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BSEB Class 10 Social Science Geography Chapter 1A प्राकृतिक संसाधन Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 10th Social Science Geography Chapter 1A प्राकृतिक संसाधन Book Answers |
Bihar Board Class 10th Social Science Geography Chapter 1A प्राकृतिक संसाधन Textbooks Solutions PDF
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Board | BSEB |
Materials | Textbook Solutions/Guide |
Format | DOC/PDF |
Class | 10th |
Subject | Social Science Geography Chapter 1A प्राकृतिक संसाधन |
Chapters | All |
Provider | Hsslive |
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BSEB Class 10th Social Science Geography Chapter 1A प्राकृतिक संसाधन Textbooks Solutions with Answer PDF Download
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वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
Prakritik Sansadhan Class 10 प्रश्न 1.
पंजाब में भूमि निम्नीकरण का मुख्य कारण है ?
(क) वनोन्मूलन
(ख) गहन खेती
(ग) अतिपशुचारण
(घ) अधिक सिंचाई
उत्तर-
(क) वनोन्मूलन
Bihar Board Class 10 Social Science Solution प्रश्न 2.
सोपानी कृषि किस राज्य में प्रचलित है ?
(क) हरियाणा
(ख) पंजाब
(ग) बिहार का मैदानी क्षेत्र
(घ) उत्तराखंड
उत्तर-
(ग) बिहार का मैदानी क्षेत्र
Bihar Board Class 10th Social Science Solution प्रश्न 3.
मरुस्थलीय मृदा का विस्तार निम्न में से कहाँ है ?
(क) उत्तर प्रदेश
(ख) राजस्थान
(ग) कर्नाटक
(घ) महाराष्ट्र
उत्तर-
(ख) राजस्थान
Bihar Board Solution Class 10 Social Science प्रश्न 4.
मेढक के प्रजनन को नष्ट करने वाला रसायन कौन है ?
(क) बेंजीन
(ख) यूरिया
(ग) एड्रिन
(घ) फास्फोरस .
उत्तर-
(ग) एड्रिन
History Class 10 Bihar Board प्रश्न 5.
काली मृदा का दूसरा नाम क्या है ?
(क) बलुई मिट्टी
(ख) रेगुर मिट्टी
(ग) लाल मिट्टी
(घ) पर्वतीय मिट्टी
उत्तर-
(ख) रेगुर मिट्टी
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
Bihar Board Class 10 History Solution प्रश्न 1.
जलोढ़ मिट्टी के विस्तार वाले राज्यों के नाम बतावें। इस मृदा में कौन-कौन सी फसलें लगायी जा सकती हैं ?
उत्तर-
बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक, असम, बंगाल इत्यादि राज्यों में जलोढ़ मिट्टी का विस्तार है। इस मृदा में गन्ना, चावल, गेहूँ, मक्का, दलहन इत्यादि फसलें उगाई जाती हैं।
Bihar Board Social Science Book Class 10 प्रश्न 2.
समोच्च कृषि से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
पहाड़ी ढलानों पर जल के तेज बहाव से बचने के लिए सीढ़ीनुमा ढाल बनाकर की जाने वाली खेती को समोच्च कृषि कहते हैं। इससे मृदा अपरदन को रोका जा सकता है।
Bihar Board Class 10 Sst Solution प्रश्न 3.
पवन अपरदन वाले क्षेत्र में कृषि की कौन-सी पद्धति उपयोगी मानी जाती है?
उत्तर-
पवन अपरदन वाले क्षेत्रों में पट्टिका कृषि श्रेयस्कर है, जो फसलों के बीच घास की पट्टियाँ विकसित कर की जाती हैं।
Bihar Board 10th Social Science प्रश्न 4.
भारत के किन भागों में डेल्टा का विकास हुआ है ? वहाँ की मदा की क्या विशेषता है?
उत्तर-
गंगा नदी द्वारा पश्चिम बंगाल में, महानदी, कृष्णा, कावेरी और गोदावरी नदियों द्वारा पूर्वी तटीय मैदान में डेल्टा का निर्माण हुआ है।
इन क्षेत्रों में जलोढ़ मिट्टी पाई जाती है। इस मिट्टी का गठन बालू, सिल्ट एवं मृतिका के विभिन्न अनुपात से होता है। इसका रंग धुंधला से लेकर लालिमा लिये भूरे रंग का होता है।
प्रश्न 5.
