) कोई छात्र इस संबंध को लगभग सही याद करता है लेकिन स्थिरांक c को लगाना भूल जाता है। वह लिखता है:
m = 𝑚0(1−𝑣2)1/2 अनुमान लगाइए कि c कहाँ लगेगा?
उत्तर:
दिया है:
m = 𝑚0(1−𝑣2)1/2
(1 – v2)1/2 = 𝑚0𝑚
यहाँ दायाँ पक्ष विमाहीन है जबकि बायाँ पक्ष विमापूर्ण है। अतः सूत्र के सही होने के लिए बायाँ पक्ष भी विमाहीन होना है। अर्थात् (1 – v2)1/2 के स्थान पर (1 – v2/c2)1/2 होना चाहिए।
अर्थात् सही सूत्र m = 𝑚0(1−𝑣2/𝑐2)1/2 होगा।

प्रश्न 2.16
परमाण्विक पैमाने पर लम्बाई का सुविधाजनक मात्रक एंगस्ट्रम है और इसे Å : 1Å = 10-10 m द्वारा निर्दिष्ट किया जाता है। हाइड्रोजन के परमाणु का आमाप लगभग 0.5 Å है। हाइड्रोजन परमाणुओं के एक मोल का m3 में कुल आण्विक आयतन कितना होगा?
उत्तर:
हाइड्रोजन के एक अणु में दो परमाणु होते हैं।
∴ एक हाइड्रोजन अणु की त्रिज्या (r) = 1 हाइड्रोजन परमाणु का आमाप
= 0.5 Å
= 0.5 × 10-10 मीटर
∴ एक हाइड्रोजन अणु का आयतन
= 43 πr3 = 43 × 3.14 × 10.5 × 10-10 मी3
= 5.23 × 10-31 मीटर3
∴ 1 मोल हाइड्रोजन गैस में अणुओं की संख्या
= 6.023 × 1023
∴ 1 मोल हाइड्रोजन गैस में आण्विक आयतन = अणुओं की संख्या × एक अणु का आ०
= 6.023 × 1023 × 5.23 × 10-31 मीटर
= 3.15 × 10-7 मीटर

प्रश्न 2.17
किसी आदर्श गैस का एक मोल (ग्राम अणुक)मानक ताप व दाब पर 22.4L आयतन (ग्राम अणुक आयतन) घेरता है। हाइड्रोजन के ग्राम अणुक आयतन तथा उसके एक मोल के परमाण्विक आयतन का अनुपात क्या है? (हाइड्रोजन के अणु की आमाप लगभग 1Å मानिए)। यह अनुपात इतना अधिक क्यों है?
उत्तर:
∵ 1 मोल हाइड्रोजन गैस का NTP पर आयतन = 22.4 लीटर
= 22.4 × 10-3 मीटर-3
जबकि 1 मोल हाइड्रोजन गैस का NTP पर परमाण्विक आयतन = 3.15 × 10-7 मीटर3

= 7.11 × 104
इस अनुपात का मान अधिक होने का कारण है कि गैस का आयतन उसमें उपस्थित अणुओं के वास्तविक आयतन की अपेक्षा बहुत अधिक होता है। अर्थात् गैस के अणुओं के मध्य बहुत अधिक खाली स्थान होता है।

प्रश्न 2.18
इस सामान्य प्रेक्षण की स्पष्ट व्याख्या कीजिए:
यदि आप तीव्र गति से गतिमान किसी रेलगाड़ी की खिड़की से बाहर देखें तो समीप के पेड़, मकान आदि रेलगाड़ी की गति की विपरीत दिशा में तेजी से गति करते प्रतीत होते हैं, परन्तु दूरस्थ पिण्ड (पहाड़ियाँ, चंद्रमा, तारे आदि) स्थिर प्रतीत होते हैं। (वास्तव में, क्योंकि आपको ज्ञात है कि आप चल रहे हैं, इसलिए, ये दूरस्थ वस्तुएँ आपको अपने साथ चलती हुई प्रतीत होती हैं)।
उत्तर:
किसी वस्तु का हमारे सापेक्ष गति करते हुए प्रतीत होना, हमारे सापेक्ष वस्तु के कोणीय वेग पर निर्भर करता है। जबकि गाड़ी से यात्रा करते समय सभी वस्तुएँ समान वेग से हमारे पीछे की ओर गतिमान रहती है लेकिन समीप स्थित वस्तुओं का हमारे सापेक्ष कोणीय वेग ज्यादा होता है। अर्थात् वे वस्तुएँ तीव्र गति से पीछे की ओर जाती हुई प्रतीत होती हैं जबकि दूर स्थित वस्तुएँ हमारे सापेक्ष, कम कोणीय वेग से चलती हैं। इस प्रकार वे हमें लगभग स्थिर नजर आती हैं।

