Hsslive.co.in: Kerala Higher Secondary News, Plus Two Notes, Plus One Notes, Plus two study material, Higher Secondary Question Paper.

Saturday, June 18, 2022

BSEB Class 12 Political Science Challenges to and Restoration of Congress System Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 12th Political Science Challenges to and Restoration of Congress System Book Answers

BSEB Class 12 Political Science Challenges to and Restoration of Congress System Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 12th Political Science Challenges to and Restoration of Congress System Book Answers
BSEB Class 12 Political Science Challenges to and Restoration of Congress System Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 12th Political Science Challenges to and Restoration of Congress System Book Answers


BSEB Class 12th Political Science Challenges to and Restoration of Congress System Textbooks Solutions and answers for students are now available in pdf format. Bihar Board Class 12th Political Science Challenges to and Restoration of Congress System Book answers and solutions are one of the most important study materials for any student. The Bihar Board Class 12th Political Science Challenges to and Restoration of Congress System books are published by the Bihar Board Publishers. These Bihar Board Class 12th Political Science Challenges to and Restoration of Congress System textbooks are prepared by a group of expert faculty members. Students can download these BSEB STD 12th Political Science Challenges to and Restoration of Congress System book solutions pdf online from this page.

Bihar Board Class 12th Political Science Challenges to and Restoration of Congress System Textbooks Solutions PDF

Bihar Board STD 12th Political Science Challenges to and Restoration of Congress System Books Solutions with Answers are prepared and published by the Bihar Board Publishers. It is an autonomous organization to advise and assist qualitative improvements in school education. If you are in search of BSEB Class 12th Political Science Challenges to and Restoration of Congress System Books Answers Solutions, then you are in the right place. Here is a complete hub of Bihar Board Class 12th Political Science Challenges to and Restoration of Congress System solutions that are available here for free PDF downloads to help students for their adequate preparation. You can find all the subjects of Bihar Board STD 12th Political Science Challenges to and Restoration of Congress System Textbooks. These Bihar Board Class 12th Political Science Challenges to and Restoration of Congress System Textbooks Solutions English PDF will be helpful for effective education, and a maximum number of questions in exams are chosen from Bihar Board.

Bihar Board Class 12th Political Science Challenges to and Restoration of Congress System Books Solutions

Board BSEB
Materials Textbook Solutions/Guide
Format DOC/PDF
Class 12th
Subject Political Science Challenges to and Restoration of Congress System
Chapters All
Provider Hsslive


How to download Bihar Board Class 12th Political Science Challenges to and Restoration of Congress System Textbook Solutions Answers PDF Online?

  1. Visit our website - Hsslive
  2. Click on the Bihar Board Class 12th Political Science Challenges to and Restoration of Congress System Answers.
  3. Look for your Bihar Board STD 12th Political Science Challenges to and Restoration of Congress System Textbooks PDF.
  4. Now download or read the Bihar Board Class 12th Political Science Challenges to and Restoration of Congress System Textbook Solutions for PDF Free.


BSEB Class 12th Political Science Challenges to and Restoration of Congress System Textbooks Solutions with Answer PDF Download

Find below the list of all BSEB Class 12th Political Science Challenges to and Restoration of Congress System Textbook Solutions for PDF’s for you to download and prepare for the upcoming exams:

Bihar Board Class 12 Political Science कांग्रेसी प्रणाली : चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
1967 के चुनावों के बारे में निम्नलिखित में कौन-कौन से बयान सही है।
(क) कांग्रेस लोकसभा के चुनाव में विजयी रही, लेकिन नई राज्यों में विधान सभा के चुनाव वह हार गई।
(ख) कांग्रेस लोकसभा के चुनाव भी हारी और विधान सभा के भी।
(ग) कांग्रेस को लोकसभा में बहुमत नहीं मिला, लेकिन उसने दूसरी पार्टिया के समर्थन से एक गठबन्धन सरकार बनाई।
(घ) कांग्रेस केन्द्र में सत्तासीन रही और उसका बहुमत भी बढ़ा।
उत्तर:
(क) 1967 के चुनावों में कांग्रेस लोकसभा चुनाव में विजयी रही, लेकिन कई राज्यों में विधान सभा के चुनाव वह हार गई।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित का मेल करें:


उत्तर:
(1) – (घ)
(2) – (क)
(3) – (ख)
(4) – (ग)

प्रश्न 3.
निम्नलिखित नारे से किन नेताओं का सम्बन्ध है।
(क) जय जवान जय किसान
(ख) इंदिरा हटाओ
(ग) गरीबी हटाओं
उत्तर:
(क) लाल बहादुर शास्त्री
(ख) विपक्षी दल
(ग) श्रीमती इंदिरा गाँधी

प्रश्न 4.
1971 के ग्रैंड अलाइंस के बारे में कौन-सा कथन ठीक है?
(क) इसका गठन गैर-कम्युनिस्ट और गैर-कांग्रेसी दलों ने किया था।
(ख) इसके पास एक स्पष्ट राजनीतिक तथा विचारधारात्मक कार्यक्रम था।
(ग) इसका गठन सभी गैर-कांग्रेसी दलों ने एक जुट होकर किया था।
उत्तर:
(क) इसका गठन गैर-कम्युनिस्ट और गैर-कांग्रेसी दलों ने किया था।

प्रश्न 5.
किसी राजनीतिक दल को अपने अंदरुनी मतभेदों का समाधान किस तरह करना चाहिए? यहाँ कुछ समाधान दिए गये हैं। प्रत्येक पर विचार कीजिए और उसके सामने उसके फायदों और घाटों को लिखिए।
(क) पार्टी के अध्यक्ष द्वारा बताए गए मार्ग पर चलना।
(ख) पार्टी के भीतर बहुमत की राय पर अमल करना।
(ग) प्रत्येक मामले पर गुप्त मतदान करना।
(घ) पार्टी के वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं से सलाह करना।
उत्तर:
(क) पार्टी के अध्यक्ष का पद बहुत ही महत्त्वपूर्ण होता है अतः उसकी सलाह अथवा आदेश महत्त्वपूर्ण होता है जिसका पालन करना चाहिए। हालांकि अगर वह गलत हो तो उसको अध्यक्ष से कहा जाना चाहिए कि वह गलत है प्रजातंत्र में इस प्रकार की सलाह देना गलत नहीं है। इससे पार्टी मजबूत ही होगी।

(ख) बहुमत के द्वारा आमतौर से निर्णय लिये जाते हैं। अतः किसी भी राजनीतिक दल में भी किसी विषय पर निर्णय बहुमत के आधार पर लिया जा सकता है।

(ग) कोई भी दल बिना आन्तरिक प्रजातंत्र के मजबूत नहीं हो सकता अतः प्रत्येक मंच पर व प्रत्येक विषय पर खुलकर विचार विमर्श, बहस व आम सहमति बननी चाहिए। और अगर आवश्यक हो तो मतदान भी कराया जा सकता है। गुप्त मतदान ही ज्यादा प्राकृतिक व प्रजातान्त्रीय माना जाता है। क्योंकि गुप्त तदान में ही व्यक्ति स्वतन्त्रता से अपना निर्णय ले सकता है।