फसल चक्रण मृदा संरक्षण में किस प्रकार सहायक है ?
उत्तर-
दो धान्य फसलों के बीच एक दलहन की फसल को उगाना, फसल चक्रण कहलाता है। इसके द्वारा मृदा के पोषणीय स्तर को बरकरार रखा जा सकता है, क्योंकि दलहनी पौधों की जड़ों में नाइट्रोजनी स्थिरीकारक जीवाणु पाये जाते हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
जलाक्रांतता कैसे उपस्थित होता है ? मृदा अपरदन में इसकी क्या भूमिका है ?
उत्तर-
अति सिंचाई से जलाक्रांतता की समस्या पैदा होती है। पंजाब, हरियाणा और प. उत्तर प्रदेश में इससे भूमि का निम्नीकरण हुआ है।
जलाक्रांतता से मृदा में लवणीय और क्षारीय गुण बढ़ जाते हैं जो भूमि के निम्नीकरण के लिए उत्तरदायी होते हैं। इससे मृदा की उर्वरा शक्ति घटते जाती है और भूमि धीरे-धीरे बंजर हो जाती है।
जलाक्रांतता एक बड़ी समस्या है जो मृदा अपरदन में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।
प्रश्न 2.
मृदा संरक्षण पर. एक निबंध लिखिए।
उत्तर-
मृदा पारितंत्र का एक महत्वपूर्ण घटक है। यह न केवल पौधों के विकास का मध्यम है। बल्कि पृथ्वी पर विविध जीव समुदायों का पोषण भी करती है। मृदा में निहित उर्वरता मानव के आर्थिक क्रियाकलाप को प्रभावित करती है और देश की नियति का भी निर्धारण करती है। मृदा निर्माण एक लंबी अवधि में पूर्ण होने वाली जटिल प्रक्रिया है। इसके नष्ट होने के साथ संपत्ति एवं संस्कृति दोनों ध्वस्त हो जाती है।
मदा का अपने स्थान से विविध क्रियाओं द्वारा स्थानांतरित होना भ-क्षरण कहलाता है। यह मृदा की एक बहुत बड़ी समस्या है। मृदा का क्षरण कई कारणों जैसे वायु और जल के तेज बहाव से, जलक्रांतता से, अतिपशुचारण से, खनन रसायनों का अत्यधिक उपयोग जैसी मानवीय अनुक्रियाओं द्वारा होता है। – वृक्षारोपण, पट्टिका कृषि, फसलचक्रण, समोच्च कृषि इत्यादि द्वारा भू-क्षरण को रोकना मृदा संरक्षण का मुख्य तरीका है।
वृक्षारोपण मृदा संरक्षण की सबसे बड़ी शर्त है; जिससे मृदा को बाधा पहुँचती है और इनकी पत्तियों से प्राप्त ह्यूमस मृदा की गुणवत्ता को बढ़ाने में सहायक होते हैं।
रासायनिक खाद की जगह जैविक खाद का उपयोग मृदा संरक्षण में सहायक होता है।
प्रश्न 3.
भारत में अत्यधिक पशुधन होने के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था में इसका योगदान लगभग नगण्य है। स्पष्ट करें।
उत्तर-
भारत में पशुधन के मामले में विश्व के अग्रणी देशों में शामिल किया जाता है। किन्तु स्थायी चारागाह के लिए बहुत कम भूमि उपलब्ध है जो पशुधन के लिए पर्याप्त नहीं है। अतः पशुपालन पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। वर्तमान में परती के अतिरिक्त अन्य परती भूमि अनुपजाऊ है। ऐसी भूमि में दो तीन वर्ष में अधिक से अधिक दो बार बोया जा सकता है। अगर ऐसी भूमि को भी शुद्ध बोया गया क्षेत्र में शामिल कर लिया जाय तब भी वर्तमान उपलब्ध क्षेत्रफल का मात्र 54% भूमि ही कृषि योग्य है।
भारतीय अर्थव्यवस्था में पशुधन का नगण्य योगदान का कारण निम्न है-
- उन्नत पशुनस्लों की अपर्याप्तता।
- चारागाह के लिए भूमि की कमी।
- वैज्ञानिक प्रणाली एवं तकनीकी ज्ञान का अभाव।
- बढ़ती जनसंख्या का अति दबाव।
- पूँजी का अभाव इत्यादि।
परियोजना कार्य
प्रश्न 1.