प्रश्न 2.19
समीपी तारों की दूरियाँ ज्ञात करने के लिए अनुभाग 2.3.1 में दिए गए’लंबन’ के सिद्धांत का प्रयोग किया जाता है। सूर्य के परितः अपनी कक्षा में छः महीनों के अंतराल पर पृथ्वी की अपनी दो स्थानों को मिलाने वाली, आधार रेखा AB है। अर्थात् आधार रेखा पृथ्वी की कक्षा के व्यास = 3 × 1011 m के लगभग बराबर है। लेकिन, चूँकि निकटतम तारे भी इतने अधिक दूर हैं कि इतनी लंबी आधार रेखा होने पर भी वे चाप के केवल 1” (सेकंड, चाप का) की कोटि का लंबन प्रदर्शित करते हैं। खगोलीय पैमाने पर लंबाई का सुविधाजनक मात्रक पारसेक है। यह किसी पिण्ड की वह दूरी है जो पृथ्वी से सूर्य तक की दूरी के बराबर आधार रेखा के दो विपरीत किनारों से चाप के 1” का लंबन प्रदर्शित करती है। मीटरों में एक पारसेक कितना होता है?
उत्तर:
दिए गए चित्र में S सूर्य तथा E पृथ्वी है। पृथ्वी बिन्दु P से 1 पारसेक की दूरी पर है। पृथ्वी की कक्षा की त्रिज्या

= 1.5 × 1011 मीटर
प्रश्नानुसार रेखाखण्ड SE, बिन्दु P पर 1” पर 1” का कोण अन्तरित करता है।
इस प्रकार,

प्रश्न 2.20
हमारे सौर परिवार से निकटतम तारा 4.29 प्रकाश वर्ष दूर है। पारसेक में यह दूरी कितनी है? यह तारा (एल्फा सेंटौरी नामक) तब कितना लंबन प्रदर्शित करेगा जब इसे सूर्य के परितः अपनी कक्षा में पृथ्वी के दो स्थानों से जो छः महीने के अन्तराल पर है, देखा जाएगा?
उत्तर:
तारे की सौर परिवार से दूरी = 4.29 प्रकाश वर्ष
= 4.29 × 9.46 × 1015 मीटर
[∴ 1 प्रकाश वर्ष = 9.46 × 1015 मीटर]

= 1.32 पारसेक
अभीष्ट लम्बन = 2Q
= 2 × तारे की सौर परिवार से दूरी
= 1.32 × 2
= 2.64 सेकण्ड चाप का।

प्रश्न 2.21
भौतिक राशियों का परिशुद्ध मापन विज्ञान की आवश्यकताएँ हैं। उदाहरण के लिए, किसी शत्रु के लड़ाकू जहाज की चाल सुनिश्चित करने के लिए बहुत ही छोटे समय-अंतरालों पर इसकी स्थिति का पता लगाने की कोई यथार्थ विधि होनी चाहिए। द्वितीय विश्व युद्ध में रेडार की खोज के पीछे वास्तविक प्रयोजन यही था। आधुनिक विज्ञान के उन भिन्न उदाहरणों को सोचिए जिनमें लंबाई, समय द्रव्यमान आदि के परिशुद्ध मापन की आवश्यकता होती है। अन्य जिस किसी विषय में भी आप बता सकते हैं, परिशुद्धता की मात्रात्मक धारणा दीजिए।
उत्तर:
द्रव्यमान का मापन:
द्रव्यमान स्पेक्ट्रम लेखी द्वारा परमाणुओं के द्रव्यमान का परिशुद्ध मापन किया जाता है।

लम्बाई का मापन:
विभिन्न यौगिकों के क्रिस्टलों में परमाणुओं के मध्य की दूरी का मापन करने के लिए लम्बाई के परिशुद्ध मापन की आवश्यकता होती है।

