Andhra Pradesh Board Class 10th Hindi Chapter 9 दक्षिणी गंगा गोदावरी (यात्रा-वृत्तांत) Textbooks Solutions PDF
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Board | AP Board |
Materials | Textbook Solutions/Guide |
Format | DOC/PDF |
Class | 10th |
Subject | Maths |
Chapters | Hindi Chapter 9 दक्षिणी गंगा गोदावरी (यात्रा-वृत्तांत) |
Provider | Hsslive |
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InText Questions (Textbook Page No. 51)
प्रश्न 1.
यहाँ पर किसके बारे में बताया गया है?
उत्तर:
यहाँ पर नदियों के बारे में बताया गया है।
प्रश्न 2.
दक्षिण भारत की कुछ नदियों के नाम बताइए।
उत्तर:
कृष्णा, गोदावरी, तुंगभद्रा, पेन्ना और नागावली आदि दक्षिण भारत की कुछ नदियाँ हैं।
प्रश्न 3.
गोदावरी नदी के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
गोदावरी दक्षिण भारत की जीव नदी है। यह महाराष्ट्र के नासिका त्रैयंबक में जन्म लेती है। भारत में बड़ी नदियों में यह दूसरे स्थान में है। इसे दक्षिण गंगा नाम से भी पुकारते हैं।
InText Questions (Textbook Page No. 52)
प्रश्न 1.
सूर्योदय के समय प्रकृति का वातावरण कैसा दिखायी देता है?
उत्तर:
सूर्योदय के समय प्रकृति का वातावरण सुहावना होता है। प्रकृति में विविध छटावाली हरियाली दिखाई पडती है। नौकाएँ तितलियों की तरह कतार में खडी हुई थी। रंग-बिरंगे बादलों वाला आकाश तालाबों में नहाने के लिए उतरता हुआ दिखाई देता है।
प्रश्न 2.
लेखक ने ऐसा क्यों कहा होगा कि राजमहेंद्री के आगे गोदावरी की शान शौकत निराली है?
उत्तर:
तालाबों में नहाने उतारा हुआ आकाश, बगुलों का समूह, पहाडियों की श्रेणियाँ गोदावरी की शान को बढ़ाती हैं। बादल घिरे रहने से धूप नहीं थी। इस सारे दृश्य पर वैदिक प्रभाव की शीतल और शीतल सुंदरता छाई हुई थी।
InText Questions (Textbook Page No. 53)
प्रश्न 3.
लेखक ने भँवरों को बच्चों की उपमा क्यों दी होगी?
उत्तर:
माता के स्वभाव से परिचित होने के कारण बच्चे उसकी गोदी में मनमाने नाचते, खेलते, उछलते, कूदते हैं उसी प्रकार यहाँ गोदावरी नदी में मँवर वैसा ही करते हैं। कुछ देर के दिख पडते हैं, थोडे ही देर में भयानक तूफान का स्वाँग रचा खिल खिलाकर हँस पडते हैं। वे कहाँ से आते और कहाँ जाते। न जानते हैं। इसलिए लेखक ने उन्हें बच्चों की उपमा दी।
प्रश्न 4.
गोदावरी नदी के टापुओं की क्या विशेषताएँ हो सकती हैं?
उत्तर:
ये टापू लंबे – चौडे होते हैं। कई पुराने धर्म की तरह स्थिर रूप होकर जमे हुए हैं कई एक कवि की प्रतिभा की तरह क्षण – क्षण भर में स्थल की नवीनता उत्पन्न कर लेते और नया – नया रूप ग्रहण करते हैं। इन टापुओं पर बगुलों के पैरों के निशान पडे रहते हैं। वे दिशा सूचित करते हैं।
InText Questions (Textbook Page No. 54)
प्रश्न 5.
लेखक ने रेल के पहिये की आवाज़ को “संक्रामक’ कहा है। ‘संक्रामक’ से लेखक का क्या आशय होगा?
उत्तर:
रेल के पहिये की आवाज़ तो पुर की विजय नाद की तरह दूर – दूर तक फैलता है गंगा जल गोदावरी में उँडेलना, गोदावरी के जल को लेना भव्य विधि है। विभिन्न प्रांत और संस्कृतियों को मिलानेवाली है। भव्य विधि को फैलाने वाली है।
प्रश्न 6.
गोदावरी को धीर – गंभीर माता की संज्ञा क्यों दी गयी होगी?