(घ) किसी भी मंच पर, संस्था में व राजनीतिक दल में सलाह व मशवरा व परामर्श की प्रक्रिया होनी ही चाहिए। जिससे उसमें सभी सदस्यों में एक प्रकार का जुड़ाव बना रहता है किसी भी राजनीतिक दल के वरिष्ठ व अनुभवी व्यक्तियों को पार्टी में उचित सम्मान व स्थान मिलना ही चाहिए व विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर उनके परामर्श व विचारों को सम्मान अवश्य ही मिलना चाहिए ताकि वे पार्टी में अपनी सकारात्मक भूमिका अदा कर सकें।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से किसे/किन्हें 1967 के चुनावों में कांग्रेस की हार के कारण के रूप में स्वीकार किया जा सकता है? अपने उत्तर की पुष्टि में तर्क दीजिए।
(क) कांग्रेस पार्टी में आश्चर्यजनक नेतृत्व का अभाव
(ख) कांग्रेस पार्टी के भीतर टूट
(ग) क्षेत्रीय, जातीय और सांप्रदायिक समूहों की लाभ बंदी को बढ़ाना
(घ) कांग्रेस पार्टी के अन्दर मतभेद
उत्तर:
(क) उपरोक्त कारणों से 1967 में कांग्रेस की हार का प्रमुख कारण कांग्रेस पार्टी के पास करिश्माई नेतृत्व का अभाव था। क्योंकि 1964 में पंडित जवाहरलाल का देहान्त होने के बाद कांग्रेस का नेतृत्व श्री लाल बहादुर शास्त्री ने संभाला जिनकी 1966 में मृत्यु हो गई। इसके बाद श्रीमति इंदिरा गाँधी ने नेतृत्व संभाला जिनको राजनीतिक व प्रशासनिक अनुभव अधि क नहीं था। वे कांग्रेस के सीनियर नेताओं के गुट पर निर्भर थी। इस कारण से 1967 के चुनाव में कांग्रेस के प्रभाव में कमी आयी।

(घ) अन्य दूसरा कारण कांग्रेस के प्रभुत्व में कमी के कारण कई राज्यों की हारा था। इस चुनाव में गैर-कांग्रेसी दलों ने एक गठबन्धन बना लिया जिससे गैर-कांग्रेसी वोट का विभाजन नहीं हुआ क्योंकि इससे पहले गैर-कांग्रेसी वोट विभाजित हो जाते थे जिसका लाभ कांग्रेस को मिलता था । परन्तु 1967 के चुनाव में ऐसा नहीं हुआ। अतः कांग्रेस की वोट व सीटों में कमी आने का एक यह भी कारण था।

प्रश्न 7.
1970 के दशक में इंदिरा गाँधी की सरकार किन कारणों से लोकप्रिय हुई थी?
उत्तर:
1970 के दशक में श्रीमती इंदिरा गाँधी अत्यन्त लोकप्रिय हो गयी थी। 1969 में कांग्रेस के विभाजन के बाद अपनी पार्टी अर्थात् नई कांग्रेस पर उसका प्रभुत्व था। पुरानी कांग्रेस व नई कांग्रेस के बीच संघर्षो को उसने वैचारिक संघर्ष करा दिया। श्रीमती इंदिरा गाँधी ने अपनी नीतियों में समाजवादी व साम्यवादी आधार देकर किसानों व मजदूरों को अपनी ओर आकर्षित कर लिया। इंदिरा गाँधी का नारा था कि ‘गरीबी हटाओं’ अत्यन्त प्रभावकारी सिद्ध हुआ इंदिरा गाँधी ने अपनी लोकप्रियता को बढ़ाने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की संवृद्धि के लिए अनेक प्रकार के कार्यक्रम प्रारम्भ किये जिनमें से प्रमुख निम्न थे –

  1. प्रिवीपर्स की समाप्ति
  2. बैंकों को राष्ट्रीकरण
  3. ग्रामीण भू-स्वामित्व और शहरी सम्पदा के परसीमन
  4. सामाजिक व आर्थिक विषमताओं व असमानताओं की समाप्ति
  5. भूमिहीन किसानों के लिए सुविधाएँ
  6. दलित व आदिवासियों के लिए विशेष कार्यक्रम
  7. जमीन सुधारों पर जोर
  8. नौजवानों के लिए रोजगार के अनेक अवसर
  9. अल्पसंख्यकों में विश्वास उत्पन्न करने के लिए अनेक उपाय
  10. गरीबी उन्मूलन योजनाओं का प्रारम्भ

प्रश्न 8.
1960 के दशक की कांग्रेस पार्टी के संदर्भ में सिंडीकेट का क्या अर्थ है? सिंडीकेट ने कांग्रेस पार्टी में क्या भूमिका निभाई?
उत्तर:
1960 के दशक में कांग्रेस के भीतर ताकतवर व प्रभावकारी नेताओं के समूह को ‘सिंडीकेट’ के नाम से जाना जाता था। इस संगठन के नेताओं का कांग्रसे पार्टी का नियन्त्रण था। सिंडीकेट के प्रमुख नेता मद्रास के पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके कामराज थे। इस संगठन में कुछ राज्यों के प्रमुख ताकतवर नेता भी थे। जैसे बम्बई से एस. के. पाटिल मैसूर के एस. निजलिंगप्पा, आन्ध्र प्रदेश के एन. संजीवा रेड्डी व पश्चिमी बंगाल के अतुल्य घोष थे।

लाल बहादुर शास्त्री व श्रीमती इंदिरा गाँधी दोनों ही सिंडिकेट के समर्थन से ही प्रधानमंत्री बने। इंदिरा गाँधी व लाल बहादुर शास्त्री के मंत्रिमंडल के निर्माण में भी सिंडिकेट की अहम भूमिका रही। यहाँ तक की सरकार की नीतियों के निर्धारण व क्रियान्वयन में भी सिंडिकेट की अहम भूमिका रही परन्तु इंदिरा गाँधी के शक्तिशाली बनने के बाद यह गुट धीरे-धीरे शक्तिहीन हो गया। 1969 में राष्ट्रपति के चुनाव में इस गुट के उम्मीदवार श्री एन. संजीवा रेड्डी के हारने के बार इंदिरा गाँधी की कांग्रेस ही वास्तविक कांग्रेस के रूप में उभर कर आयी।

यद्यपि सिंडिकेट के नेताओं को प्रारम्भ में यह उम्मीद थी कि इंदिरा गाँधी प्रधानमंत्री के रूप में उनके परामर्श पर ही कार्य करेंगी परन्तु ऐसा केवल थोड़े दिन ही रहा इसके बाद इंदिरा गाँधी ने अपने व्यक्ति व अपनी नीतियों के आधार पर अपना अलग जनाधार बना लिया धीरे-धीरे उसने सिंडीकेट के नेताओं को हाशिए पर ला खड़ा किया यद्यपि प्रारम्भ में सिंडीकेट ने कांग्रेस के प्रत्येक निर्णय में निर्णायक भूमिका निभाई परन्तु बाद में कांग्रेस पर पूर्णतः श्रीमती इंदिरा गाँधी का ही नियंत्रण हो गया। 1960 की कांग्रेस पर सिंडीकेट का नियन्त्रण था । परन्तु 1970 की कांग्रेस पर श्रीमती इंदिरा गाँधी का नियन्त्रण हो गया।