समय का मापन:
फोको विधि से किसी माध्यम में प्रकाश की चाल निकालने के प्रयोग में समय के परिशुद्ध मापन की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 2.22
जिस प्रकार विज्ञान में परिशुद्ध मापन आवश्यक है, उसी प्रकार अल्पविकसित विचारों तथा सामान्य प्रेक्षणों को उपयोग करने वाली राशियों के स्थूल आंकलन कर सकना भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है। उन उपायों को सोचिए जिनके द्वारा आप निम्नलिखित का अनुमान लगा सकते हैं: (जहाँ अनुमान लगाना कठिन है वहाँ राशि की उपरिसीमा पता लगाने का प्रयास कीजिए)।
(a) मानसून की अवधि में भारत के ऊपर वर्षाधारी मेघों का कुल द्रव्यमान।
(b) किसी हाथी का द्रव्यमान।
(c) किसी तूफान की अवधि में वायु की चाल।
(d) आपके सिर के बालों की संख्या।
(e) आपकी कक्षा के कमरे में वायु के अणुओं की संख्या।
उत्तर:
(a) भारत में कुल वर्षा का द्रव्यमान = बादल का द्रव्यमान
= औसत वर्षा × भारत का क्षेत्रफल × जल का घनत्व
= 10 सेमी × 3.3 × 1012 मीटर2 × 10 किग्रा मीटर-3
= 3.3 × 1014 किग्रा

(b) हाथी का द्रव्यमान लीवर के सिद्धान्त द्वारा निकाला जा सकता है। यह लगभग 3000 किग्रा होता है।

(c) किसी तूफान की अवधि में वायु द्वारा उत्पन्न दाब को मापकर, वायु की चाल ज्ञात की जा सकती है। तूफान की चाल लगभग 80 किमी प्रति घण्टा होती है। यह चाल 300 किमी प्रति घण्टा से अधिक भी हो सकती है।

(d) मनुष्य के बालों की संख्या

हम जानते हैं: बाल की मोटाई t = 5 × 10-3 सेमी
तथा मनुष्य के सिर की औसत त्रिज्या = 8 सेमी
∴ बालों की संख्या

(e) वायु के 1 मोल का NTP पर आयतन = 22.4 लीटर
= 22.4 × 10-3 मीटर3
माना कक्षा के कमरे का आयतन = V
= 5 × 4 × 3 (माना)
= 60 मी3
∴ कक्षा के कमरे में गैस अणुओं की संख्या

प्रश्न 2.23
सूर्य एक ऊष्म प्लाज्मा (आयनीकृत पदार्थ) है। जिसके आंतरिक क्रोड का ताप 107 K से अधिक और बाह्य पृष्ठ का ताप लगभग 6000 K है। इतने अधिक ताप पर कोई भी पदार्थ ठोस या तरल प्रावस्था में नहीं रह सकता। आपको सूर्य का द्रव्यमान घनत्व किस परिसर में होने की आशा है? क्या यह ठोसों, तरलों या गैसों के घनत्वों के परिसर में है? क्या आपका अनुमान सही है, इसकी जाँच आप निम्नलिखित आंकड़ों के आधार पर कर सकते हैं : सूर्य का द्रव्यमान = 2.0 × 1030 kg; सूर्य की त्रिज्या = 7.0 × 108 ml
उत्तर:
दिया है:
M = 2 × 1030 किग्रा
R = 7.0 × 108 मीटर

सूर्य का घनत्व – सूर्य का द्रव्यमान
= 1.4 × 103 किग्रा/घनमीटर
सूर्य का द्रव्यमान द्रवों/ठोस के घनत्व परिसर में होता है। यह गैसों के घनत्वों के परिसर में नहीं होता है। सूर्य की भीतरी पर्तों के कारण बाहरी पर्तों पर अंतर्मुखी गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ही गर्म प्लाज्मा का इतना अधिक घनत्व हो जाता है।

प्रश्न 2.24
जब बृहस्पति ग्रह पृथ्वी से 8247 लाख किलोमीटर दूर होता है, तो इसके व्यास की कोणीय माप 35.72” की चाप है। बृहस्पति का व्यास परिकलित कीजिए।
उत्तर:
दिया है:
पृथ्वी से बृहस्पति की दूरी = d
= 824.7 × 106 किमी
θ = 35.72″
= 35.72 × 4.85 × 10-6
रेडियन बृहस्पति का व्यास, D = ?
सूत्र कोण,

= 35.72 × 4.85 × 10-6 × 824.7 × 106
= 1.429 × 105 किमी।

प्रश्न 2.25
वर्षा के समय में कोई व्यक्ति चाल के साथ तेजी से चला जा रहा है। उसे अपने छाते को टेढ़ा करके ऊर्ध्व के साथ e कोण बनाना पड़ता है। कोई विद्यार्थी कोण eav के बीच निम्नलिखित संबंध व्युत्पन्न करता है:
tan θ = v और वह इस संबंध के औचित्य की सीमा पता लगाता है: जैसी कि आशा की जाती है यदि v → 0 तो θ → (हम यह मान रहे हैं कि तेज हवा नहीं चल रही है और किसी खड़े व्यक्ति के लिए वर्षा ऊर्ध्वाधरतः पड़ रही है। क्या आप सोचते हैं कि यह संबंध सही हो सकता है?यदि ऐसा नहीं हो तो सही संबंध का अनुमान लगाइए।
उत्तर:
दिया है:
tan θ = v
यह सम्बन्ध असत्य है क्योंकि इस सम्बन्ध में बायाँ पक्ष | विमाहीन है जबकि दाएँ पक्ष की विमा [LT-1] है। अतः दाएँ पक्ष में वर्षा की बूंदों के वेग से भाग देना चाहिए।
∴ सही सम्बन्ध tan θ = 𝑣𝑢 होगा।