अपने आस-पास के क्षेत्र में उपलब्ध मृदा संसाधन के उपयोग एवं संरक्षण हेतु एक परियोजना तैयार करें।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 2.
ग्राम प्रतिनिधि, विद्यालय प्रधान से मिलकर संसाधन संरक्षण एवं प्रबंधन पर एक संगोष्ठी का आयोजन करें।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।
Bihar Board Class 10 Geography प्राकृतिक संसाधन Additional Important Questions and Answers
वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
इनमें काली मिट्टी का क्षेत्र कौन है ?
(क) छोटानागपुर
(ख) महाराष्ट्र
(ग) गंगाघाटी
(घ) अरूणाचल प्रदेश
उत्तर-
(क) छोटानागपुर
प्रश्न 2.
प्रायद्वीपीय भारत की नदीघाटियों में कौन-सी मिट्टी मिलती है ?
(क) काली
(ख) लाल
(ग) रेतीली
(घ) जलोढ़
उत्तर-
(घ) जलोढ़
प्रश्न 3.
भारत में चारागाह के अन्तर्गत कितनी भूमि है ?
(क) 4%
(ख) 12%
(ग) 19%
(घ) 26%
उत्तर-
(क) 4%
प्रश्न 4.
इनमें कौन उपाय भूमि-हास के संरक्षण में उपयुक्त हो सकता है ?
(क) भूमि को जलमग्न बनाए रखना
(ख) बाढ़ नियंत्रण
(ग) जनसंख्या वृद्धि की दर में तेजी लाना
(घ) इनमें कोई नहीं
उत्तर-
(ख) बाढ़ नियंत्रण
प्रश्न 5.
भारत में पहाड़ों से भरी भूमि का प्रतिशत क्या है ?
(क) 10
(ख) 27
(ग) 30
(घ) 48
उत्तर-
(ख) 27
अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
भारत के राष्ट्रीय उत्पादन में कृषि-क्षेत्र का योगदान कितना प्रतिशत है ?
उत्तर-
भारत के राष्ट्रीय उत्पादन में कृषि-क्षेत्र का योगदान लगभग 22 प्रतिशत है।
प्रश्न 2.
भारत की प्रमुख भू-आकृतियों के नाम लिखें।
उत्तर-
भारत की प्रमुख भू-आकृतियों के नाम ये हैं (i) पर्वतीय क्षेत्र – 30% (ii) मैदानी क्षेत्र – 43% (iii) पठारी क्षेत्र – 27%।
प्रश्न 3.
एक वर्ष से भी कम समय तक जिस खेत से फसल-उत्पादन न हो रहा हो उसका क्या नाम है?
उत्तर-
एक वर्ष से भी कम समय तक जिस खेत से फसल-उत्पादन न हो रहा हो उसे ‘वर्तमान परती’ कहते हैं।
प्रश्न 4.
किन दो राज्यों में सबसे अधिक व्यर्थ भूमि पायी जाती है ?
उत्तर-
जम्मू कश्मीर (60%) और राजस्थान (30%) में सबसे अधिक व्यर्थ भूमि पायी जाती है।
प्रश्न 5.
क्षारीय मिट्टी का pH मान 7 से अधिक होता है या कम?
उत्तर-
क्षारीय मिट्टी का pH मान 7 से अधिक होता है।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
भूमि किस प्रकार महत्वपूर्ण संसाधन है ?
