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Friday, June 24, 2022

BSEB Class 10 Social Science History Chapter 4 भारत में राष्ट्रवाद Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 10th Social Science History Chapter 4 भारत में राष्ट्रवाद Book Answers

BSEB Class 10 Social Science History Chapter 4 भारत में राष्ट्रवाद Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 10th Social Science History Chapter 4 भारत में राष्ट्रवाद Book Answers
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Bihar Board Class 10th Social Science History Chapter 4 भारत में राष्ट्रवाद Textbooks Solutions PDF

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Bihar Board Class 10th Social Science History Chapter 4 भारत में राष्ट्रवाद Books Solutions

Board BSEB
Materials Textbook Solutions/Guide
Format DOC/PDF
Class 10th
Subject Social Science History Chapter 4 भारत में राष्ट्रवाद
Chapters All
Provider Hsslive


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Bihar Board Class 10 History भारत में राष्ट्रवाद Text Book Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

नीचे दिये गए प्रश्नों के उत्तर के रूप में चार विकल्प दिये गये हैं। जो आपको सर्वाधिक उपयुक्त लगे उनमें सही का चिह्न लगायें।

भारत में राष्ट्रवाद Question Answer Bihar Board Class 10 Chapter 4 प्रश्न 1.
गदर पार्टी की स्थापना किसने और कब की?
(क) गुरदयाल सिंह, 1916
(ख) चन्द्रशेखर आजाद, 1920
(ग) लाला हरदयाल, 1913
(घ) सोहन सिंह भाखना, 1918
उत्तर-
(ग) लाला हरदयाल, 1913

Bihar Board Solution Class 10 Chapter 4 प्रश्न 2.
जालियाँवाला बाग हत्याकांड किस तिथि को हुआ?
(क) 13 अप्रैल, 1919 ई०
(ख) 14 अप्रैल, 1919 ई.
(ग). 15 अप्रैल, 1919 ई.
(घ) 16 अप्रैल, 1919 ई.
उत्तर-
(क) 13 अप्रैल, 1919 ई०

Bihar Board Solution Class 10 Social Science Chapter 4 प्रश्न 3.
लखनऊ समझौता किस वर्ष हुआ?
(क) 1916
(ख) 1918.
(ग) 1920
(घ) 1922
उत्तर-
(क) 1916

भारत में राष्ट्रवाद प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 10 Chapter 4 प्रश्न 4.
असहयोग आन्दोलन का प्रस्ताव काँग्रेस के किस अधिवेशन में पारित हुआ?
(क) सितम्बर 1920, कलकत्ता
(ख) अक्टूबर 1920, अहमदाबाद
(ग) नवम्बर 1920, फैजपुर
(घ) दिसम्बर 1920, नागपुर
उत्तर-
(क) सितम्बर 1920, कलकत्ता

राष्ट्रवाद पाठ के प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 10 Chapter 4 प्रश्न 5.
भारत में खिलाफत आंदोलन कब और किस देश के शासक के समर्थन में शुरू हुआ ?
(क) 1920, तुर्की
(ख) 1920, अरब
(ग) 1920, फ्रांस
(घ) 1920, जर्मनी
उत्तर-
(क) 1920, तुर्की

Bihar Board Class 10 History Solution Chapter 4 प्रश्न 6.
सविनय अवज्ञा आंदोलन कब और किस यात्रा से शुरू हुआ?
(क) 1920, भुज
(ख) 1930, अहमदाबाद
(ग) 1930, दांडी
(घ) 1930, एल्बा
उत्तर-
(ग) 1930, दांडी

Savinay Avagya आंदोलन प्रति प्रकाश Dalen Bihar Board Class 10 Chapter 4 प्रश्न 7.
पूर्ण स्वराज्य की माँग का प्रस्ताव काँग्रेस के किस वार्षिक अधिवेशन में पारित हुआ?
(क) 1929, लाहौर
(ख) 1931, कराँची
(ग) 1933, कलकत्ता
(घ). 1937, बेलगाँव
उत्तर-
(क) 1929, लाहौर

Bharat Me Rashtravad Bihar Board Class 10 Chapter 4 प्रश्न 8.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना कब और किसने की?
(क) 1923, गुरु गोलवलकर
(ख) 1925, के. बी. हेडगेवार
(ग) 1926, चित्तरंजन दास
(घ) 1928, लालचंद
उत्तर-
(ख) 1925, के. बी. हेडगेवार

भारत में राष्ट्रवाद का उदय प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 10 Chapter 4 प्रश्न 9.
रपा विद्रोह कब हुआ?
(क) 1916
(ख) 1917
(ग) 1918
(घ) 1919.
उत्तर-
(क) 1916

भारत में राष्ट्रवाद के प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 10 Chapter 4 प्रश्न 10.
बल्लभ भाई पटेल को सरदार की उपाधि किस किसान आंदोलन के दौरान दी गई ?
(क) बारदोली
(ख) अहमदाबाद
(ग) खेड़ा
(घ) चंपारण
उत्तर-
(क) बारदोली

निम्नलिखित में रिक्त स्थानों को भरें:

Bihar Board 10th Social Science Solution Chapter 4 प्रश्न 1.
बाल गंगाधर तिलक और ……….. ने होमरूल लीग आन्दोलन को शुरू किया।
उत्तर-
एनी बेसेन्ट

Bihar Board Class 10 History Notes Pdf Chapter 4 प्रश्न 2.
………….. खिलाफत आन्दोलन के नेता थे भारत में।
उत्तर-
महात्मा गांधी

Bharat Mein Rashtravad Class 10 Chapter 4 प्रश्न 3.
………..फरवरी ……… को ……………. आन्दोलन स्थगित हो गया।
उत्तर-
25, 1922, असहयोग

Bihar Board Class 10 Social Science Solution Chapter 4 प्रश्न 4.
साइमन कमीशन के अध्यक्ष……………थे।
उत्तर-
सर जॉन

Bihar Board Class 10th Social Science Notes Chapter 4 प्रश्न 5.
साइमन …………. में……………”कर के विरोध में आंदोलन आरंभ हुआ।
उत्तर-
1857 भू-राजस्व

Bihar Board Class 10th Social Science Solution Chapter 4 प्रश्न 6.
भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के पहले अध्यक्ष…………..थे।
उत्तर-
डब्ल्यू सी. बनजी

प्रश्न 7.
…………”अप्रैल………..”को अखिल भारतीय किसान सभा का गठन…………”हुआ।
उत्तर-
11, 1936, लखनऊ म

प्रश्न 8.
उड़ीसा में… में …………. विद्रोह हुआ।
उत्तर-
1914 में, खोंड विद्रोह

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (20 शब्दों में उत्तर दें)