उत्तर:
गोदावरी विशाल नदी है। यह जीव नदी है। इसमें ठाट – बाट भी हैं। जल में अमोघ शक्ति है। गोदावरी कई मार्गों से उत्तेजित होकर समुद्र में मिलती है। वह माता के समान सारी आवश्यकताएँ पूरी करती है। माता की तरह गोदावरी भी पवित्र और पूजनीय है। इसलिए लेखक ने गोदावरी नदी को धीर गंभीर माता की संज्ञा दी।
अर्थव्राह्यता-प्रतिक्रिया
अ) प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
प्रश्न 1.
लेखक को गोदावरी का जल कैसा लगा होगा ?
उत्तर:
- लेखक गोदावरी नदी के जल में गंगा, सिंधु, शोणभद्र, ऐरावती जैसी महानदियों के विशाल प्रवाह भर कर देखे होंगे।
- बादलों का रंग साँवला होने के कारण गोदावरी के धूलि – धूसरित मटमैले जल की झाँई और भी गहरी दिखाई दे रही थी।
- लेखक को लगा होगा कि इतना सारा पानी कहाँ से आता होगा?
- गोदावरी का अखंडप्रवाह पहाडों में से निकल कर अपने गौरव को साथ में लिये आता हुआ दिखाई पडा होगा।
- नदी के पानी में उसे उन्माद दिखायी दिया था। उसमें लहरें न थी।
- लेखक को गोदावरी धीर गंभीर माता जैसे लगी। लेखक को लगा होगा कि गोदावरी के जल में अमोघ शक्ति है।
प्रश्न 2.
लेखक की जगह तुम होते, तो गोदावरी नदी का वर्णन कैसे करते ? बताइए।
उत्तर:
- लेखक की जगह मैं होते, तो गोदावरी नदी का वर्णन इस तरह करता हूँ –
- गोदावरी महासागर जैसा है। गोदावरी विशाल सुदंर भव्य नदी है।
- इसे देखने से मुझे कई नदियों का यह संगम जैसा लगता है।
- इस नदी में जो नाव विहार करते हैं वे आसमान में उड़नेवाली पतंगें जैसे हैं।
- गोदावरी नदी अन्नपूर्णा है। क्योंकि इसके द्वारा कई लाखों एकड़ की भूमि सिंचाई जाती है।
- यह सुंदर, रमणीय नदी है। यह अद्भुत टापुओं वाला नदी है।
- इस नदी के किनारे कई महापुरुषों का जन्म हुआ है।
- गोदावरी पतित पावनी है। : गोदावरी का जल शुद्ध और पवित्र है।
- इस जल में अमोघ शक्ति है।
आ) पाठ के आधार पर निम्न प्रश्नों के उत्तर हाँ या नहीं. में दीजिए।
1. लेखक को कोबूर स्टेशन पार करने के बाद गोदावरी मैया के दर्शन हुए।
उत्तर:
हाँ
2. गोदावरी की शान – शौकत कुछ निराली है।
उत्तर:
हाँ
3. उपासक गंगा जल के आधे कलश को गोदावरी में उँडेलते हैं।
उत्तर:
हाँ
4. राजमहेंद्री और धवलेश्वर का सुखी नन – समाज दुखित था।
उत्तर:
नहीं
इ) गद्यांश पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
आचार्य विनोबा भावे का जन्म महाराष्ट्र में हुआ। वे प्रातःकाल बहुत जल्दी उठते थे। प्रतिदिन नियमित रूप से चरखा चलाते थे। बातें कम और काम अधिक करते थे। भूदान आंदोलन विनोबाजी का प्रमुख कार्य था। विनोबाजी ने युवावस्था में ही जनता की सेवा का व्रत लिया था। उनके मन पर गाँधीजी के विचारों का प्रभाव पड़ा । बनारस की सभा में गाँधीजी ने कहा था, “जब तक देश परतंत्र है, तब तक देश गरीब है, ( ठाट – बाट से रहना पाप है। जब तक देश की जनता दुखी है, आराम से रहना अपराध है।”
प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1.
विनोबाजी के जीवन का प्रमुख कार्य क्या था?
उत्तर:
विनोबाजी के जीवन का प्रमुख कार्य भूदान आंदोलन था।
प्रश्न 2.
बनारस की सभा में गाँधीजी ने क्या कहा ?