उत्तर-
भूमि एक महत्वपूर्ण संसाधन है। भूमि पर ही मिट्टी मिलती है जिसमें कृषि-कार्य की जाती है। भूमि पर कृषि-कार्य करने से मनुष्यों को अन्न की प्राप्ति होती है। भूमि पर ही मानव-आवास मिलता है, गाँव-नगर बसते हैं। भूमि पर ही मनुष्य अपना मकान बनाकर उसमें रहते हैं। जो जंगली और खतरनाक पशुओं से उनकी रक्षा करता है। भूमि पर ही पशुपालन होता है। भूमि पर ही मनुष्य पालतू पशुओं को दूध, ऊन, चमरे, मांस इत्यादि की प्राप्ति के लिए पालते हैं। पशु मनुष्य के लिए बहुत उपयोगी होते हैं, जो मनुष्य के कृषि-कार्य करने में सहायक होते हैं, भूमि पर ही मनुष्य द्वारा वाणिज्य-व्यवसाय किया जाता है, व्यवसाय करने से मनुष्य को अन्न की प्राप्ति होती है। भूमि पर ही मनुष्यों द्वारा तरह-तरह के उद्योग-धन्धे चलाए जाते हैं। उद्योग-धन्धे करने से मनुष्य को आर्थिक लाभ होता है, आर्थिक लाभ होने से मनुष्य का आर्थिक विकास होता है और मनुष्य के आय में वृद्धि होती है। मनुष्य के आय में वृद्धि होने से देश के राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है, अत: इस प्रकार यह स्पष्ट है कि भूमि एक महत्वपूर्ण संसाधन है।
प्रश्न 2.
किन सुविधाओं के कारण भारत में गहन कृषि की जाती है?
उत्तर-
भारत में तेजी से बढ़ती जनसंख्या का दबाव और सीमित कृषि योग्य भूमि के कारण गहन कृषि की जाती है।
भारत मॉनसूनी वर्षा वाला देश है। वर्षा एक विशेष मौसम में होती है और अनियमित रूप से होती है वहीं बाढ़ जैसी समस्या उत्पन्न हो जाती है और वर्षा का अभाव देखने को मिलता है। ऐसे क्षेत्रों में सिंचाई का सहारा लिया जाता है। हिमालय से निकलने वाली नदियाँ सदा जलपूरित रहती हैं। उन नदियों पर बाँध बनाकर नहरें निकाली जाती हैं और उससे जलाभाव क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा प्रदान की जाती है। भारत के मैदानी भागों में जलोढ़ मिट्टी पाई जाती है जो अत्यन्त उपजाऊ है। इन्हीं कारणों से भारत में गहन कृषि की जाती है।
प्रश्न 3.
भौतिक गुणों के आधार पर मिट्टी के तीन वर्ग कौन-कौन हैं ? गंगा के मैदान में सामान्यतः इनमें से कौन मिट्टी पायी जाती है ?
उत्तर-
भौतिक गुणों के आधार पर मिट्टी के तीन वर्ग ये हैं ।
- बलुई मिट्टी (Sandy Soil)-इसमें पंक (मृत्तिका, चिकनी मिट्टी) की अपेक्षा बालू का प्रतिशत अधिक रहता है, यह मिट्टी जल की बड़ी भूखी होती है, अर्थात बहुत जल सोखती है।
- (चीका या चिकनी मिट्टी (Clayey Soil)- इसमें पंक या गाद (Silt) का प्रतिशत अधिक रहता है। यह मिट्टी सूखने पर बहुत कड़ी और दरार युक्त होती है तथा गीली होने पर चिपचिपी और अभेद्य हो जाती है। इस मिट्टी की जुतायी कठिन होती है।
- दुमटी मिट्री (Loamy Soil)-इसमें बालू और पंक दोनों का मिश्रण लगभग बराबर रहता है। कृषि के लिए यह मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। क्योंकि इसमें गहरी जुताई हो सकती है।
गंगा के मैदान में सामान्यतः दुमटी मिट्टी पायी जाती है।
प्रश्न 4.
स्थानबद्ध और वाहित मिट्टी में क्या अन्तर है?
उत्तर-
स्थानबद्ध मिट्टी वह है जो ऋतुक्षरण के ही क्षेत्र में पायी जाती है। यह पर्शिवका मिट्टी होती है। इसमें आधारभूत चट्टान और मिट्टी के खनिज कणों में समरूपता होती है। काली मिट्टी, लाल मिट्टी तथा लैटेराइट मिट्टी इसके उदाहरण हैं।
वाहित मिट्टी वह है जिसका ऋतुक्षरण तथा विकास किसी दूसरे प्रदेश में हुआ है किन्तु अपरदन दूतों द्वारा उसे किसी दूसरे प्रदेश में निक्षेपित किया गया है। चूँकि इसका परिवहन होता है, इसलिए इसे वाहित मिट्टी कहते हैं। ये मिट्टियाँ मौलिक चट्टानों से विसंगति रखती हैं। जलोढ़ मिट्टी इसका सर्वोत्तम उदाहरण है। भारत का वृहद् जलोढ़ मैदान उस मिट्टी का बना है जिसका ” निक्षेप गंगा और उसकी सहायक नदियों तथा पठारी भारत के उत्तर बहने वाली नदियों से हुआ है। भारत के तटीय मैदान में भी वाहित जलोढ़ मिट्टी ही पायी जाती है।
प्रश्न 5.