प्रश्न 1.
खिलाफत आन्दोलन क्यों हुआ?
उत्तर-
1920 के प्रारंभ में भारतीय मुसलमानों ने तुर्की के प्रति ब्रिटेन के अपनी नीति बदलने के लिए जोरदार आन्दोलन प्रारंभ किया जिसे खिलाफत आन्दोलन कहा गया।

प्रश्न 2.
रॉलेट एक्ट से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
अंग्रेजों द्वारा 1919 में पारित किया गया एक ऐसा कानून जिसमें किसी भी भारतीय अदालत में मुकदमा चलाए जेल में बन्द किया जा सकता था।

प्रश्न 3.
दांडी यात्रा का क्या उद्देश्य था?
उत्तर-
समुद्र के पानी से नमक बनाकर अंग्रेजी कानून का उल्लंघन करना।

प्रश्न 4.
गाँधी-इरविन पैक्ट अथवा दिल्ली समझौता क्या था?
उत्तर-
सविनय अवज्ञा आन्दोलन की व्यापकता ने अंग्रेजी सरकार को समझौता करने के लिए बाध्य किया। 5 मार्च, 1931 को गाँधीजी एवं लार्ड इरविन के बीच जो समझौता हुआ उसे गाँधी इरविन पैक्ट कहा जाता है।

प्रश्न 5.
चम्पारण सत्याग्रह के बारे में बताओ।
उत्तर-
बिहार के चम्पारण में नील की खेती करनेवाले किसानों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ गाँधी जी ने सत्य और अहिंसापूर्ण तरीके से जो आंदोलन चलाया उसे चम्पारण सत्याग्रह कहा जाता है।

प्रश्न 6.
मेरठ षड्यंत्र से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
मार्च 1929 में सरकार ने 31 श्रमिक नेताओं को बंदी बना लिया तथा मेरठ लाकर उनपर मुकदमा चलाया गया, जिसे मेरठ षड्यंत्र कहा जाता है।

प्रश्न 7.
जतरा भगत के बारे में आप क्या जानते हैं, संक्षेप में बताओ।
उत्तर-
1914 से 1920 तक खोंड विद्रोह के बाद छोटानागपुर क्षेत्र के उराँवों के द्वारा चलाए जानेवाले अहिंसक आंदोलन का नेता जतरा भगत था, जिसने आन्दोलन में सामाजिक और शैक्षणिक सुधार पर विशेष बल दिया।

प्रश्न 8.
ऑल इण्डिया ट्रेड यूनियन की स्थापना क्यों हुई?
उत्तर-
ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस नामक एक संगठन जिसकी स्थापना 31 अक्टूबर 1920 को किया गया तथा सी० आर० दास ने सुझाव दिया कि कांग्रेस द्वारा किसानों एवं श्रमिकों को राष्ट्रीय आन्दोलन के सक्रिय रूप में शामिल किया जाए।

सुमेलित करें-



उत्तर-
1. (ख)
2. (क)
3. (ग)
4. (ङ)
5. (च)
6. (घ)।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (60 शब्दों में उत्तर दें)

प्रश्न 1.
असहयोग आन्दोलन प्रथम जन आंदोलन था कैसे ?
उत्तर-
महात्मा गाँधी के नेतृत्व में प्रारंभ किया गया असहयोग आन्दोलन प्रथम जनान्दोलन था, जिसके मुख्य कारण निम्न हैं

  • खिलाफत का मुद्दा
  • पंजाब में सरकार की बर्बर कारवाइयों के विरुद्ध न्याय प्राप्त करना
  • स्वराज्य की प्राप्ति।

इस आन्दोलन में दो तरह के कार्यक्रम थे। प्रथमतः अंग्रेजी सरकार को कमजोर करने एवं नैतिक रूप से पराजित करने के लिए विध्वंसात्मक कार्य जैसे- उपाधियों एवं अवैतनिक पदों का त्याग करना, सरकारी तथा गैर-सरकारी समारोहों का बहिष्कार करना, विदेशी वस्तुओं का… बहिष्कार करना इत्यादि शामिल थे। . द्वितीयतः रचनात्मक कार्यों के अन्तर्गत, न्यायालय के स्थान पर पंचों का फैसला मानना, राष्ट्रीय विद्यालयों एवं कॉलेजों की स्थापना ताकि सरकारी कॉलेजों का बहिष्कार करके वाले विद्यार्थी पढ़ाई जारी रख सकें। स्वदेशी को अपनाना, चरखा खादी को लोकप्रिय बनाना, तिलक स्वराजकोष हेतु एक करोड़ रुपये इकट्ठा करना तथा 20 लाख चरखों का सम्पूर्ण भारत में वितरण करना शामिल था।

प्रश्न 2.
सविनय अवज्ञा आंदोलन के क्या परिणाम हुए ?
उत्तर-

  • सामाजिक आधार का विस्तार।
  • समाज के विभिन्न वर्गों का राजनीतिकरण।
  • महिलाओं का सार्वजनिक जीवन में प्रवेश।
  • ब्रिटिश सरकार द्वारा 1935 ई. का भारत शासन अधिनियम पारित किया जाना।
  • ब्रिटिश सरकार का काँग्रेस से समानता के आधार पर बातचीत।

प्रश्न 3.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना किन परिस्थितियों में हुई ?
उत्तर-
भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की स्थापना, भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की शुरूआत 19वीं सदी के अन्तिम चरण में हुई थी। इस समय इंडियन एसोसिएशन द्वारा रेंट बिल का विरोध किया जा रहा था, साथ ही लार्ड लिटन द्वारा बनाए गए प्रेस अधिनियम और शस्त्र अधिनियम का भारतीय द्वारा जबरदस्त विरोध किया जा रहा था। लार्ड रिपन के काल में पास हुए इलबर्ट बिल का यूरोपियनों द्वारा संगठित विरोध से प्राप्त विजय ने भारतीय राष्ट्रवादियों को संगठित होने का पर्याप्त कारण दे दिया।

प्रश्न 4.
बिहार के किसान आन्दोलन पर एक टिप्पणी लिखें।
उत्तर-
महात्मा गाँधी के भारतीय राजनीति में पदार्पण के साथ ही किसान आन्दोलन को नई दिशा मिली। इन्हीं में एक प्रमुख है चम्पारण आन्दोलन।
बिहार के चम्पारण जिले में नील उत्पादक किसानों की स्थिति बहुत ही दयनीय थी। यहाँ नीलहे गोरों द्वारा तीनकठिया व्यवस्था प्रचलित थी जिसमें किसानों को अपनी उस भूमि के 3/20 हिस्से पर नील की खेती करनी होती थी जो सामान्यतः सबसे उपजाऊ भूमि होती थी। जबकि किसान नील की खेती नहीं करना चाहते थे क्योंकि इससे भूमि की उर्वरता कम हो जाती था।