प्रश्न 2.26
यह दावा किया जाता है कि यदि बिना किसी बाधा के 100 वर्षों तक दो सीज़ियम घड़ियों को चलने दिया जाए, तो उनके समयों में केवल 0.02 s का अंतर हो सकता है। मानक सीज़ियम घड़ी द्वारा 1s के समय अंतराल को मापने में यथार्थता के लिए इसका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
कुल समय = 100 वर्ष
= 100 × 365 × 24 × 60 × 60 सेकण्ड
समय में अन्तर = 0.2 सेकण्ड
∴ 1 सेकण्ड के मापन में त्रुटि

प्रश्न 2.27
एक सोडियम परमाणु का आमाप लगभग 2.5 Å मानते हुए उसके माध्य द्रव्यमान घनत्व का अनुमान लगाइए। (सोडियम के परमाण्वीय द्रव्यमान तथा आवोगाद्रो संख्या के ज्ञात मान का प्रयोग कीजिए।) इस घनत्व की क्रिस्टलीय प्रावस्था में सोडियम के घनत्व 970 kg m-3 के साथ तुलना कीजिए। क्या इन दोनों घनत्वों के परिमाण की कोटि समान है? यदि हाँ, तो क्यों?
उत्तर:
दिया है: सोडियम परमाणु की त्रिज्या (आमाप)
= 2.5 Å = 2.5 × 10-10 मीटर
सोडियम का ग्राम परमाणु भार = 23 ग्राम
= 23 × 10-3 किग्रा
एक ग्राम परमाणु में परमाणुओं की संख्या
= N = 6.023 × 1023
सोडियम के एक परमाणु का द्रव्यमान

सोडियम परमाणु का द्रव्यमान घनत्व

प्रश्न 2.28
नाभिकीय पैमाने पर लंबाई का सुविधाजनक मात्रक फर्मी है: (1f = 10-15 m)। नाभिकीय आमाप लगभग निम्नलिखित आनुभविक संबंध का पालन करते हैं:
r = r0A1/3
जहाँ r नाभिक की त्रिज्या, A इसकी द्रव्यमान संख्या और r0 कोई स्थिरांक है जो लगभग 1.2f के बराबर है। यह प्रदर्शित कीजिए कि इस नियम का अर्थ है कि विभिन्न नाभिकों के लिए नाभिकीय द्रव्यमान घनत्व लगभग स्थिर है। सोडियम नाभिक के द्रव्यमान घनत्व का आंकलन कीजिए।
उत्तर:
दिया है:
नाभिक की त्रिज्या

परन्तु सोडियम परमाणु का माध्य घनत्व
= 5.84 × 102 किग्रा प्रति मीटर2 [प्रश्न सं० 2.27 से]

= 1015
उपरोक्त परिणाम से स्पष्ट है कि सोडियम नाभिक का घनत्व उसके परमाणु के घनत्व से लगभग 1015 गुना अधिक है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि परमाणु का अधिकांश भाग खोखला है। एवम् उसका अधिकांश द्रव्यमान उसके नाभिक में ही निहित है।

= 584 किग्रा/मीटर3

प्रश्न 2.29
लेसर (LASER), प्रकाश के अत्यधिक तीव्र एकवर्णी तथा एकदिश किरण-पुंज का स्त्रोत है। लेसर के इन गुणों का लंबी दूरियाँ मापने में उपयोग किया जाता है। लेसर को प्रकाश के स्त्रोत के रूप में उपयोग करते हुए पहले ही चंद्रमा की पृथ्वी से दूरी परिशुद्धता के साथ ज्ञात की जा चुकी है। कोई लेसर प्रकाश किरण-पुंज चंद्रमा के पृष्ठ से परावर्तित होकर 2.56s में वापस आ जाता है। पृथ्वी के परितः चंद्रमा की कक्षा की त्रिज्या कितनी है?
उत्तर:
दिया है: लेसर प्रकाश द्वारा लिया गया समय,
t = 2.56 सेकण्ड
माना चन्द्रमा की कक्षा की त्रिज्या = r
अतः लेसर प्रकाश द्वारा चली दूरी = 2r
प्रकाश की चाल, c = 3 × 108 मीटर/सेकण्ड
सूत्र,