भारत में लाल मिट्टी और काली मिट्टी के प्रमुख क्षेत्र बताएँ।
उत्तर-
लाल मिट्टी के प्रमुख क्षेत्र-यह मिट्टी दक्कन पठार, पूर्वी और दक्षिणी भागों के 100 सेमी से कम वर्षा के क्षेत्रों में पायी जाती है।
काली मिट्टी के प्रमुख क्षेत्र यह मिट्टी महाराष्ट्र का बड़ा भाग, गुजरात का सौराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश में कृष्णा और गोदावरी घाटी, तमिलनाडु उत्तर प्रदेश, राजस्थान के मालवा खण्ड में पायी जाती है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
भारतीय मिटियों के तीन प्रमुख प्रकार कौन-कौन हैं ? उनका निर्माण किस प्रकार हुआ है ?
उत्तर-
भारतीय मिट्टियों के तीन प्रमुख प्रकार ये हैं (i) जलोढ़ मिट्टी, (ii) काली मिट्टी, (iii) लाल मिट्टी।
इन तीनों प्रकार की मिट्टियों से संबंधित निर्माण की प्रक्रिया को निम्नलिखित विचार-बिंदुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है
(i) जलोढ़ मिट्टी भारत में यह मिट्टी विस्तृत रूप से फैली हुयी है और उपजाऊ होने के कारण कृषि कार्य के लिए यह अधिक महत्वपूर्ण है। नदियों द्वारा बहाकर लायी गयी मिट्टी बाढ़ में उसके बेसिन में जमा हो जाती है। साथ ही समुद्री लहरें अपने तटों पर ऐसी ही मिट्टी की परत जमा कर देती हैं जिससे जलोढ़ मिट्टी का निर्माण होता है। मिट्टी की आयु के आधार पर जलोढ़ मिट्टी को बांगर और खादर कहा जाता है। बिहार में बालू मिश्रित जलोढ़ मिट्टी को दियारा की मिट्टी कहा जाता है।
(ii) काली मिट्टी स्थानीय स्तर पर काली मिट्टी को रेगुढ़ भी कहा जाता है। काली मिट्टी का निर्माण दक्षिणी क्षेत्र के लावा (बेसाल्ट क्षेत्र) वाले भागों में हुआ है जहाँ अर्द्धशद्ध भागों में इसका रंग काला पाया जाता है। इसमें लोहा, ऐलुमिनियमयुक्त पदार्थ टाइटैनोमैग्नेटाइट के साथ जीवांश तथा ऐलुमिनियम के सिलिकेट मिलने के कारण इसका रंग काला होता है। इसमें पोटाश, चूना, ऐलुमिनियम, कैल्सियम और मैग्नीशियम के कार्बोनेट प्रचुर मात्रा में होते हैं।
(iii) लाल मिट्टी भारत के विस्तृत क्षेत्र में भी यह मिट्टी पायी जाती है। इसका निर्माण लोहे और मैग्नीशियम के खनिजों से युक्त रवेदार और रूपांतरित आग्नेय चट्टानों के द्वारा होता है। इसका रंग लोहे की उपस्थिति के कारण लाल होता है, अधिक नम होने पर इसका रंग पीला भी हो जाता है। यह मिट्टी ग्रेनाइट चट्टाने के टूटने से बनी मिट्टी है। इसकी बनावट हल्की रंध्रमय और मुलायम है।
प्रश्न 2.