प्रश्न 9.
कांग्रेस पार्टी किन मसलों को लेकर 1969 में टूट की शिकार हुई।
उत्तर:
1967 के आम चुनावों में कांग्रेस का प्रभुत्व कम होता नजर आया क्योंकि 1967 के चुनाव में कांग्रेस के हाथ से कई राज्यों की सरकारें निकल गई अर्थात् कई राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, केरल, उड़ीसा, मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार नहीं बन पायी व केन्द्र में भी कांग्रेस पार्टी केवल साधारण बहुमत से ही सरकार बना पायी। 1967 के चुनाव के बाद कांग्रेस के बीच आन्तरिक स्तर पर सत्ता संघर्ष प्रारम्भ हो गया। कांग्रेस का एक बड़ा प्रभावशाली नेताओं का गुट सरकार पर नियंत्रण करना चाहता था परन्तु इंदिरा गाँधी धीरे-धीरे अपना नियंत्रण सरकार व पार्टी पर बनाने के प्रयास में लगी थी।

कांग्रेस के बीच अर्थात् इंदिरा गाँधी व सिडीकेट के बीच सत्ता संघर्ष की लड़ाई 1969 में राष्ट्रपति के चुनाव में आमने-सामने आ गयी जब कांग्रेस के अधिकारिक उम्मीदवार के खिलाफ राष्ट्रपति पद के लिए श्रीमती इंदिरा गाँधी ने अपने स्वतन्त्र उम्मीदवार के रूप में तत्कालीन उपराष्ट्रपति डॉ. वी.वी गिरी को न केवल खड़ा किया बल्कि उसकी जीत भी निश्चित की जिसके कारण श्रीमती इंदिरा गाँधी को कांग्रेस से निष्कासित कर दिया। जिसके फलस्वरूप 1969 में कांग्रेस में औपचारिक रूप से विभाजन हो गया व धीरे-धीरे पुरानी कांग्रेस क्षीण हो गई व इंदिरा गाँधी की नई कांग्रेस ही वास्तविक कांग्रेस उभर कर आयी। इस विवरण से पता लगता है कि 1969 में कांग्रेस के विभाजन के प्रमुख कारण निम्न विषय थे –

  1. सिंडीकेट का प्रभावकारी रुख
  2. सिंडीकेट व श्रीमती इंदिरा गाँधी के बीच सत्ता संघर्ष
  3. राष्ट्रपति का चुनाव जिसमें श्रीमती इंदिरा गाँधी ने कांग्रेस के अधिकारिक उम्मीदवार के खिलाफ डॉ. वी.वी. गिरी को खड़ा किया।
  4. श्रीमती इंदिरा गाँधी की अपनी स्वतन्त्र रूप से कार्य करने की शैली।
  5. कांग्रेस की आन्तरिक गुटबाजी
  6. इंदिरा गाँधी की बढ़ती हुई लोकप्रियता

प्रश्न 10.
निम्नलिखित अनुच्छेद को पढ़े और इसके आधार पर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दें।
उत्तर:
इंदिरा गाँधी ने कांग्रेस को अत्यन्त केन्द्रीकृत और अलोकतांत्रिक पार्टी संगठन में तब्दील कर दिया। जबकि नेहरू के नेतृत्व में कांग्रेस शुरूआती दशकों में एक संघीय लोकतांत्रिक और विचारधाराओं के समाहार का मंच थी। नयी और लोकलुभावन राजनीति ने राजनीतिक विचारधारा को महज चुनावी विमर्श में बदल दिया। कई नारे उछाले गये लेकिन इसका मतलब यह नहीं था कि उसी के अनुकूल सरकार को नीतियाँ भी बनानी थी-1970 के दशक के शुरूआती सालों में अपनी बड़ी चुनावी जीत के जश्न के बीच कांग्रेस एक राजनीतिक संगठन के तौर पर मर गई।

(क) लेखक के अनुसार नेहरू और इंदिरा गाँधी द्वारा अपनाई गई रणनीतियों में क्या अन्तर था।
(ख) लेखक ने क्यों कहा कि सत्तर के दशक में कांग्रेस मर गई?
(ग) कांग्रेस पार्टी में आये बदलावों का असर दूसरी पार्टियों पर कि तरह पड़ा?

उत्तर:
(क) यद्यपि पंडित जवाहर लाल नेहरू व श्रीमती इंदिरा गाँधी दोनों के ही करिश्माई व्यक्तित्व थे परन्तु दोनों की कार्य शैली भिन्न थी पंडित नेहरू का पार्टी पर व्यापक प्रभाव स्वयं ही था परन्तु दोनों की कार्य शैली भिन्न थी पंडित नेहरू का पार्टी पर व्यापक प्रभाव स्वयं ही था परन्तु इंदिरा गाँधी ने एक राजनीतिक योजना के तहत पार्टी पर अपना प्रभुत्व स्थापित किया। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कांग्रेस में आन्तरिक प्रजातन्त्र स्थापित किया। जबकि इंदिरा गाँधी की कार्य शैली में अधिनायकवाद झलकता था। पंडित जवाहर लाल नेहरू के समय वरिष्ठ कांग्रेसियों को सम्मानजक स्थान प्राप्त था परन्तु श्रीमती इंदिरा गाँधी ने उन्हीं लोगों को हाशिये पर रख दिया जिन वरिष्ठ नेताओं ने इंदिरा गाँधी को प्रधानमंत्री बनाने में मदद की थी।

पंडित जवाहर लाल नेहरू एक अन्तर्राष्ट्रीय व्यापक नजरिया रखने वाले नेता थे जबकि श्रीमती इंदिरा गाँधी की राजनीति सत्ता राजनीति तक ही सीमित थी। पंडित जवाहर लाल नेहरू एक धैर्यवान नेता थे जो सभी की सुनते वे सभी के विचारों की कदर करते थे जबकि श्रीमती इंदिरा गाँधी विरोध सुनना पसंद नहीं करती थी। पंडित जवाहर लाल नेहरू में आम सहमति व समायोजन की क्षमता थी जो श्रीमती इंदिरा गाँधी में नहीं थी।

(ख) लेखक ने सही ही कहा कि सत्तर के दशक में कांग्रेस मर गई क्योंकि सत्तर के दशक में कांग्रेस की न तो वे संस्कृति थी, ना ही वह नेतृत्व था और ना ही वह प्रभाव था जो साठ के दशक में था सत्तर के दशक में श्रीमती इंदिरा गांधी का नेतृत्व था जो साठ के दशक के नेहरू शास्त्री के नेतृत्व से बिल्कुल भिन्न था। नेहरू व शास्त्री के नेतृत्व में प्रजातंत्रीयवाद, धैर्य व खुलापन था परन्तु ये सभी गुण श्रीमती इंदिरा गाँधी में नहीं थे।