उत्तर:
बनारस की सभा में गाँधीजी ने कहा था, ‘जब तक देश परतंत्र है, तब तक देश गरीब है, ठाट – बाट . से रहना पाप है। जब तक देश की जनता दुखी है, आराम से रहना अपराध है।”
प्रश्न 3.
रेखांकित शब्द का वचन बदलकर वाक्य प्रयोग कीजिए।
उत्तर:
सेवा – सेवाएँ ; आजकल हर एक को सरकार की सेवाएँ उपलब्ध हैं।
प्रश्न 4.
इस गद्यांश के लिए उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर:
“संत विनोबा भावे और उनके कार्य” – इस गद्यांश के लिए उचित शीर्षक है।
ई) इस अवतरण के मुख्य शब्द पहचानकर लिखिए।
पुल पर से गुजरते समय दाएँ देखें या बाएँ, हम उसी उधेड़ – बुन में थे। पुल आ गया और भागमती | गोदावरी का अत्यंत विशाल पाट दिखायी पड़ा। बेजवाड़े में कृष्णा माता के दर्शन पर मैं गर्व करता रहूँगा। गोदावरी की शान शौकत कुछ निराली है।
उत्तर:
गुजरना, उधेड़ – बुन, पाट, गर्व करना, शान – शौकत और निराली आदि।
अभिव्यक्ति- सजनात्मकता
अ) इन प्रश्नों के उत्तर तीन – चार पंक्तियों में लिखिए।
प्रश्न 1.
किसी यात्रा का वर्णन करते हुए अपने अनुभवों को प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
हम ने विशाखपट्टणम की यात्रा की। विशाखपट्टणम बहुत सुंदर – नगर है। इसकी यात्रा बहुत संतोष जनक सही। यहाँ का सागर, पर्वत मालाएँ, कैलास गिरि बहुत सुंदर है। यहाँ हम ने रामकृष्ण समुद्र तट, बीमली समुद्र तट आदि देख लिये। ये बहुत सुंदर लगते हैं। यहाँ विशाखपट्टणम का प्रसिद्ध कनकमहालक्ष्मी जी का मंदिर है।
प्रश्न 2.
आंध्र को अन्नपूर्णा एवं भारत का धान्यागार कहलाने में नदियों का योगदान व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
आंध्रप्रदेश को अन्नपूर्णा एवं भारत का धान्यागार कहते हैं। इस कथन में नदियों का योगदान अधिक है। आंध्रप्रदेश में कृष्णा, तुंगभद्रा, पेन्ना, मंजीरा, वंशधारा और गोदावरी आदि नदियों के कारण लाखों एकड़ भूमि की सिंचाई की जाती है। इसलिए आंध्रप्रदेश के कई जिलों में धान पैदा होता है। इसलिए आंध्रप्रदेश को अन्नपूर्णा एवं भारत का धान्यागार कहते हैं।
आ) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर आठ – दस वाक्यों में लिखिए।
प्रश्न 1.
चेन्नई से राजमहेंद्री जाते समय लेखक की भावनाएँ कैसी थी?
उत्तर:
पाठ का नाम : दक्षिणी गंगा गोदावरी
लेखक : श्री काका कालेलकर
विधि : यात्रा वृत्तांत
चेन्नई से राजमहेंद्री जाते समय लेखक की भावनाएँ इस प्रकार थीं।
- चेन्नई से राजमहेंद्री जाते हुए बेजवाडे से आगे सूर्योदय हुआ।
- पूर्व की तरफ एक नहर रेल की पटरी के किनारे – किनारे बह रही थी।
- पर किनारा ऊँचा होने के कारण पानी उन्हें कभी – कभी ही दीख पडता।
- तितली की तरह अपने – अपने पाल कतार में खड़ी हुई नौकाओं पर ही उन्हें नहर का अनुमान करना पड़ा।
- बीच – बीच में छोटे – छोटे तालाब भी मिलते ।
- इनमें रंग – बिरंगे बादलों वाला आसमान नहाने के लिए उतरता हुआ दिखाई पड़ता।
- कहीं – कहीं चंचल कमलों के बीच खामोश खड़े हुए बगुलों को देखकर सबेरे की ठंडी – ठंडी हवा का अभिनंदन को लेखक का मन मचल पडता ।
- कोव्वूर स्टेशन आने पर लेखक के मन में यह उमंग भरी थी कि अब यहाँ से गोदावरी मैया के भी दर्शन होने लगेंगे। लेखक बेजवाडे में कृष्ण माता के दर्शन पर गर्व करने लगा।
- लेकिन राजमहेंद्री के आगे गोदावरी की शान – शौकत कुछ निराली लगी।
- लेखक ने पश्चिम की तरफ नजर फैलाई तो दूर – दूर तक पहाडियों की श्रेणियाँ नज़र आई।
- लेखक को इस सारे दृश्य पर वैदिक प्रभाव की शीतल और स्निग्ध सुंदरता छाई हुई दिखाई दी।
- पहाडी पर कुछ उतरे हुए धौले – धौले बादल तो लेखक को बिल्कुल ऋषि – मुनियों जैसे लगते थे।
- लेखक को ऊँचे – ऊँचे पेडों को देखने पर ऐसा लगा कि वे विजय पताकाएँ खड़ी कर रखी थी।
प्रश्न 2.