काली मिट्टी और लाल मिट्टी की अलग-अलग विशेषताओं पर प्रकाश डालें। भारत में उनके अलग-अलग क्षेत्रों का उल्लेख करें।
उत्तर-
भारत में काली मिट्टी और लाल मिट्टी प्रचुर मात्रा में पायी जाती है। इन मिट्टियों की विशेषताओं और पाए जाने वाले क्षेत्रों का अलग-अलग वर्णन निम्नलिखित है
(i) काली मिट्टी की विशेषताएं निम्न हैं
- इनमें ममी बनाए रखने की क्षमता होती है।
- काली मिट्टी सूखने पर बहुत कड़ी हो जाती है।
- इसका रंग काला होता है, क्योंकि इसमें लोहा, ऐलुमिनियमयुक्त पदार्थ टाइटैनोमैग्नेटाइट के साथ जीवांश तथा ऐलुमिनियम के सिलिकेट मिलते हैं।
- काली मिट्टी कपास और गन्ने की खेती के लिए बहुत सर्वोत्तम है।
- भींगने पर यह मिट्टी चिपचिपी हो जाती है। परन्तु सूखने पर इसमें गहरी दरारें पड़ती। हैं। इससे हवा का नाइट्रोजन इसे प्राप्त होता है।
काली मिट्टी महाराष्ट्र, गुजरात का सौराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, राजस्थान इत्यादि क्षेत्रों में पायी जाती है।
(ii) लाल मिट्टी की विशेषताएँ निम्न हैं-
- इस मिट्टी का रंग लोहे की उपस्थिति के कारण लाल होता है। साथ ही अधिक नमी होने पर इसका रंग पीला भी हो जाता है।
- इस मिट्टी की बनावट हल्की रंध्रमय और मुलायम होती है।
- इसमें खनिजों की मात्रा कम है, कार्बोनेटों का अभाव है, साथ ही नाइट्रोजन और फॉस्फोरस भी नहीं होता है। जीवांश तथा चूना भी कम मात्रा में उपलब्ध होता है।
- इस मिट्टी में हवा मिली होती है, अत: बुआई के बाद सिंचाई करना आवश्यक है जिससे बीज अंकुरित हो सके।
- इस मिट्टी में सिंचाई की अधिक आवश्यकता पड़ती है क्योंकि यह मिट्टी कम उपजाऊ होती है।
लाल मिट्टी दक्कन पठार, पूर्वी और दक्षिणी भागों के 100 सेमी. से कम वर्षा के क्षेत्रों में पायी जाती है। तमिलनाडु के दो-तिहाई भाग में यह मिट्टी पायी जाती है। इसका विस्तार पूरब में राजमहल का पहाड़ी क्षेत्र, उत्तर में झाँसी, पश्चिम में कच्छ तथा पश्चिमी घाट के पर्वतीय ढालों तक है।
प्रश्न 3.
भारत में जलोढ़ मिट्टी कहाँ-कहाँ पायी जाती है ? इनमें सबसे बड़ा क्षेत्र कौन है ? इस मिट्टी की विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर-
जलोढ़ मिट्टी-भारत में यह मिट्टी नदियों द्वारा बहाकर लाई गई और नदियों के बेसीन में जमा की गई मिट्टी है। समुद्री लहरों के द्वारा भी ऐसी मिट्टी तटों पर जमा की जाती है।
भारत में जलोढ़ मिट्टी के निम्नलिखित मुख्य क्षेत्र हैं-
- सतलज, गंगा और ब्रह्मपुत्र की घाटियों का क्षेत्र,
- नर्मदा और ताप्ती घाटियों का क्षेत्र
- महानदी, गोदावरी, कावेरी, कावेरी का डेल्टाई क्षेत्र। भारत में जलोढ मिट्टी का सबसे बडा क्षेत्र सतलज, गंगा और ब्रह्मपत्र की घाटियों का क्षेत्र है।
इस मिट्टी की विशेषता यह है कि इसमें सभी प्रकार के खाद्यान्न, दलहन, तेलहन, कपास, गन्ना, जूट और सब्जियाँ ऊगाई जाती हैं। इसमें नाइट्रोजन और फास्फोरस की कमी पाई जाती है जिसके लिए उर्वरक का सहारा लेना पड़ता है। आयु के आधार पर इसे बांगर और खादर के रूप में बांटा जाता है।