इंदिरा गाँधी में अधिनायकवाद व रूढ़ता थी। इसके अलावा सत्तर की कांग्रेस की संस्कृति साठ के दशक की संस्कृति से भिन्न थी। सत्तर के दशक में कांग्रेस में ही गुटबाजी व सत्ता संघर्ष था जबकि साठ के दशक में सहनशीलता व्यापकता व आपसी सूझबूझ, सामजस्य व संवाद की संस्कृति थी। पुरानी कांग्रेस में मूल्यों पर आधारित राजनीति थी। सत्तर के दशक में अवसरवाद व गुटबाजी की राजनीति थी साठ के दशक में राष्ट्रीय आन्दोलन के समय का राष्ट्रवाद व संस्कृति थी लेकिन सत्तर के दशक में राष्ट्रीय आन्दोलन का जज्बा धीरे-धीरे समाप्त हो रहा था। साठ के दशक में सेवा की राजनीति थी लेकिन सत्तर के दशक में वोट व सत्ता की राजनीति थी अतः लेखक ने सही कहा कि सत्तर के दशक में कांग्रेस मर चुकी थी उसकी जगह दूसरी कांग्रेस ने दूसरे रूप में अवतार लिया।

(ग) 1964 में पंडित जवाहर लाल नेहरू के देहान्त व 1966 में लाल बहादुर शास्त्री के देहान्त के बाद कांग्रेस में नेतृत्व का संकट अर्थात् एक रिक्त स्थान पैदा हो गया। 1966 में श्री लाल बहादुर शास्त्री के देहान्त के बाद श्रीमती इंदिरा गाँधी का प्रधानमंत्री तो अवश्य बनाया गया परन्तु कांग्रेस पर सिंडिकेट का नियंत्रण था। सिंडिकेट कांग्रेस के विभिन्न राज्यों के शक्तिशाली व प्रभावशाली लोगों का समूह था जिनके प्रमुख नेता श्री कामराज थे।

धीरे-धीरे श्रीमती इंदिरा गाँधी ने अपना प्रभाव बढ़ाना प्रारम्भ कर दिया व समाजवादी व साम्यवादी विचारधारा के आधार पर किसान व मजदूरों के हित सम्बन्धी नीतियाँ बनाना प्रारम्भ किया। कांग्रेस में भी सिंडिकेट के नेताओं व श्रीमती इंदिरा गाँधी के बीच सत्ता संघर्ष प्रारम्भ हो गया जो 1969 में राष्ट्रपति के चुनाव में सामने आ गया जो बाद में कांग्रेस के विभाजन के रूप में बदल गया। 1967 के चुनाव में ही गैर-कांग्रेसवार की राजनीति का प्रभाव प्रारम्भ हो गया था जिसके परिणाम स्वरूप 1967 के चुनावों में 9 राज्यों में गैर-कांग्रेसी सरकारें बनीं। 1971 में भी कांग्रेस के विरुद्ध मुख्य विरोधी दलों ने एक बड़ा एन्टी कांग्रेस अलाइंस बनाया परन्तु इनको अधिक सफलता नहीं मिली। गैर-कांग्रेसवाद ने ही गठबन्धन की राजनीति को जन्म दिया।

Bihar Board Class 12 Political Science कांग्रेसी प्रणाली : चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना Additional Important Questions and Answers

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
पंडित जवाहर लाल नेहरू की भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में भूमिका समझाइये।
उत्तर:
राष्ट्रीय आन्दोलन के समय पंडित जवाहर लाल नेहरू प्रथम नम्बर के नेता थे जिनके नेतृत्व में सभी को विश्वास था अतः आजादी के बाद पंडित जवाहर लाल नेहरू ही देश के प्रथम प्रधानमंत्री के साथ पंडित जवाहर लाल नेहरू देश के प्रथम विदेश मंत्री भी बने। वे एक करिश्माई व्यक्तित्व के नेता थे। कांग्रेस के संगठन व सरकार पर उनका पूर्ण नियंत्रण था।

भारत के राष्ट्रनिर्माण राज्य निर्माण में उनकी अहम भूमिका थी अतः पंडित जवाहर लाल नेहरू को आधुनिक भारत का निर्माता कहा जाता है। उन्होंने भारत की विभिन्न समस्याओं को निश्चित समय में हल करने के लिए नियोजित अर्थव्यवस्था प्रारम्भ की। पंडित जवाहर लाल नेहरू भारत को औद्योगिक रूप से विकसित राज्य बनाना चाहते थे। भारत की विदेश नीति के निर्माता भी पंडित जवाहर लाल नेहरू ही थे तथा उन्होंने विश्व राजनीति में भी सक्रिय भूमिका अदा की। पंडित नेहरू के बाद अनेक प्रकार की अनिश्चिताएँ उत्पन्न हुई।

प्रश्न 2.
लाल बहादुर शास्त्री के प्रधानमंत्री कार्यकाल में मुख्य चुनौतियाँ कौन-कौन सी थी?
उत्तर:
पंडित जवाहर लाल नेहरू के देहान्त के बाद लाल बहादुर शास्त्री देश के प्रधानमंत्री बने। उनका प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल बहुत छोटा रहा परन्तु इस छोटे काल में उनको कई प्रकार की चुनौतियाँ झेलनी पड़ी जिनमें प्रमुख निम्न थीं:

  1. सिंडीकेट का प्रभाव
  2. 1962 में हुई चीन युद्ध का प्रभाव
  3. भारत पाक युद्ध 1965
  4. अनेक प्राकृतिक विपदाएँ

प्रश्न 3.
लाल बहादुर शास्त्री ने किन क्षेत्रों को प्राथमिकता दी।
उत्तर:
लाल बहादुर शास्त्री ने प्रधानमंत्री बनने के बाद ‘जय जवान जय किसान’ का नारा लगाया। उनका जीवन बहुत ही सीधा साधा था। उनकी जीवन शैली व कार्य शैली से लगता था कि उनकी निम्न प्रमुख प्राथमिकता है –

  1. कृषि विकास व किसान की स्थिति में सुधार।
  2. मिलिट्री तैयारियाँ व जवान की सन्तुष्टि।

प्रश्न 4.
1967 के आम चुनावों में मुख्य मुद्दे क्या थे?
उत्तर:
1967 का आम चुनाव श्रीमती इंदिरा गाँधी के नेतृत्व में हुए । इस चुनाव में निम्न प्रमुख मुद्दे थे:

  1. प्राकृतिक विपदाओं को प्रभाव
  2. गम्भीर खाद्य संकट
  3. विदेशी मुद्रा-भंडार में कमी
  4. औद्योगिक उत्पादन और निर्यात में गिरावट
  5. 1962 व 1965 के युद्धों का प्रभाव
  6. आर्थिक संकट
  7. कीमतों में भारी वृद्धि
  8. कांग्रेस में करिश्माई नेतृत्व का अभाव

प्रश्न 5.
गैर-कांग्रेसवाद से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
1952 से लेकर 1962 तक के चुनावों में कांग्रेस को ही बार-बार सफलता मिलती रही जिससे चुनावी राजनीति पर कांग्रेस का ही प्रभुत्व रहा। गैर-कांग्रेसी वोट विभिन्न राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों में बँट जाती थी जिससे कांग्रेस को ही अधिक सीटें व अधिक वोट प्राप्त होती थी। 1967 के चुनाव में इस स्थिति को रोकने के लिए विरोधी दलों में गठबन्धन बनाये तथा कांग्रेस के खिलाफ अलग-अलग उम्मीदवार खड़ा न करके एक संयुक्त उम्मीदवार को खड़ा किया। गैर-कांग्रेसी विरोधी दलों ने एक प्रकार की भावना का नारा दिया कि इस बार कांग्रेस को हराना है। इस भावना को गैर-कांग्रेसवाद के नाम से जाना जाता है। गैर-कांग्रेसवाद की भावना का चुनाव में प्रभाव दिखायी दिया।