बगान मालिक किसानों को अपनी उपज एक निश्चित धनराशि पर केवल उन्हें ही बेचने के लिए बाध्य करते थे और यह राशि बहुत ही कम होती थी। इसके अलावा उन्होंने अपने लगान में । अत्यधिक वृद्धि कर दी। इन सब अत्याचारों से त्रस्त एक किसान राजकुमार शुक्ल ने 1916 में कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में सबका ध्यान इस ओर आकृष्ट किया और महात्मा गाँधी को चम्पारण आने पर विवश किया। इसके बाद गाँधी जी ने किसानों को संगठित कर आंदोलन चलाया इसे चम्पारण सत्याग्रह भी कहा जाता है।

प्रश्न 5.
स्वराज्य पार्टी की स्थापना एवं उद्देश्य की विवेचना करें।
उत्तर-
असहयोग आन्दोलन की एकाएक वापसी से उत्पन्न निराशा और क्षोभ का प्रदर्शन 1922 में हुए कांग्रेस के गया अधिवेशन में हुआ जिसके अध्यक्ष चितरंजन दास थे। चितरंजन दास एवं मोतीलाल नेहरू आदि नेताओं का विचार था कि रचनात्मक कार्यक्रम के साथ ही कांग्रेसी देश के विभिन्न निर्वाचनों में भाग लेकर व्यावसायिक सभाओं, सार्वजनिक संस्थाओं में प्रवेश कर सरकार के कामकाज में अवरोध पैदा करें। इसी प्रश्न पर एक प्रस्ताव लाया गया, परन्तु पारित नहीं हो पाया। तब चितरंजनदास एवं मोतीलाल नेहरू ने अपने काँग्रेस पद त्याग दिए और स्वराज पार्टी की स्थापना कर डाली और इसका प्रथम अधिवेशन 1923 में इलाहाबाद में हुआ।
इनका मुख्य उद्देश्य था भारत में अंग्रेजों द्वारा चलाई गयी सरकारी परम्पराओं का अंत करना।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (लगभग 150 शब्दों में उत्तर दें)

प्रश्न 1.
प्रथम विश्व युद्ध का भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के साथ अंतर्संबंधों की विवेचना करें?
उत्तर-
प्रथम विश्वयुद्ध औद्योगिक क्रान्ति के परिणामस्वरूप उत्पन्न औपनिवेशिक व्यवस्था, भारत सहित अन्य एशियाई एवं अफ्रीकी देशों में उसकी स्थापना और उसे सुरक्षित रखने के प्रयासों के क्रम में लड़ा गया। ब्रिटेन के सभी उपनिवेशों में भारत सबसे महत्वपूर्ण था और इसे प्रथम महायुद्ध के अस्थिर माहौल में भी हर हाल में सुरक्षित रखना उसकी पहली प्राथमिकता थी। युद्ध आरंभ होते ही ब्रिटिश सरकार ने घोषणा की कि भारत में ब्रिटिश शासन का लक्ष्य यहाँ क्रमशः एक जिम्मेवार सरकार की स्थापना करना है। 1916 में सरकार ने भारत में आयात शुल्क लगाया ताकि भारत में कपड़ा उद्योग का विकास हो सके।

विश्वयुद्ध के समय भारत में होनेवाली तमाम घटनाएँ युद्ध से उत्पन्न परिस्थितियों की ही. देन थीं। इसने भारत में एक नई आर्थिक और राजनैतिक स्थिति पैदा की जिससे भारतीय ज्यादा परिपक्व हुए। युद्ध प्रारम्भ होने के साथ ही तिलक और गाँधी जैसे राष्ट्रीवादी नेताओं ने ब्रिटिश सरकार के युद्ध गगा में हर संभव सहयोग दिया क्योंकि उन्हें सरकार के स्वराज सम्बन्धी आश्वासन में भरोसा था। तत्कालीन राष्ट्रवादी नेताओं जिसमें तिलक भी शामिल थे ने सरकार पर स्वराज प्राप्ति के लिए दबाव बने के तहत 1915-17 के बीच एनी बेसेन्ट और तिलक ने आयरलैण्ड से प्रेरित होकर भारत में भी होमरूल लीग आन्दोलन प्रारंभ किया। युद्ध के इसी काल में क्रांतिकारी आन्दोलन का भी भारत और विदेशी धरती दोनों जगह पर यह विकास हुआ।

प्रश्न 2.
असहयोग आंदोलन के कारण एवं परिणाम का वर्णन करें।
उत्तर-
महात्मा गांधी के नेतृत्व में 1921 ई. में पंजाब और तुर्की के साथ हुए अन्यायों का प्रतिकार और स्वराज्य की प्राप्ति के उद्देश्य से असहयोग आन्दोलन प्रारम्भ हुआ जिसके कारण निम्नलिखित हैं

  • खिलाफत का मुद्दा।
  • पंजाब में सरकार की बर्बर कार्रवाइयों के विरुद्ध न्याय प्राप्त करना और अंततः
  • स्वराज की प्राप्ति करना।

इस आन्दोलन के परिणाम निम्न हैं-

  • जनता का अपार सहयोग मिला।
  • देश की शिक्षण संस्थाएं लगभग बंद सी हो गई, क्योंकि छात्रों ने उनका त्याग कर दिया था।
  • राष्ट्रीय शिक्षा के एक नये कार्यक्रम की शुरूआत की गई। इस सिलसिले में काशी विद्यापीठ और जामिया मिलिया जैसे संस्थाओं की स्थापना हुई।
  • कितने लोगों ने सरकारी नौकरियाँ छोड़ दी। विदेशी वस्त्रों की होली जलायी जाने लगी। (v) इस आन्दोलन में हिन्दू और मुसलमान दोनों ने एक होकर भाग लिया।

प्रश्न 3.
सविनय अवज्ञा आन्दोलन के कारणों की विवेचना करें।
उत्तर-
ब्रिटिश औपनिवेशिक सत्ता के खिलाफ गाँधीजी के नेतृत्व में 1930 ई. में छेड़ा गया सविनय अवज्ञा आंदोलन दूसरा जन-आंदोलन था, जिसके कारण निम्नलिखित हैं