Bihar Board Class 10 Geography प्राकृतिक संसाधन Notes
- भारत में कुल उपलब्ध भूमि का लगभग 43 प्रतिशत भाग पर मैदान का विस्तार है, जो बारहमासी नदियों को सुनिश्चित करता है। 27 प्रतिशत भूभाग पठार के रूप में विस्तृत है, जहाँ खनिज, जीवाश्म, ईंधन एवं वन सम्पदा के कोष संचित हैं।
- भारत में छः प्रमुख प्रकार की मृदा पाई जाती है (i) जलोढ़ मृदा (ii) काली मृदा (iii) लाल एवं पीली मृदा (iv) लैटेराइट मृदा (v) मरुस्थलीय मृदा (vi) पर्वतीय मृदा।
- भूक्षरण के कारण निम्न हैं-वनोन्मूलन, अतिपशुचारण, खनन, रसायनों का अत्यधिक उपयोग इत्यादि।
- भूक्षरण रोकने या मृदा संरक्षण के उपाय निम्न हैं-
वृक्षारोपण, फसलचक्रण, समोच्च कृषि, पट्टिका कृषि, जैविक खाद का उपयोग इत्यादि। - भूमि एक प्रकृति-प्रदत्त संसाधन है, क्योंकि प्रकृति ने ही भूमि की सृष्टि की है।
- मनुष्य भूमि-संतान है, क्योंकि भूमि पर ही मनुष्य अपनी सारी आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए क्रियाकलाप करता है।
- भूमि एक महत्वपूर्ण प्रकृति-प्रदत्त संसाधन है। भूमि पर ही मिट्टी मिलती है जिसमें कृषि की जाती है। साथ ही भूमि पर ही मानव आवास मिलता है। गाँव-नगर बसते हैं। पशुपालन का काम होता है और वाणिज्य-व्यवसाय, उद्योग-धन्धे चलते हैं।
- भूमि पर ही आने-जाने के लिए मार्ग उपलब्ध होते हैं।
- भूमि के गर्भ में ही सभी खनिज-पदार्थ के भण्डार पाए जाते हैं जिन्हें आधुनिक तकनीक के आधार पर उन्हें भूमि से निकाला जाता है।
- विश्व-स्तर पर कृषि-भूमि का 11.9 प्रतिशत भाग भारत के पास है जिसका समुचित उपयोग करके खाद्यान्न फसलों तथा व्यावसायिक फसलों को उपजाया जाता है।
- भूमि मनुष्य के आर्थिक विकास का आधार है। क्योंकि भूमि पर ही कृषि-कार्य किए जाते हैं, उद्योग के क्षेत्र और व्यापार-केंद्र भी भूमि पर ही अवस्थित हैं। खनिज क्षेत्र भूमि पर ही पाए जाते हैं।
- विश्व में 1137 करोड़ हेक्टेयर भूमि कृषि-कार्य के लिए उपयुक्त है जो कि विश्व के विभिन्न देशों में उपलब्ध है।
- भारत के भू-भाग का क्षेत्रफल 32.87 करोड़ हेक्टेयर है। इसमें 47% भूमि पर कृषि कार्य की जाती है।
- भूमि की उर्वरा-शक्ति बनाए रखने के लिए उसका संरक्षण करना भी आवश्यक है। भूमि का संरक्षण होने से सृष्टि की इस अनमोल देन को सुरक्षित रखा जा सकता है।
- उपयोग के आधार पर भूमि को पाँच वर्गों में बाँटा जा सकता है-(i) वन-क्षेत्र (ii) निवल ‘बोई भूमि (iii) परती भूमि के अतिरिक्त अन्य बिना जोती जानेवाली भूमि (v) अकृषीय भूमि।
- भारत के राष्ट्रीय उत्पादन में कृषि का योगदान 22% है तथा रोजमार के अवसर में इसका योगदान 65% है।
- भारत के चार राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश का क्षेत्रफल बहुत अधिक है और इनकी अधिकांश भूमि पर खेती की जाती है।
- जलवायु की दशायें भूमि उपयोग को प्रभावित करती हैं। मैदानी भूमि पर भी अनुकूल जलवायु न मिले तो कृषि-कार्य सुचारु रूप से नहीं किया जा सकता है।