प्रश्न 6.
1967 के चुनाव के परिणाम बताइये।
उत्तर:
1967 के चुनावों में पहली बार कांग्रेस को झटका लगा अर्थात् चुनावी राजनीति में कांग्रेस के प्रभुत्व में गिरावट आयी। कांग्रेस के प्रभुत्व में गिरावट आयी। कांग्रेस को 1967 के चुनावों में 9 राज्यों में हार का मुहँ देखना पड़ा। जहाँ कांग्रेस की सरकार नहीं बन सकी ये राज्य थे हरियाणा, पंजाब, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, मद्रास व केरल। इसके अलावा केन्द्र में भी कांग्रेस के प्रभुत्व में कमी आयी। कांग्रेस की सीटों व वोटों के प्रतिशत में भी गिरावट आयी जिसके फलस्वरूप कांग्रेस को केन्द्र में केवल साधारण बहुत ही प्राप्त हुआ । इस प्रकार 1967 के आम चुनाव में गैर-कांग्रेसवाद के कारण के प्रभुत्व में गिरावट आयी।

प्रश्न 7.
मिले जुले संगठन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
जब कई सारे राजनीतिक दल सरकार बनाने के उद्देश्य के चुनाव में एक साथ इकट्ठा होकर चुनाव लड़ते हैं उसे मिला जुला संगठन या मिली जुली सरकार कहते हैं। 1967 के चुनावों में पहली बार गैर-कांग्रेसी दलों ने साथ चुनाव लड़कर साझी सरकारें कई राज्यों में बनाई इन मिली जुली व्यवस्था का उद्देश्य कांग्रेस को सत्ता से दूर करना था। भारतीय राजनीतिक में मिली जुली सरकारों का दौर 1967 में प्रारम्भ हुआ जो भिन्न-भिन्न समय पर भारतीय राजनीति को प्रभावित करता रहा है। इस समय भी देश में मिली जुली सरकारों का दौर चल रहा है।

प्रश्न 8.
दल बदल से आप क्या समझते हैं? दल बदल के संदर्भ में आया राम गया राम का अर्थ समझाइये।
उत्तर:
भारत राजनीतिक को दलबदल की प्रवृत्ति में सबसे अधिक प्रभावित किया है। जब कोई सदस्य उस राजनीतिक दल को अन्य दल में शामिल होने के लिए छोड़ देता है जिस दल से उसने चुनाव जीता हो, उस स्थिति को दल बदल की स्थिति कहते हैं। 1967 के बाद दल बदल की प्रवृति ने सरकारों को बनाने व सरकारों के गिराने का काम किया है। भारत में इस प्रवृत्ति को रोकने के प्रयास किये गये हैं। इसको रोकने के लिए 1985 में 52वां संविधान किया गया परन्तु यह संशोधन की दलबदल को रोकने में असफल रहा है। दल बदल के सन्दर्भ में आया राम गया राम की कहावत का सम्बन्ध हरियाणा से है जब एक व्यक्ति ने (गया लाल) ने 15 दिनों के अन्दर 3 बार दल बदल किया।

प्रश्न 9.
सिंडिकेट से आप क्या समझते हैं।
उत्तर:
सिंडिकेट नेहरू के बाद कांग्रेस में उभरा उन शक्तिशाली नेताओं का गुट था जो विभिन्न राज्यों से सम्बन्धित थे व जिनका कांग्रेस संगठन पर नियंत्रण था। इन नेताओं में प्रमुख रूप से मद्रास में कामराज, महाराष्ट्र से एस. के. पाटिल, कर्नाटक से निजिलगप्पा व पश्चिमी बंगाल से अरूण घोष थे। नेहरू के देहान्त के बाद लाल बहादुर शास्त्री व श्रीमती इंदिरा गाँधी को प्रधानमंत्री बनाने में सिंडिकेट के नेताओं की प्रमुख भूमिका थी। सिंडीकेट के नेताओं को यह विश्वास था कि श्रीमती इंदिरा गाँधी अनुभवहीन के कारण कमजोर प्रधानमंत्री होगी व उनके परामर्श पर गर्व करेगी।

प्रश्न 10.
‘सिंडीकेट’ गुट के नेताओं की चुनौती से निपटने के लिए क्या रणनीति बनाई?
उत्तर:
सिंडीकेट गुट के नेताओं ने श्रीमती इंदिरा गाँधी को इसलिए प्रधानमंत्री ने बनाया था कि वह कमजोर नेता रहेगी व उनके परामर्श व निर्देश पर निर्भर रहेगी। परन्तु उसने ऐसा नहीं किया व धीरे-धीरे अपनी नीतियों के माध्यम से अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने लगी। लोगों पर व पार्टी पर अपना प्रभाव स्थापित कर लिया। इसके लिए श्रीमती गाँधी ने अपनी नीतियों में समाजवादी व साम्यवादी विचाराधारा को शामिल कर लिया व किसानों, मजदूरों व समाज के कमजोर वर्गों के लिए अनेक कार्यक्रम प्रारम्भ किये। इसके लिए श्रीमती इंदिरा गाँधी ने अपना दस सूत्रीय कार्यक्रम तैयार किया जिनमें प्रिवीपर्स समाप्त करना, बैंकों का राष्ट्रीकरण करना व ग्रामीण व शहरी सम्पत्ति पर पाबन्दी लगाना शामिल था।

प्रश्न 11.
कांग्रेस के 1967 के चुनाव में कमजोर प्रदर्शन के प्रमुख कारण क्या थे?
उत्तर:
1967 के चुनाव में कांग्रेस के प्रभुत्व को झटका लगा । कई राज्यों में यह सरकार नही बना सकी व केन्द्र में भी केवल साधारण बहुत प्राप्त हुआ कई दलों के समर्थन से सरकार बनी। इसी प्रकार से प्रभाव में कमी आने के निम्न कारण थे:

  1. चीन व पाकिस्तान के युद्धों का प्रभाव
  2. मानसुन फेल हो जाने के कारण खाद्यान्न में कमी
  3. आवश्यक चीजों की कीमतों में बढ़ोत्तरी
  4. करिश्माई नेतृत्व का अभाव
  5. कांग्रेस की गुटबाजी
  6. श्रीमती इंदिरा गाँधी की अनुभव हीनता
  7. कई सारे क्षेत्रीय दलों के विकास का कारण

प्रश्न 12.
राष्ट्रपति के 1969 के चुनाव में कांग्रेस का अधिकारिक उम्मीदवार क्यों सफल नहीं हो सका?
उत्तर:
1969 के सष्ट्रपति के चुनाव के समय श्रीमती इंदिरा गाँधी प्रधानमंत्री थीं जबकि कांग्रेस संगठन पर सिंडीकेट गुट का नियंत्रण था। इस गुट ने एन. संजीवा रेड्डी को कांग्रेस का अधिकारिक उम्मीदवार राष्ट्रपति पद के लिए घोषित कर दिया। उधर श्रीमती इंदिरा गाँधी ने तत्कालीन उपराष्ट्रपति डा. वी. वी. गिरी को स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में खड़ा कर दिया तथा प्रचार किया। जिससे कांग्रेस का असली उम्मीदवार चुनाव हार गया व वी. वी गिरी चुनाव जीत गये।