  • साइमन कमीशन का विरोध-इस कमीशन का उद्देश्य संविधानिक सुधार के प्रश्न पर विचार करना था परन्तु भारत में इसके विरुद्ध त्वरित एवं तीव्र प्रतिक्रिया हुई।
  • सांप्रदायिकता की भावना को उभरने से बचाने के लिए।
  • विश्वव्यापी आर्थिक मंदी का प्रभाव भारत की अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा पड़ा। पूरे देश में सरकार के खिलाफ वातावरण बन गया।
  • वामपंथी दबाव को संतुलित करने हेतु एक आन्दोलन के एक नए कार्यक्रम की आवश्यकता थी।
  • पूर्ण स्वराज्य की माँग के लिए 31 दिसम्बर, 1929 की मध्य रात्रि को रावी नदी के तट पर नेहरू ने तिरंगा झंडा फहराया तथा स्वतंत्रता की घोषणा का प्रस्ताव पढ़ा। 26 जनवरी 1930 को पूर्ण स्वतंत्रता दिवस मनाने की घोषणा की गई। इस प्रकार पूरे देश में उत्साह की एक नई लहर जग गई जो आंदोलन के लिए तैयार बैठी थी।
  • इरविन द्वारा गाँधी से मिलने से इनकार करने के बाद बाध्य होकर गांधी जी ने ‘दांडी-मार्च’ द्वारा अपना आंदोलन शुरू किया ?

प्रश्न 4.
भारत में मजदूर आन्दोलन के विकास का वर्णन करें।
उत्तर-
19वीं शताब्दी के आरम्भ होते ही मजदूर वर्ग के विकास के साथ राष्ट्रवादी . बुद्धिजीवियों में एक नई प्रवृत्ति का आविर्भाव हुआ। अब इन्होंने मजदूर वर्ग के हितों की शक्तिशाली पूंजीपतियों से रक्षा के लिए कानून बनाने की बात करनी शुरू कर दी। 1903 ई. में सुब्रह्मण्य अय्यर ने मजदूर यूनियन के गठन की वकालत की। स्वदेशी आन्दोलन का प्रभाव भी मजदूर आन्दोलन पर पड़ा। यद्यपि इसका मुख्य प्रभाव क्षेत्र बंगाल.था. परंतु इसके संदेश पूरे भारत में फैल रहे थे।

अहमदाबाद गुजरात के एक महत्वपूर्ण औद्योगिक नगर के रूप में विकसित हो रहा था। 1917 में अहमदाबाद में प्लेग फैला, अधिकांश मजदूर भागने लगे। मिल मालिकों ने उन्हें रोकने के लिए साधारण मजदूरी का 50% बोनस देने की बात कही परंतु बाद में उन्होंने बोनस देने से मना कर दिया। इसका श्रमिकों ने विरोध किया। गांधी जी को जब अहमदाबाद के श्रमिकों की हड़ताल का पता चला तो उन्होंने अम्बाला साराभाई नामक एक परिचित.मिल-मालिक से बातचीत की और इस समस्या में हस्तक्षेप करने का निर्णय लिया। परन्तु बाद में मिल-मालिकों ने बात करने से मना कर दिया और मिल में तालाबन्दी की घोषणा कर दी। बाद में गांधी जी ने 50% की जगह 35% मजदूरी बढ़ोतरी की बात कहकर समझौता होने तक भूख हड़ताल पर रहने की बात कही। अंततः मिल-मालिकों ने गांधी जी के प्रस्ताव को मानकर मजदूरों के पक्ष में 35% वृद्धि का निर्णय दिया और मजदूर आन्दोलन सफल हुआ।

कुछ अन्तर्राष्ट्रीय घटनाओं जैसे सोवियत संघ की स्थापना, कुमिन्टन की स्थापना तथा अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की स्थापना जैसी घटनाओं से भारतीय श्रमिक वर्ग में एक नयी चेतना’ का प्रसार हुआ फलस्वरूप 31 अक्तूबर, 1920 को एटक की स्थापना की गई।

1920 के पश्चात साम्यवादी आन्दोलन के उत्थान के फलस्वरूप मजदूर संघ आन्दोलनों में कुछ क्रान्तिकारी और सैनिक भावना आ गयी। 1928 में गिरनी कामगार यूनियन के नेतृत्व में बम्बई टेक्सटाइल मिल में 6 माह लम्बी हड़ताल का आयोजन किया गया। उग्रवादी प्रभावों के परिप्रेक्ष्य में मजदूर संघ आंदोलनों की बढ़ती क्रियाशीलता के कारण सरकार चिन्तित हो गयी तथा इन आन्दोलनों पर रोक लगाने के लिए वैधानिक कानूनों का सहारा लेने का प्रयास किया। इस संबंध में सरकार ने श्रमिक विवाद अधिनियम 1929 तथा नागरिक सुरक्षा अध्यादेश 1929 बनाए।

प्रश्न 5.
भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलनों में गाँधी जी के योगदान की विवेचना करें। ..
उत्तर-
भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलनों में गांधी जी के योगदान की विवेचना कर सूर्य को दीपक दिखाने जैसा कार्य होगा। गाँधी जी के बिना राष्ट्रीय आन्दोलनों की चर्चा ही बेमानी है।

प्रथम विश्वयुद्ध के बाद उत्पन्न परिस्थितियों ने राष्ट्रीय आन्दोलनों में गाँधीवादी चरण (1919-47) के लिए पृष्ठभूमि के निर्माण का कार्य किया। जनवरी 1915 में दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद गाँधीजी ने रचनात्मक कार्यों के लिए अहमदाबाद में साबरमती आश्रम की स्थापना की। चम्पारण एवं खेड़ा में कृषक आन्दोलन और अहमदाबाद में श्रमिक आन्दोलन को नेतृत्व प्रदान कर गाँधीजी ने प्रभावशाली राजनेता के रूप में अपनी राष्ट्रीय पहचान बनाई। प्रथम विश्वयुद्ध के अन्तिम दौर में इन्होंने कांग्रेस, होमरूल एवं मुस्लिम लीग के नेताओं के साथ भी घनिष्ठ संबंध स्थापित किया। ब्रिटिश सरकार की उत्पीड़नकारी नीतियों एवं रौलेट एक्ट के विरोध में इन्होंने ” सत्याग्रह की शुरूआत की।

नवम्बर 1919 में ही महात्मा गाँधी अखिल भारतीय खिलाफत आन्दोलन के अध्यक्ष बने। इसे गांधीजी ने हिन्दू-मुस्लिम एकता के महान अवसर के रूप में देखा।

सितम्बर 1920 के भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के कलकता अधिवेशन में गाँधी जी की प्रेरणा से अन्यायपूर्ण कार्यों के विरोध में दो प्रस्ताव पारित कर असहयोग आन्दोलन चलाने का निर्णय लिया, जो प्रथम जनान्दोलन बन गया।