लेखक ने गोदावरी को माता की संज्ञा क्यों दी होगी?
उत्तर:
- रामलक्ष्मण और सीता से लेकर बूढ़े जटायु तक गोदावरी नदी ही स्तन्य पान कराया है।
- गोदावरी के तट पर शूर – वीर भी पेदा हुए हैं।
- बड़े – बड़े तत्व ज्ञानी भी पैदा हुए हैं।
- साधु संत भी इस गोदावरी नदी के तट पर पैदा हुए हैं।
- उसी प्रकार धुरंधर राजनीतिज्ञ भी इसी गोदावरी नदी के तट पर ही पैदा हुए हैं।
- कई ईश्वर – भक्त भी इसी गोदावरी नदी के तट पर पैदा हुए हैं।
- गोदावरी नदी चारों वर्गों की माता है।
- गोदावरी नदी पूर्वजों की अधिष्ठात्री देवी है।
उपर्युक्त कारणों से लेखक ने गोदावरी को, माता की संज्ञा दी होगी।
इ) अपने द्वारा की गयी किसी यात्रा का वर्णन करते हुए मित्र के नाम पत्र लिखिए।
उत्तर:
विजयवाडा, प्यारे मित्र सुदर्शन, तुम्हारा प्यारा मित्र, पता: |
ई) इस यात्रा – वृत्तांत में लेखक का कौनसा अनुभव आपको अच्छा लगा? क्यों?
उत्तर:
इस यात्रा वृत्तांत में लेखक का यह अनुभव मुझे अच्छा लगा जो वह गोदावरी माँ के दर्शन के बाद गोदावरी माँ की स्तुति करते हैं। उस स्तुति में गोदावरी माँ के प्रति उनकी अनुभूति और उनका अनुभव यों था।
“माता गोदावरी! राम, लक्ष्मण और सीता से लेकर बूढ़े जटायु तक सबको तूने ही स्तन्य-पान कराया है। तेरे तट पर शूर – वीर भी पैदा हुए हैं और बड़ें – बडे तत्व – ज्ञानी भी, साधु – संत भी जन्में,धुरंधर राजनीतिज्ञ भी और ईश्वर भक्त भी। चारों वर्गों की तू माता है। मेरे पूर्वजों की तू अधिष्ठात्री देवी है। नयी – नयी आशाओं को लेकर मैं तेरे दर्शन के लिए आया हूँ। तेरे जल में अमोघ शक्ति है। तेरे पानी की एक बूंद का सेवन भी व्यर्थ नहीं जाता।” मुझे लेखक का यह अनुभव अच्छा लगा क्योंकि सचमुच राम – लक्ष्मण, सीता और जटायु इस नदी तट पर ही घूमें।
इस नदी के तट पर कई शूर – वीरों का राजनीतिज्ञों का भी जन्म हुआ हैं। साधु – संतों का भी जन्म हुआ है। भक्तों का भी जन्म हुआ है। इसलिए गोदावरी माँ सचमुच अधिष्ठात्री देवी है। उस नदी के जल में अमोघ शक्ति है।
परियोजना कार्य
अ) सूचना पढ़िए। वाक्य प्रयोग कीजिए।
प्रश्न 1.
बरसात, सरिता, पहाड़ (एक – एक शब्द का वास्य प्रयोग कीजिए। पर्याय शब्द लिखिए।)
उत्तर:
प्रश्न 2.