- छोटे राज्यों पंजाब और हरियाणा की प्रायः 80% भूमि पर फसलें उगायी जाती हैं।
- उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश, नागालैण्ड तथा अण्डमान निकोबार द्वीप समूह में 10% भूमि पर ही कृषि-कार्य की जाती है।
- पहाड़ी भूमि की अपेक्षा मैदानी भूमि का उपयोग अधिक होता है। मैदानी भूमि में लोग अधिक रहते हैं।
- नेशनल रिमोट सेंसिग एजेंसी (NRSA) हैदराबाद के अनुसार भारत में 533 लाख हेक्टेयर भूमि व्यर्थ है।
- भारत में कुल भौगोलिक क्षेत्र का 20.60% वन क्षेत्र हैं।
- भारत सरकार की वन नीति के अनुसार कम-से-कम 33% भू-भाग वनाछादित रहना चाहिए।
- भूमि उपयोग का प्रारूप भू-आकृतिक स्वरूप जलवायु मिट्टी और मानव प्रश्नों के अन्तसंबंधों का परिणाम होता है।
- पारिस्थितिक संतुलन के दृष्टिकोण से एक-तिहाई भूमि पर वनों का वितरण होना चाहिए। लेकिन भारत के कितने ही राज्य में नाममात्र के वन हैं। इसलिए वन-क्षेत्र के भूमि को बढ़ाना चाहिए। यानी वन-क्षेत्र को बढ़ाना चाहिए।
- भूमि पर बढ़ते हुए जनसंख्या के दबाव को देखते हुए भूमि उपयोग की योजना बनाना आवश्यक है।
- प्रति वर्ष भारत की जनसंख्या बढ़ जाने के कारण प्रति व्यक्ति भूमि की कमी होती जा रही है। कल-कारखानों के बढ़ने तथा नगरों के विकास से भी भूमि का ह्रास हुआ है। इसलिए भूमि के बढ़ते ह्रास को रोकना आवश्यक है।
- भारत में लगभग 13 करोड़ हेक्टेयर भूमि का निम्नीकरण हुआ है। इससे भूमि के ह्रास की स्थिति उत्पन्न हुयी है।
- भारत की क्षतिग्रस्त भूमि लगभग 13 करोड़ हेक्टेयर है। इसका 28% वन भूमिक्षरण से, 10% पवन अपरदन से, 56% जल से और शेष 6% लवण तथा क्षारीय निक्षेपों से प्रभावित है।
- भारत में भूमि के ह्रास को रोकने के लिए कुछ उपाय करना चाहिए, जैसे-उपजाऊ भूमि पर कल-कारखाने और मकान नहीं बनाना चाहिए, जनसंख्या की वृद्धि दर में कमी लाना चाहिए, भूमि के कटाव को रोकना चाहिए, प्राकृतिक आपदाओं से भूमि की रक्षा करनी चाहिए पहाड़ी क्षेत्रों में सीढ़ीनुमा खेत बनाकर और पेड़ लगाकर भूमि के ह्रास को रोका जा सकता है।
- पृथ्वी की ऊपरी सतह जिस पर वनस्पतियाँ उगती हैं, कृषि-कार्य किया जाता है, उसे मिट्टी कहा जाता है।
- मृदा एक सजीव पदार्थ है, क्योंकि इसमें अनेक जैविक पदार्थों का निवास है।
- मृदा पृथ्वी का नैसर्गिक आवरण है जिसमें चट्टानों और खनिजों के सूक्ष्म कण, नष्ट हुयी वनस्पतियाँ, अनेक जीवित सूक्ष्म पदार्थ, छोटे जीव और कार्बनिक पदार्थ उपस्थित रहते हैं।
- मिट्टी के कई वर्ग हैं जो उत्पत्ति और गुणों के आधार पर प्रस्तुत किए जाते हैं।
- मृदा निर्माण के विभिन्न कारक होते हैं, जैसे-खनिजों का छोटे कण में बदलना, रासायनिक प्रक्रिया इत्यादि।
- मृदा निर्माण के पाँच मुख्य घटक हैं (i) स्थानीय जलवायु, (ii) पूर्ववर्ती चट्टानें और खनिज कण (iii) वनस्पति और जीव (iv) भू-आकृति और ऊँचाई (v) मिट्टी बनने का समय।
BSEB Textbook Solutions PDF for Class 10th
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