ब्रिटिश औपनिवेशिक सत्ता के खिलाफ गाँधीजी के नेतृत्व में 1930 ई. में छेड़ा गया सविनय अवज्ञा आन्दोलन दूसरा ऐसा जन-आन्दोलन था जिसका सामाजिक आधार काफी विस्तृत था। इस आंदोलन की शुरूआत गाँधी जी ने 12 मार्च 1930 ई. को दांडी यात्रा से की। उन्होंने 24 दिनों में 250 कि. मी. की पदयात्रा के पश्चात् 5 अप्रैल को दांडी पहुँचे एवं 6 अप्रैल को समुद्र के ..पानी से नमक बनाकर ब्रिटिश कानून का उल्लंघन किया।

प्रश्न 6.
भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में वामपंथियों की भूमिका को रेखांकित करें।
उत्तर-
वामपंथी शब्द का प्रथम प्रयोग फ्रांसीसी क्रांति में हुआ था परन्तु कालांतर में समाजवाद .. या साम्यवाद के उत्थान के बाद यह शब्द उन्हीं का पयार्यवाची बन गया।

20वीं शताब्दी के प्रारम्भिक काल में ही भारत में साम्यवादी विचारधाराएँ फैलनी शुरू हो – गई थीं और बम्बई, कलकता, कानपुर, लाहौर, मद्रास आदि जगहों पर साम्यवादी सभाएँ बननी शुरू हो गईं। उस समय इन विचारों से जुड़े लोगों में मुजफ्फर अहमद, एस. ए. डांगे, मोलवी – बरकतुल्ला गुलाम, हुसैन आदि के नाम प्रमुख थे। इन लोगों ने अपने पत्रों के माध्यम से साम्यवादी – विचारों का पोषण शुरू कर दिया था। परन्तु रूसी क्रांति की सफलता के बाद साम्यवादी विचारों

का तेजी से भारत में फैलाव शुरू हुआ। उसी समय 1920 में मानवेन्द्र नाथ राय ने ताशकंद में .. भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी की स्थापना की। लेकिन अभी भारत में लोग छिपकर काम कर रहे थे। फिर असहयोग आन्दोलन के दौरान पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से उन्हें अपने विचारों को फैलाने का अच्छा मौका मिला। साथ ही ये लोग आतंकवादी राष्ट्रीय आंदोलनों से भी जुड़ने लगे थे। इसलिए असहयोग आन्दोलन समाप्ति के बाद सरकार ने इन लोगों का दमन शुरू किया और पेशावर षड्यंत्र केस (1922-23), कानपुर षड्यंत्र केस (1924), मेरठ षड्यंत्र केस (1929-33) के तहत 8 लोगों पर मुकदमे चलाए।

तब साम्यवादियों ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया और राष्ट्रवादी “साम्यवादी शहीद” कहे जाने लगे। इसी समय इन्हें काँग्रेसियों का समर्थन मिला क्योंकि सरकार द्वारा लाए गए “पब्लिक सेफ्टी बिल” को कांग्रेसियों पारित नहीं होने दिए थे। यह कानून कम्युनिष्टों के विरोध में था। इस तरह अब साम्यवादी आन्दोलन प्रतिष्ठित होता जा रहा था कि दिसम्बर 1925 में सत्यभक्त नामक व्यक्ति ने भारतीय कम्युनिष्ठ पार्टी की स्थापना कर डाली।

अब इंगलैंड के साम्यवादी दल ने भी भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी में दिलचस्पी लेना शुरू किया। धीरे-धीरे वामपंथ का प्रसार मजदूर संघों पर बढ़ रहा था। सविनय अवज्ञा आन्दोलन के दौरान साम्यवादियों ने अपनी चाल-चलनी शुरू की। उन्होंने काँग्रेस का विरोध शुरू किया, क्योंकि काँग्रेस उद्योगपतियों और जमींदारों का समर्थन कर रही थी, जो मजदूरों का शोषण करते थे। धीरे-धीरे काँग्रेस और. कम्युनिष्ट पार्टी का संबंध टूट गया। इसी के परिणामस्वरूप सुभाषचन्द्र बोस द्वारा फारवर्ड ब्लॉक की स्थापना की गयी।

Bihar Board Class 10 History भारत में राष्ट्रवाद Additional Important Questions and Answers

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
सीमांत गाँधी किन्हें कहा जाता है।
उत्तर-
खान अब्दुल गफ्फार खाँ को।

प्रश्न 2.
मणिपुर एवं नागालैंड में नमक सत्याग्रह का प्रसार किसने किया?
उत्तर-
रानी गैडिनल्यू ने।

प्रश्न 3.
गांधीजी ने खिलाफत आंदोलन को समर्थन क्यों दिया?
उत्तर-
हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए क्योंकि गांधी को भारत में एक बड़ा जन आंदोलन असहयोग आंदोलन चलाना था।

प्रश्न 4.
असहयोग आंदोलन में चौरी-चौरा की घटना का क्या महत्व है ?
उत्तर-
5 फरवरी, 1922 को चौरी-चौरा में हुई घटना के कारण ही महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया था।

प्रश्न 5.
स्वराज पार्टी का गठन किस उद्देश्य से किया गया?
उत्तर-
स्वराज पार्टी का गठन का उद्देश्य प्रांतीय विधायिकाओं में प्रवेश कर सरकार पर दबाव डालकर स्वराज की स्थापना के लिए प्रयास करना था।

प्रश्न 6.
कांग्रेस के किस अधिवेशन में पूर्ण स्वाधीनता की मांग की गई ? इस अधिवेशन के अध्यक्ष कौन थे?
उत्तर-
कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन, 1929 में पूर्ण स्वाधीनता की मांग की गई। इस अधिवेशन के अध्यक्ष जवाहर लाल नेहरू थे।

प्रश्न 7.
गांधी जी ने दांडी की यात्रा क्यों की?
उत्तर-
गांधी जी के दांडी यात्रा का मुख्य उद्देश्य समुद्र के पानी से नमक बनाकर सरकार के नमक कानून का उल्लंघन करना था।

प्रश्न 8.
1932 के पूना समझौता का क्या परिणाम हुआ?
उत्तर-
1932 में गांधीजी और डॉ. अंबेडकर के बीच पूना समझौता हुआ जिसके परिणामस्वरूप । दलित वर्गों के लिए प्रांतीय और केन्द्रीय विधायिकाओं में कुछ स्थान आरक्षित हुए।

प्रश्न 9.
अल्लूटी सीताराम राजू कौन थे ?
उत्तर-
आंध्र प्रदेश के गुडेम पहाड़ियों में वन कानूनों के विरोध में आदिवासियों के विद्रोह का नेतृत्व अल्लूरी सीताराम राजू ने किया।