विजय, प्रसिद्ध, दुर्लभ (एक – एक शब्द का विलोम शब्द लिखिए। वाक्य प्रयोग कीजिए।)
उत्तर:
विलोम शब्द
- विजय × पराजय, अपजय
- प्रसिद्ध × अप्रसिद्ध
- दुर्लभ × सुलभ
वाक्य प्रयोग
- विजय : परिश्रम करने मात्र से ही हमें विजय मिलेगा, नहीं तो अपजय ही मिलेगा।
- प्रसिद्ध : वे प्रसिद्ध संगीत कलाकार हैं। लेकिन उनके भाई तो अप्रसिद्ध कलाकार हैं।
- दुर्लभ : गाँव का रास्ता सुलभ और जंगल का रास्ता दुर्लभ लगता है।
प्रश्न 3.
नहर, तितली, कविता, लहर (वचन बदलिए। वाक्य प्रयोग कीजिए।)
उत्तर:
वचन
- नहर × नहरें
- तितली × तितलियाँ
- कविता × कविताएँ
- लहर × लहरें
वाक्य प्रयोग
- नहर – उन दो नहरों में बड़ी नहर क्या है?
- तितली – उस उद्यान में तितलियों का नाच देखो।
- कविता – सुभद्रा कुमारी चौहान जी की कविताओं में तो हमें माधुर्य भाव मिलता है।
- लहर – समुद्र में तो हर पल लहरें उठ पडती रहती हैं।
आ) सूचना पढ़िए। उसके अनुसार कीजिए।
प्रश्न 1.
सूर्योदय, उन्माद, पवित्र, अत्यंत (संधि विच्छेद कीजिए।)
उत्तर:
- सूर्योदय – सूर्य + उदय
- उन्माद – उत् + माद
- पवित्र . – पो. + इत्र
- अत्यंत – अति + अंत
प्रश्न 2.
साधु – संत, चरणचिहन, गंगाजल (समास बताइए।)
उत्तर:
- साधु – संत → द्वंद्व समास
- चरणचिह्न → तत्पुरुष समास
- गंगाजल → तत्पुरुष समास
इ) इन्हें समझिए।
प्रश्न 1.
नदी के पानी में उन्माद था, उसमें लहरें न थीं।
उत्तर:
के : संबंध कारक
में : अधिकरण कारक
उसमें : वह + में → उसमें
वह के साथ अधिकरण कारक चिहन “में” आने से वह + में
उसमें के रूप में परिवर्तित होती है।
प्रश्न 2.
गोदावरी के प्रवाह के साथ होड़ करते हुए भी उसे संकोच न होता था।
उत्तर:
के : संबंध कारक
के साथ : करण कारक
उसे : वह + से → उसे
‘वह’ के साथ करण कारक चिह्न ‘से’ आने से वह + से → उसे के रूप में परिवर्तित होती है।
ई) नीचे दिये गये क्रिया शब्द समझिए और अकर्मक व सकर्मक क्रियाएँ पहचानिए।
सोना, पढ़ना, पीना, हँसना, कहना, उठना, दौड़ना, खाना, चलना, लिखना
उत्तर:
- सोना – अकर्मक क्रिया
- पीना – सकर्मक क्रिया
- कहना – सकर्मक क्रिया
- दौड़ना – अकर्मक क्रिया
- चलना – सकर्मक क्रिया
- पढ़ना – सकर्मक क्रिया
- हँसना – अकर्मक क्रिया
- उठना – अकर्मक क्रिया
- खाना – अकर्मक क्रिया
- लिखना – सकर्मक क्रिया
परियोजना कार्य
यात्रा – वृत्तांत विधा की जानकारी प्राप्त कीजिए। उसकी सूची बनाकर कक्षा में प्रदर्शन कीजिए।
उत्तर:
यात्रा वृत्तांत गद्य की एक प्रमुख विधा इस विधा के पाठों में लेखक किसी दर्शनीय स्थल से संबंधित अपनी यात्रा की अनुभूतियों को रोचक और ज्ञानवर्धक ढंग से प्रस्तुत करते हैं। इस विधा में किसी यात्रा के बारे में, दर्शनीय स्थलों के बारे में, अपनी यात्रा के बारे में वर्णन हमें मिलता है। इन्हें पढ़ने से हमें भी यात्रा की अनुभूति मिलती है।
यात्रा वृत्तांत की भाषाशैली बहुत उत्तेजित होती है।
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