प्रश्न 2.30
जल के नीचे वस्तुओं को ढूँढ़ने व उनके स्थान का पता लगाने के लिए सोनार (SONAR) में पराश्रव्य तरंगों का प्रयोग होता है। कोई पनडुब्बी सोनार से सुसज्जित है। इसके द्वारा जनित अन्वेषी तरंग और शत्रु की पनडुब्बी से परावर्तित इसकी प्रतिध्वनि की प्राप्ति के बीच काल विलंब 77.0s है। शत्रु की पनडुब्बी कितनी दूर है? (जल में ध्वनि की चाल = 1450 ms-1)
उत्तर:
दिया है:
ध्वनि द्वारा लिया गया समय = 77 सेकण्ड
जल में ध्वनि की चाल = 1450 मीटर/सेकण्ड
माना पनडुब्बी की दूरी = x
∴ ध्वनि तरंगों द्वारा चली गई दूरी = 2x
सूत्र चाल = दूरी से,

= 55825 मीटर
= 55.83 × 103 मीटर
= 55.83 किमी

प्रश्न 2.31
हमारे विश्व में आधुनिक खगोलविदों द्वारा खोजे गए सर्वाधिक दूरस्थ पिण्ड इतनी दूर हैं कि उनके द्वारा उत्सर्जित प्रकाश को पृथ्वी तक पहुँचने में अरबों वर्ष लगते हैं। इन पिंडों (जिन्हें क्वासर (Quasar) कहा जाता है) के कई रहस्यमय लक्षण हैं जिनकी अभी तक संतोषजनक व्याख्या नहीं की जा सकी है। किसी ऐसे क्वासर की km में दूरी ज्ञात कीजिए जिससे उत्सर्जित प्रकाश को हम तक पहुँचने में 300 करोड़ वर्ष लगते हों।
उत्तर:
लिया गया समय, t = 3 × 109
वर्ष = 3 × 109 × 365 × 24 × 60 × 60
= 2.84 × 1022 किमी

प्रश्न 2.32
यह एक विख्यात तथ्य है कि पूर्ण सूर्यग्रहण की अवधि में चंद्रमा की चक्रिका सूर्य की चक्रिका को पूरी तरक ढक लेती है। इस तथ्य और उदाहरण 2.3 और 2.4 से एकत्र सूचनाओं के आधार पर चंद्रमा का लगभग व्यास ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है:
चन्द्रमा की पृथ्वी से दूरी
(a) = 3.84 × 108 मीटर
माना चन्द्रमा का व्यास = 2r
सूत्र कोणीय व्यास = 𝑑𝑎 से,

प्रश्नानुसार पूर्ण सूर्य ग्रहण की अवधि में चन्द्रमा की चक्रिका सूर्य की चक्रिका को पूरा ढक लेती हैं।
∴ चन्द्रमा का कोणीय व्यास = सूर्य का कोणीय व्यास

अत: चन्द्रमा का व्यास 3573 किमी है।

प्रश्न 2.33
इस शताब्दी के एक महान भौतिकविद (पी० ए० एम० डिरैक) प्रकृति के मूल स्थिरांकों (नियतांकों) के आंकिक मानों के साथ क्रीड़ा में आनंद लेते थे। इससे उन्होंने एक बहुत ही रोचक प्रेक्षण किया। परमाण्वीय भौतिकी के मूल नियतांकों (जैसे इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान, प्रोटॉन का द्रव्यमान तथा गुरुत्वीय नियतांक G) से उन्हें पता लगा कि वे एक ऐसी संख्या पर पहुंच गए हैं जिसकी विमा समय की विमा है। साथ ही, यह एक बहुत ही बड़ी संख्या थी और इसका परिमाण विश्व की वर्तमान आकलित आयु (~1500 करोड़ वर्ष) के करीब है। इस पुस्तक में दी गई मूल नियतांकों की सारणी के आधार पर यह देखने का प्रयास कीजिए कि क्या आप भी यह संख्या (या और कोई अन्य रोचक संख्या जिसे आप सोच सकते हैं) बना सकते हैं? यदि विश्व की आयु तथा इस संख्या में समानता महत्वपूर्ण है, तो मूल नियतांकों की स्थिरता किस प्रकार प्रभावित होगी?
उत्तर:

अर्थात् x की विमा समय की विमा के समान ही है।


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