प्रश्न 10.
गाँधीजी के स्वराज्य झंडा में कौन-कौन-से रंग और प्रतीक थे ?
उत्तर-
गाँधीजी के स्वराज्य झंडा में सफेद, हरा और लाल रंग थे। झंडे के बीच में जो चरखा का चित्र बना हुआ था। वह स्वावलंबन का प्रतीक था। इस झंडे को हाथ में लेकर लोग गौरवपूर्ण ढंग से जुलूसों और प्रदर्शनों में भाग लेकर ब्रिटिश शासन के प्रति अवज्ञा का भाव प्रदर्शित करते थे।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भारत में राष्ट्रवाद उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से कैसे विकसित हुआ? .
उत्तर-
भारतीय राष्ट्रवाद का उदय और विकास हिन्द-चीन के समान औपनिवेशिक शासन की प्रतिक्रियास्वरूप हुआ। 19वीं सदी के उत्तरार्द्ध से औपनिवेशिक राज की प्रशासनिक, आर्थिक और अन्य नीतियों के विरुद्ध असंतोष की भावना बलवती होने लगा। यद्यपि 1857 के विद्रोह के पूर्व भी अंगरेजी आधिपत्य के विरुद्ध क्षेत्रीयता के आधार पर औपनिवेशिक शासन का विरोध किया गया था परन्तु राष्ट्र की अवधारणा और राष्ट्रीय चेतना का विकास 19वीं सदी के उत्तरार्द्ध उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से ही हुआ।

प्रश्न 2.
प्रथम विश्वयुद्ध ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को किस प्रकार बढ़ावा दिया ?
उत्तर-
प्रथम विश्वयुद्ध 20वीं शताब्दी के यूरोपीय इतिहास की एक महत्त्वपूर्ण घटना थी। यह युद्ध औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप उत्पन्न औपनिवेशिक व्यवस्था बनाए रखने के कारण हुआ। युद्ध आरंभ होने पर अंगरेजी सरकार ने यह घोषणा की कि ब्रिटिश सरकार का उद्देश्य भारत में एक उत्तरदायी शासन की स्थापना करना है। सरकार ने यह भी कहा कि ब्रिटिश सरकार जिन आदर्शों के लिए लड़ रही थी उन्हें युद्ध की समाप्ति के बाद भारत में भी लागू किया जाएगा, परंतु ऐसा नहीं हुआ। प्रथम विश्वयुद्ध के प्रभावों के कारण भारत में राष्ट्रीयता की भावना बलवती हुई और स्वतंत्रता आंदोलन तीव्र हो उठा। प्रथम विश्वयुद्ध के आर्थिक और राजनीतिक परिणामों ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को प्रभावित किया।

प्रश्न 3.
भारतीयों ने रॉलेट कानून का विरोध क्यों किया?
उत्तर-
भारतीय क्रांतिकारियों में उभरती हुई राष्ट्रीयता की भावना को दबाने के लिए ब्रिटिश सरकार ने न्यायाधीश सर सिडनी रॉलेट की अध्यक्षता में रॉलेट आयोग का गठन किया। भारतीय नेताओं के विरोध के बावजूद भी यह विधेयक 8 मार्च, 1919 को लागू कर दिया गया। इस कानून का विरोध भारतीयों ने जबर्दस्त रूप से किया। इस कानून के अंतर्गत एक विशेष न्यायालय का गठन किया गया जिसके निर्णय के विरूद्ध कोई अपील नहीं किया जा सकता था। इस कानून के द्वारा सरकार किसी भी व्यक्ति को संदेह के आधार पर गिरफ्तार करने उसपर मुकदमा चला सकती थी। गांधीजी ने इस कानून को अनुचित स्वतंत्रता का हनन करनेवाला तथा व्यक्ति के मूल अधिकारों की हत्या करनेवाला बताया।

प्रश्न 4.
साइमन कमीशन भारत क्यों आया? भारतीयों में इसकी क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर-
1919 ई. के भारत सरकार अधिनियम द्वारा स्थापित उत्तरदायी शासन की स्थापना में किए गए प्रयासों की समीक्षा करने एवं आवश्यक सुझाव देने के उद्देश्य से ब्रिटिश सरकार ने 1927 में सरजॉन साइमन की अध्यक्षता में साइमन कमीशन का गठन किया। इसके सभी 7 सदस्य अंग्रेज थे। इस कमीशन का उद्देश्य सांविधानिक सुधार के प्रश्न पर विचार करना था। इस कमीशन में किसी भी भारतीय को शामिल नहीं किया गया जिसके कारण भारतीयों में इस कमीशन का तीव्र विरोध हुआ। भारतीयों में इसकी प्रतिक्रिया का एक और कारण यह था कि भारत के स्वशासन के संबंध में निर्णय विदेशियों द्वारा किया जाना था। 3 फरवरी, 1928 को कमीशन के बम्बई पहुंचने पर इसका स्वागत हड़ताल, पदर्शन और कालेझंडों से हुआ तथा ‘साइमन वापस जाओ’ के नारों से हुआ।

प्रश्न 5.
नमक यात्रा पर एक टिप्पणी लिखें।
उत्तर-
सविनय अवज्ञा आंदोलन का प्रारंभ नमक सत्याग्रह से माना जाता है। नमक कानून भंग करने के लिए गांधीजी ने दांडी को चुना जो साबरमती आश्रम से 240 किलोमीटर दूर थी। गांधी अपने 78 विश्वस्त सहयोगियों के साथ 12 मार्च, 1930 को साबरमती से दांडी यात्रा आरंभ की। नमक यात्रा में गांधी के साथ सैंकड़ों युवक, किसान, मजदूर, महिलाएं शामिल हो गए। गांधीजी को देखने और उनका भाषण सुनने के लिए हजारों लोग एकत्र होते थे। 24 दिनों के लम्बी यात्रा के बाद 6 अप्रैल, 1930 को गांधी दांडी पहुँचे। वहाँ पहुँचकर उन्होंने समुद्र के पानी से नमक बनाकर अहिंसक ढंग से सरकार के नमक कानून को भंग किया।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय राष्ट्रवाद के उदय के कारणों पर प्रकाश डालें ?
उत्तर-
भारत में राष्ट्रवाद का उदय और विकास 19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध की प्रमुख घटना है। भारतीय राष्ट्रवाद के उदय के प्रमुख कारण हैं

(i) अंग्रेजी साम्राज्यवाद के विरुद्ध असंतोष- अंग्रेजी नीतियों के प्रति बढ़ता असंतोष . भारतीय राष्ट्रवाद के विकास का प्रमुख कारण था। अंगरेजी सरकार की नीतियों के शोषण का शिकार देशी रजवाड़े ताल्लुकेदार, महाजन, कृषक मजदूर, मध्यमवर्ग सभी बने/पूँजीपति वर्ग भी सरकार की भेदभाव आर्थिक नीति से असंतुष्ट था। ये सभी अंगरेजी शासन को अभिशाप मानकर इसका खात्मा करने का मन बनाने लगे।