प्रश्न 13.
1969 में कांग्रेस के विभाजन के प्रमुख कारण बताइये।
उत्तर:
1967 के चुनाव से पहले ही कांग्रेस में गुटबाजी प्रारम्भ हो गई थी। कांग्रेस पर कुछ बड़े नेताओं का एक गुट हावी था जिसकी सिंडीकेट के नाम से जाना जाता था। 1967 के चुनावों में कांग्रेस के प्रभुत्व में कमी आ गयी व 1969 में कांग्रेस का औपचारिक रूप से विभाजन हो गया। इसके निम्न प्रमुख कारण थे।

  1. सिंडीकेट जो कि कांग्रेस के कुछ बड़े नेताओं का गुट का अत्याधिक प्रभाव।
  2. कांग्रेस के बीच गुटबाजी। सिंडीकेट ग्रुप में श्रीमती इंदिरा गाँधी में गुटबाजी प्रारम्भ हो गयी थी।
  3. श्रीमती इंदिरा गाँधी का प्रभावशाली व्यक्तित्व।
  4. श्रीमती गाँधी की समाजवादी व साम्यवादी नीतियाँ जो कांग्रेस की पूंजीवादी लांबी के लोगों को पसंद नहीं थी।
  5. राष्ट्रपति के चुनाव में टकराव।

प्रश्न 14.
प्रिवीपर्स के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
श्रीमती इंदिरा गाँधी के अनेक साहसिक कदमों में से प्रिवीपर्य को समाप्त करना भी एक साहसिक कदम था। जिसका उद्देश्य सामजवादी विचाधारा पर समाज का निर्माण करना था। प्रिवीपर्य वह व्यवस्था थी जिसके तहत पूर्व राजा व महाराजाओं को कुछ निजी संपदा रखने का अधिकार दिया गया व साथ-साथ सरकार की ओर से उन्हें कुछ विशेष भत्ते भी दिये जायेंगे इस प्रकार से प्रिवीपर्स उन राजा महाराजाओं को दी गयी विशेष आर्थिक सुविधा थी जिन्होंने स्वेच्छा से अपने राज्यों को भारतीय संघ में विलय करना स्वीकार कर लिया था। पंडित जवाहर लाल नेहरू भी प्रिवीपर्स के खिलाफ थे। परन्तु कई नेताओं की ओर से इसे समाप्त करने का विरोध होता रहा था। श्रीमती इंदिरा गाँधी अपने कार्यक्रम 1971 में इसे समाप्त किया।

प्रश्न 15.
1971 के चुनाव में कांग्रेस की सफलता के कारण बताइये।
उत्तर:
1971 के चुनाव से पहले कांग्रेस की काफी कमजोर स्थिति थी। कांग्रेस गुटबाजी का शिकार थी। कांग्रेस की निर्भरता अन्य दलों पर थी। 1971 के चुनाव में गैर-कांग्रेसवाद के नाम पर विपक्ष दलों ने एक बड़ा गठबन्धन बना रखा था परन्तु फिर कांग्रेस को अप्रत्याशित जीत मिली। इसके निम्न प्रमुख कारण थे –

  1. इंदिरा गांधी का करिश्माई व्यक्तित्व।
  2. इंदिरा गाँधी की किसान गरीब व मजदूर समर्पित नीतियाँ।
  3. गरीबी हटाओं का नारा
  4. नई कांग्रेस की राष्ट्रपति के चुनाव में जीत।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
भारत में द्वितीय प्रधानमंत्री के रूप में लाल बहादुर शास्त्री की भूमिका समझाइये।
उत्तर:
लाल बहादुर शास्त्री नेहरू के देहान्त के समय उनके मंत्रिमंडल में मंत्री थे। सिंडीकेट के निर्णय के अनुसार लाल बहादुर शास्त्री को पंडित जवाहर लाल नेहरू का उत्तराधिकारी चुना गया। श्री लाल बहादुर शास्त्री एक सरल, सीधे व ईमानदार व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। लाल बहादुर शास्त्री की नियुक्ति ने उन चर्चाओं पर विराम लगा दिया जो नेहरू जी के अस्वस्थ्य होने के समय चल रही थी कि पंडित जवाहर लाल नेहरू के बाद भारत का अगला प्रधानमंत्री कौन होगा। ऐसा भी सोचा जा रहा था। पंडित जवाहर लाल नेहरू के बाद भारत में प्रजातंत्र चल पायेगा या नहीं।

लाल बहादुर शास्त्री के प्रधानमंत्री के कार्यकाल में उन्हें अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ा उन्होंने अत्यन्त हिम्मत से सामना किया। भारत चीन के बीच 1962 के युद्ध का भारत की आर्थिक व्यवस्था व भारत की विदेश नीति का बुरा प्रभाव पड़ा मानसून फेल हो जाने से खाद्य पदार्थों का संकट पैदा हो गया क्योंकि सूखा पड़ने से कृषि पैदावार में भारी कमी हुई। 1965 में भारत व पाकिस्तान का युद्ध उनके लिए दूसरी बड़ी चुनौती के रूप में सामने आया। लाल बहादुर शास्त्री ने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा लगाया। उन्होंने इन चुनौतियों से निपटने के लिए अनेक प्रकार के उपाय किये वे देशवासियों से हिम्मत रखने की अपील की। शान्ति के लिए 1966 के ताशकंद समझौते के बाद उनका निधन हो गया।

प्रश्न 2.
लाल बहादुर शास्त्री के बाद श्रीमती इंदिरा गाँधी की प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्ति समझाइये।
उत्तर:
1964 से लेकर 1966 के बीच देश के दो प्रधानमंत्रियों की मृत्यु के कारण देश में नेतृत्व का संकट पैदा हो गया मोरारजी देसाई व श्रीमती इंदिरा गाँधी के बीच प्रधानमंत्री के पद के लिए कड़ा संघर्ष रहा। सिंडीकेट के प्रभाव के कारण श्रीमती इंदिरा गाँधी को प्रधानमंत्री के पद पर नियुक्त किया। वास्तव में यह नियुक्ति गोपनीय मतों के आधार पर हुई। जिसमें श्रीमती इंदिरा गाँधी ने श्री मोरारजी को हराया। श्री मोरारजी देसाई ने इस निर्णय को खुशी से स्वीकार कर लिया। इस प्रकार से सत्ता परिवर्तन शान्ति से हो गया जो एक प्रकार से भारतीय प्रजातंत्र की परिपक्वता की निशानी है।

प्रश्न 3.
चौथे आम चुनाव (1971) के समय की परिस्थितियों को समझाइये।
उत्तर:
भारत की चुनावी राजनीति के इतिहास में 1967 का चौथा आम चुनाव एक ऐसा चुनाव था जिसने भारतीय राजनीति को एक नई दिशा दी। इस चुनाव में पहली बार कांग्रेस के प्रभुत्व को कम करने में सफलता भी प्राप्त की। इस चुनाव में निम्न मुख्य परिस्थितियाँ थी:

  1. इस चुनाव में भारत व चीन के बीच 1962 के युद्ध व भारत पाकिस्तान के बीच 1965 के युद्ध का प्रभाव था।
  2. कांग्रेस में गुटबाजी।
  3. विभिन्न विरोधी दलों का एक होना।
  4. खाद्यान्न संकट।
  5. कांग्रेस में सिंडीकेट का प्रभुत्व।
  6. आर्थिक संकट व कीमतों में वृद्धि
  7. गैर-कांग्रेसवाद का विकास।
  8. कांग्रेस के वोट बैंक में गिरावट।
  9. श्रीमती इंदिरा गाँधी की अनुभव हीनता।
  10. प्राकृतिक विपदाएँ।

प्रश्न 4.
गैर-कांग्रेसवाद का अर्थ व प्रभाव समझाइये।
उत्तर:
गैर-कांग्रेसवाद वह स्थिति थी जो विभिन्न विरोधी राजनीतिक दलों में कांग्रेस के खिलाफ उत्पन्न की तथा इस बात के लिए वातावरण बनाने का प्रयास किया कि कांग्रेस के प्रभुत्व को कम किया जाये। विरोधी दलों ने विभिन्न राज्यों में बढ़ती मँहगाई के खिलाफ हड़ताल, धरने व विरोध प्रदर्शन किये। गैर-कांग्रेसवाद के विकास का उद्देश्य यह भी था कि कांग्रेस के खिलाफ पड़ने वाली वोटों को विभाजित होने से रोका जाये क्योंकि गैर-कांग्रेसी वोट विभिन्न दलों के उम्मीदवारों को इसका फायदा ना मिले। 1967 के आम चुनाव में यही हुआ कि गैर-कांग्रेसी वोट विभिन्न उम्मीदवारों में बंट जाने के बजाय एक ही उम्मीदवार को मिली जिससे कांग्रेस की सीटों व मतों के प्रतिशत में भी गिरावट आ गई। इस चुनाव में कांग्रेस को 9 राज्यों में सरकारें खोनी पड़ी व केन्द्र में भी कांग्रेस को केवल साधारण बहुमत ही प्राप्त हुआ।

प्रश्न 5.
चौथे आम चुनाव (1967) में कांग्रेस के प्रभुत्व में गिरावट के कारण व प्रभाव समझाइये।
उत्तर:
1967 का चौथा चुनाव कांग्रेस के लिए अच्छे वातावरण में नहीं हुआ। देश आर्थिक संकट से गुजर रहा था, आवश्यक चीजों की कीमतें आसमान छू रही थी। इस स्थिति को विरोधी दलों ने सरकार (कांग्रेस) के खिलाफ भुनाया। विरोधी दल इक्टठे हो गये व सारे देश में गैर कांग्रेसवाद का सन्देश फैला रहा था। सभी विरोधी दलों में संगठित होकर कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ा। इस चुनाव के दौरान कांग्रेस एक दल के रूप में कमजोर थी क्योंकि कांग्रेस इस दौरान गुटबाजी के दौर से गुजर रही थी। कांग्रेस पर कब्जे के लिए इंदिरा गाँधी के समर्थकों व सिंडिकेट के समर्थकों में सत्ता संघर्ष चल रहा था।

1967 के चुनाव के परिणाम अत्यन्त ही अप्रत्याशित रहे। 1962 के चुनाव तक प्रत्येक चुनाव में कांग्रेस का प्रभुत्व रहा। 1967 के चुनाव में पहली बार कांग्रेस के प्रभुत्व में गिरावट आयी। इसका प्रभाव बिल्कुल स्पष्ट था। कांग्रेस को 9 राज्यों हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, तमिलाडू, पश्चिमी बंगाल व केरल में सरकारें गंवानी पड़ी। 1967 के चुनाव में कांग्रेस केन्द्र में केवल साधारण बहुमत से ही सरकार बना पायी।

प्रश्न 6.
चौथे आम चुनाव के बाद मिली चुली सरकारों को समझाइये।
उत्तर:
जब दो या दो से अधिक राजनीतिक दल भले ही उनकी विचारधारा अलग-अलग हो शासन करने के लिए एक दूसरे के नजदीक आकर सरकार बनाते हैं तो इसे मिली-जुली सरकार कहते हैं। इस समय भारत में भी मिली जुली सरकारों का दौर चल रहा है इसका प्रारम्भ 1967 के चुनाव के बाद ही प्रारम्भ हो गया था जब कई राज्यों में संयुक्त विधायक दलों की सरकार चल रही थी।

1967 के चुनावों के बाद भारत में मिली जुली सरकारों के उदय के निम्न प्रमुख कारण थे –

  1. विरोधी दलों की गैर कांग्रेसवाद की नीति की सफलता।
  2. विरोधी दलों का मिला जुला गठबन्धन बना। इस प्रकार गठबन्धन की राजनीति का उदय।
  3. कांग्रेस के प्रभुत्व में गिरावट।
  4. क्षेत्रवाद का उदय।
  5. कांग्रेस के खिलाफ चुनावी राजनीति।

प्रश्न 7.
दल बदल का अर्थ व इसका भारतीय राजनीति पर प्रभाव समझाइये।
उत्तर:
जब संसद सदस्य अथवा राज्य विधान सभा का निर्वाचित अथवा मनोनीत सदस्य चुने जाने के बाद उस दल को छोड़ देता है जिसके चुनाव चिन्ह पर उसने चुनाव जीता है व किसी निजी लाभ हेतु अन्य दल में शामिल हो जाता है तो उसे दल बदल कहा जाता है। दल बदल की प्रवृत्ति ने भारतीय राजनीति को अत्याधिक प्रभावित किया भारतीय राजनीति में अपराधीकरण, व्यावसायीकरण व अस्थिरता दल बदल का ही परिणाम है राजीव गाँधी की सरकार ने 1985 में 52 वां संविधान संशोधन करके इस बदल को रोकने का प्रयास किया परन्तु दल बदल घटने की बजाय बढ़ गया है 1967 के बाद से आज तक भी दल बदल भारतीय राजनीति का पर्यायवाची बन गया है।

हरियाणा में दल बदल के सन्दर्भ में आया राम गया राम एक मुहावरा बन गया है। हरियाणा में एक व्यक्ति ने 15 दिन में तीन बार दल बदल का रिकार्ड बनाया। 1979 में हरियाणा में ही चौधरी भजन लाल के पूरे मंत्रिमंडल ने मुख्यमंत्री सहित दल बदल करके पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गये। इस प्रकार पूरी सरकार जनता पार्टी की सरकार से कांग्रेस की सरकार बन गयी। इस प्रकार से दल बदल भारतीय राजनीति में केन्द्र के स्तर पर भी व प्रान्तों के स्तर पर भी मौजूद है।