(ii) आर्थिक कारण– भारतीय राष्ट्रवाद के उदय का एक महत्वपूर्ण कारण आर्थिक कारण था। सरकारी आर्थिक नीतियों के कारण कृषि और कुटीर उद्योग-धंधे नष्ट हो गए। किसानों पर लगान एवं कर्ज का बोझ बढ़ गया। किसानों को नगरी फसल उपजाने को बाध्य कर उसका भी मुनाफा सरकार ने उठाया। देशी उद्योगों की स्थिति भी दयनीय हो गयी। अंगरेजी आर्थिक नीतियों के कारण भारतीय धन का निष्कासन हुआ, जिससे भारत की गरीबी बढ़ी। इससे भारतीयों में प्रतिक्रिया हुई एवं राष्ट्रीय चेतना का विकास हुआ।

(iii) अंगरेजी शिक्षा का प्रसार- भारत में अंगरेजी शिक्षा के प्रचार के कारण भारतीय लोग भी अमेरिका, फ्रांस तथा यूरोप की अन्य महान क्रांतियों से परिचित हुए। रूसो, वाल्टेयर, मेजिनी, गैरीबाल्डी जैसे दार्शनिकों एवं क्रांतिकारियों के विचारों का प्रभाव उनपर पड़ा। वे भी अब स्वतंत्रता, समानता एवं नागरिक अधिकारों के प्रति सचेत होने लगे।

(iv) साहित्य एवं समाचारपत्रों का योगदान- राष्ट्रीय चेतना जागृत करने में प्रेस और . साहित्य का भी महत्वपूर्ण योगदान था। 19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध से अंगरेजी और भारतीय भाषाओं में अनेक समाचार पत्र एवं पत्रिकाएँ प्रकाशित होनी आरंभ हुई जैसे हिंदू पैट्रियाट, हिन्दू, आजाद, संवाद कौमुदी इत्यादि। इनमें भारतीय राजनीतिक एवं सामाजिक मुद्दों को उठाकर सरकारी नीतियों की आलोचना की गई।

(v) सामाजिक-धार्मिक सुधार आंदोलन का प्रभाव- 19वीं शताब्दी के सामाजिक-धार्मिक सुधार आंदोलन ने भी राष्ट्रीयता की भावना विकसित की। इस समय तक भारतीय समाज एवं धर्म कुरीतियों और रूढ़ियों से ग्रस्त हो चुका था। राजा राममोहन राय, दयानंद सरस्वती, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानन्द के प्रयासों से नई चेतना जगी। ब्रह्म समाज, आर्य समाज, प्रार्थना समाज, रामकृष्ण मिशन ने एकता, समानता एवं स्वतंत्रता की भावना जागृत की तथा भारतीयों में आत्म-सम्मान, गौरव एवं राष्ट्रीयता की भावना का विकास करने में योगदान दिया।

प्रश्न 2.
जालियाँवाला बाग हत्याकांड क्यों हुआ? इसने राष्ट्रीय आंदोलन को कैसे बढ़ावा दिया?
उत्तर-
भारत में क्रांतिकारी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से सरकार ने 1919 में रॉलेट कानून (क्रांतिकारी एवं अराजकता अधिनियम) बनाया। इस कानून के अनुसार सरकार किसी को भी संदेह ने आधार पर गिरफ्तार कर बिना मुकदमा चलाए उसको दंडित कर सकती थी तथा इसके खिलाफ कोई अपील भी नहीं की जा सकती थी। भारतीयों ने इस कानून का कड़ा विरोध किया। इसे ‘काला कानून’ की संज्ञा दी गई। गांधीजी ने इस कानून को अनुचित, अन्यायपूर्ण, स्वतंत्रता का हनन करनेवाला तथा नागरिकों के मूल अधिकारों की हत्या करने वाला बताया। उन्होंने जनता से शांतिपूर्वक इस कानून का विरोध करने को कहा।

अमृतसर में एक बहुत ही बड़ा प्रदर्शन हुआ जिसकी अध्यक्षता डॉ. सत्यपाल और डॉ. किचलू कर रहे थे। सरकार ने दोनों को अमृतसर से निष्कासित कर दिया। जनरल डायर ने पंजाब में फौजी शासन लागू कर आतंक का राज्य स्थापित कर दिया। पंजाब के लोग अपने प्रिय नेता की गिरफ्तारी तथा सरकार की दमनकारी नीति के खिलाफ 13 अप्रैल, 1919 को बैसाखी मेले के अवसर पर जालियाँवाला बाग में एक विराट सम्मेलन का आयोजन कर विरोध प्रकट कर रहे थे जिसके कारण ही डायर ने निहत्थी जनता पर गोलियाँ चलवा दी। यह घटना जालियांवाला बाग हत्याकांड के नाम से जाना गया।

जालियांवाला बाग की घटना ने पूरे भारत को आक्रोशित कर दिया। जगह-जगह विरोध प्रदर्शन और हड़ताल हुए। गुरूदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने घटना के विरोध में अपना ‘सर’ का खिताब वापस लौटाने की घोषणा की। वायसराय की कार्यकारिणी के सदस्य शंकरन नायर ने इस्तीफा दे दिया। गांधीजी ने कैंसर-ए-हिन्द की उपाधि त्याग दी। जालियांवाला बाग हत्याकांड ने राष्ट्रीय आंदोलन में एक नई जान फूंक दी।

प्रश्न 3.
खिलाफत आंदोलन क्यों हुआ? गांधीजी ने इसका समर्थन क्यों किया?
उत्तर-
तुर्की का खलीफा जो आंदोलन साम्राज्य का सुल्तान भी था, संपूर्ण इस्लामी जगह का धर्मगुरू था। पैगंबर के बाद सबसे अधिक प्रतिष्ठा उसी की थी। प्रथम विश्वयुद्ध में जर्मनी के साथ तुर्की भी पराजित हुआ। पराजित तुर्की पर विजयी मित्रराष्ट्रों ने कठोर संधि थोप दी (सेब्र की संधि) ऑटोमन साम्राज्य को विखंडित कर दिया गया। खलीफा और ऑटोमन साम्राज्य के साथ किए गए व्यवहार से भारतीय मुसलमानों में आक्रोश व्याप्त हो गया। वे तुर्की के सुल्तान और खलीफा की शक्ति और प्रतिष्ठा की पुनः स्थापना के लिए संघर्ष करने को तैयार हो गए। इसके लिए ही खिलाफत आंदोलन आरंभ किया गया। खिलाफत आंदोलन एक प्रति क्रियावादी आंदोलन के रूप में आरंभ हुआ, लेकिन शीघ्र ही मध्य साम्राज्य विरोधी और राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में परिणत हो गया।

महात्मा गांधी खिलाफत आंदोलन को सत्य और न्याय पर आधारित मानते थे। इसलिए उन्होंने इसे अपना समर्थन दिया। 1919 में वह दिल्ली में आयोजित ऑल इंडिया खिलाफत सम्मेलन के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। उन्होंने सरकार को धमकी दी कि यदि खलीफा के साथ न्याय नहीं किया जाएगा तो वह सरकार के साथ असहयोग करेंगे। गांधीजी ने इस आंदोलन को अपना समर्थन देकर हिन्दू-मुसलमान एकता स्थापित करने और एक बड़ा सशक्त राजविरोधी आंदोलन असहयोग
आंदोलन आरंभ करने का निर्णय लिया। .

प्रश्न 4.
असहयोग आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन के स्वरूप में क्या अंतर था ? महिलाओं की सविनय अवज्ञा आंदोलन में क्या भूमिका थी? . उत्तर-
असहयोग आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन के स्वरूप में काफी विभिन्नता थी। असहयोग आंदोलन में जहाँ सरकार के साथ असहयोग करने की बात थी वहीं सविनय अवज्ञा आंदोलन में न केवल अंग्रेजों का सहयोग न करने के लिए बल्कि औपनिवेशिक कानूनों का भी उल्लंघन करने के लिए आह्वान किया जाने लगा। असहयोग आंदोलन की तुलना में सविनय अवज्ञा आंदोलन व्यापक जनाधार वाला आंदोलन साबित हुआ।

सविनय अवज्ञा आंदोलन में पहली बार स्त्रियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। वे घंटों की चहारदीवारी से बाहर निकलकर गांधीजी की सभाओं में भाग लिया। अनेक स्थानों पर स्त्रियों ने नमक बनाकर नमक-कानून भंग किया। स्त्रियों में विदेशी वस्त्र एवं शराब के दुकानों की पिकेटिंग की। स्त्रियों ने चरखा चलाकरे सूत काते और स्वदेशी को प्रोत्साहन दिया। शहरी क्षेत्रों में ऊँची जाति की महिलाएं आंदोलन में सक्रिय थी तो ग्रामीण इलाकों में संपन्न परिवार की किसान स्त्रियाँ।

प्रश्न 5.
भारतीय राजनीति में साम्यवादियों की भूमिका की विवेचना कीजिए ?
उत्तर-
1917 की महान रूसी क्रांति के बाद पूरे विश्व में साम्यवादी विचारधारा का प्रसार हुआ। 20वीं शताब्दी के आरंभ में भारत भी साम्यवादी विचारधारा के प्रभाव में आया। देश के अनेक भागों में बुद्धिजीवी साम्यवादी दर्शन से प्रभावित लोगों का समूह बनाकर इस विचारधारा को प्रोत्साहन दे रहे थे। विख्यात क्रांतिकारी एम. एन. राय ने 1920 में ताशकंद में हिन्दुस्तान की कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना की। भारत में इसका प्रचार करने के लिए कलकत्ता, बंबई, मद्रास लाहौर में साम्यवादी सभाएँ बननी शुरू हो गई। साम्यवादियों ने श्रमिकों और किसानों की ओर अपना ध्यान दिया। क्रांतिकारी आंदोलनों पर भी इनका प्रभाव पड़ा। अक्टूबर 1920 में बंबई में लाला लाजपत राय की अध्यक्षता में ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) की स्थापना हुई।

इसमें फूट पड़ने के बाद एन. एम. जोशी ने ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन फेडरेशन (AITUF) का गठन किया। इस तरह वामपंथ का प्रसार मजदूर संघों पर बढ़ रहा था। वामपंथ को प्रभाव में इन श्रमिक संगठनों ने मजदूरों की स्थिति में सुधार लाने का प्रयास किया। आगे चलकर 1934 में समाजवादियों के प्रयास से सभी श्रमिक संघों को मिलाकर ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस की स्थापना की गई। साम्यवादियों ने किसानों की समस्याओं की ओर भी ध्यान दिया। लेबर स्वराज पार्टी भारत में पहली किसान मजदूर पार्टी थी लेकिन अखिल भारतीय स्तर पर दिसम्बर, 1928 में अखिल भारतीय मजदूर किसान पार्टी बनी।

साम्यवादियों ने किसान मजदूरों की स्थिति में सुधार लाने के अतिरिक्त साम्राज्यवाद एवं पूंजीवाद का विरोध भी किया। क्रांतिकारी आंदोलनों को भी इनका समर्थन मिला। फलतः असहयोग आंदोलन के बाद सरकार ने साम्यवादियों पर कड़ी कारवाई की। पेशवर षड्यंत्र केस (1922-23), कानपुर षड्यंत्र केस (1924) तथा मेरठ षड्यंत्र केस (1929-33) में मुकदमा चलाकर कुछ साम्यवादियों को दंडित किया गया। साम्यवादी विचारधारा का प्रभाव कांग्रेस के युवा वर्ग पर भी पड़ा। इन लोगों ने कांग्रेस पर अधिक सशक्त नीति अपनाने की मांग की। साथ ही किसानों मजदूरों की समस्याओं को भी उठाने का प्रयास किया। सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान साम्यवादियों ने कांग्रेस का विरोध करना शुरू किया जिसकी अंतिम परिणति सुभाष चन्द्र बोस द्वारा फारवर्ड ब्लॉक की स्थापना के रूप में हुई। द्वितीय विश्वयुद्ध और ‘भारत छोड़ो आंदोलन में भी साम्यवादियों ने अपनी भूमिका का निर्वहन किया।

Bihar Board Class 10 History भारत में राष्ट्रवाद Notes

  •  राष्ट्रवाद का शाब्दिक अर्थ होता है-“राष्ट्रीय चेतना का उदय”
  • राष्ट्रवाद के उदय के कारण –
    (i) धार्मिक कारण
    (ii) सामाजिक कारण
    (iii) आर्थिक कारण
    (iv) राजनीतिक कारण।
  • राष्ट्रीय आन्दोलन से संबंधित प्रभुत्व व्यक्ति पार्टी अथवा आन्दोलन – आन्दोलन

  • राष्ट्र की अवधारणा और राष्ट्रीय चेतना का विकास 19वीं सदी के उत्तरार्द्ध में हुआ। 1885 ई. में भारतीय राष्टोय काँग्रेस की स्थापना ने राष्ट्रवाद की अवधारणा को उत्तेजना प्रदान की।

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