प्रश्न 8.
सिंडीकेट से आप क्या समझते हैं? कांग्रेस में सिंडीकेट व श्रीमती इंदिरा गाँधी के संघर्ष को समझाइये।
उत्तर:
पंडित जवाहर लाल नेहरू के देहान्त के बाद कांग्रेस में गुटबाजी प्रारम्भ हो गयी। कांग्रेस में कुछ राज्यों के वरिष्ठ नेताओं का एक समूह प्रभावकारी व शक्तिशाली गुट के रूप में उभर कर निकला जिसने कांग्रेस के प्रत्येक निर्णयों को प्रभावित करना प्रारम्भ कर दिया। मद्रास के पूर्व मुख्यमंत्री इस गुट के नेता थे। अन्य प्रमुख नेता एस. निजलिगप्पा एस. के. पाटिल व अरूण घोष व एन. सजीव रेड्डी। लाल बहादुर शास्त्री व श्रीमती इंदिरा गाँधी को प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त करने में इस गुट की अहम भूमिका थी। कांग्रेस में इस गुट को सिंडिकेट के नाम से जाना जाता है। बाद में जैसे-जैसे श्रीमती गाँधी ने अपने निर्णय स्वयं लेने प्रारम्भ किये तो सिंडिकेट के साथ संघर्ष प्रारम्भ हो गया। श्रीमती इंदिरा गाँधी कुछ कल्याणकारी निर्णय स्वयं लिए जिससे संषर्घ और बढ़ गया। 1969 में राष्ट्रपति के चुनाव में दोनों गुट आमने-सामने आ गये व 1969 में ही कांग्रेस में विभाजन हो गया।

प्रश्न 9.
1969 में हुए राष्ट्रपति के चुनाव की परिस्थितियों को समझाइये।
उत्तर:
जाकिर हुसैन की मृत्यु के बाद राष्ट्रपति का चुनाव कराना आवश्यक हो गया। कांग्रेस पहले से ही गुटबाजी का शिकार बनी हुई थी। कांग्रेस में सिंडीकेट गुट इंदिरा गाँधी गुट में संघर्ष चल रहा था। राष्ट्रपति के पद के लिए कांग्रेस की ओर से श्री. संजीवा रेड्डी को अधिकारिक उम्मीदवार बनाया गया परन्तु श्रीमती इंदिरा गाँधी ने अपनी ओर से तत्कालीन उपराष्ट्रपति श्री वी. वी. गिरी को राष्ट्रपति पद के लिए स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में ना केवल खड़ा किया बल्कि कांग्रेस के अधिकारिक उम्मीदवार श्री एन. संजीवा रेड्डी के खिलाफ डा. वी.वी. गिरी की जीत को निश्चित किया।

इस घटना में कांग्रेसी का अन्दरूनी संघर्ष और तेज हो गया। सिंडिकेट ने असली कांग्रेस का दावा करते हुए श्रीमती इंदिरा गाँधी को कांग्रेस विरोधी गतिविधियों के इलजाम में निष्कासित कर दिया परन्तु कांग्रेस पर इंदिरा गाँधी ने पहले ही अपना प्रभाव जमाया हुआ था। इस संघर्ष के परिणाम स्वरूप 1969 में कांग्रेस में औपचारिक रूप से विभाजन हो गया। इंदिरा गाँधी की कांग्रेस ही बाद में वास्तविक कांग्रेस उभर कर आयी जिसको 1971 के चुनाव में भारी सफलता मिली।

प्रश्न 10.
1969 में कांग्रेस के विभाजन के कारण समझाइये।
उत्तर:
राष्ट्रपति के चुनाव में 1969 में ही कांग्रेस के बीच आपसी संघर्ष अत्याधिक गहरा गया। सिंडीकेट के नेताओं ने प्रारम्भ में यह सोचा था कि श्रीमती इंदिरा गाँधी अनुभवहीन है अतः उनके निर्देश पर व परामर्श पर कार्य करेगी परन्तु ऐसा नहीं हुआ। श्रीमती ने अपनी सत्ता का अपने तरीके से प्रयोग किया। समाज के विभिन्न वर्गों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए अनेक कल्याणकारी कार्यक्रम प्रारम्भ किये। श्रीमती इंदिरा गाँधी ने इसे कांग्रेस के बीच वैचारिक संघर्ष का नाम दिया। श्रीमती इंदिरा गाँधी ने अपनी नीतियों में समाजवादी व साम्यवादी विचारधारा को बढ़ावा दिया जिससे कांग्रेस का पूंजीपति वर्ग भी इंदिरा जी से नाराज हुआ। कांग्रेस के बीच का यह संघर्ष अन्ततः कांग्रेस के विभाजन के रूप में बदल गया।

प्रश्न 11.
1971 के चुनाव के संदर्भ में विशाल गठबंधन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
1967 के चुनाव में कांग्रेस की सरकार को केवल साधारण बहुमत ही प्राप्त था व सरकार की निश्चितता व स्थिरता के लिए वह छोटे-मोटे दलों जैस साम्यवादी दलों पर निर्भर थी। 1969 के राष्ट्रपति के चुनाव में कांग्रेस के विभाजन के बाद श्रीमती इंदिरा गाँधी की स्थिति और भी अधिक कमजोर हो गयी थी। इसके अलावा आर्थिक संकट व बढ़ी हुई कीमतों को लेकर विपक्षीय दलों को गिराने के प्रयास किये जा रहे थे। इस स्थिति से छुटकारा पाने के लिए श्रीमती इंदिरा गाँधी ने 1971 में मध्यावधि चुनाव की घोषणा कर दी। इस चुनाव में गैर-कांग्रेसी दलों ने इंदिरा कांग्रेस को हटाने के लिए मिलकर एक बड़ा संगठन बनाया जिसे विशाल गठबन्धन कहा गया। इस संगठन में प्रमुख रूप से एस. एस. पी. भारतीय जनसंघ, स्वतन्त्र पार्टी व भारतीय क्रान्तिदल। इन दलों का पूरे देश में एक ही नारा था कि ‘इन्दिरा हटाओ’ इंदिरा कांग्रेस को गठबन्धन केवल साम्यवादी पार्टी के साथ था।

प्रश्न 12.
1971 के मध्यावति चुनाव का महत्त्व समझाइये।
उत्तर:
1971 के मध्यावधि चुनाव में मुख्य मुकाबला कांग्रेस साम्यवाद दल गठबन्धन व गैर कांग्रेसी दलों के विशाल गठबंधन के बीच था। विशाल गठबन्धन में कई विरोधी दल शामिल थे। इसमें मुख्य रूप एस. एस. पी., भारतीय जन संघ, स्वतन्त्र पार्टी व भारतीय क्रान्ति दल। पुरानी कांग्रेस का अधिक प्रभाव नहीं था। इस चुनाव में मुख्य मुद्दा आर्थिक संकट व मंहगाई का था। इस मुद्दे पर ही गैर-कांग्रेसी दल सरकार को हटाना चाहते थे। उनका प्रमुख नारा ‘इंदिरा हटाओं’ था। 1971 के चुनावों परिणामों ने सभी को चकित कर दिया। इंदिरा कांग्रेस को सबसे अधिक कमजोर स्थिति में समझा जा रहा था क्योंकि सभी विरोधी दलों ने एक मजबूत विशाल संगठन बना लिया था। परन्तु इस चुनाव में सबसे अधिक सफलता इंदिरा कांग्रेस को ही मिली। इसने लोकसभा की 375 सीटें प्राप्त कर व 48.4% वोट प्राप्त किये। इससे यह भी साबित हो गया कि इंदिरा कांग्रेस ही वास्तविक कांग्रेस है।

प्रश्न 13.
1971 की बंगला देश युद्ध के प्रमुख कारण क्या थे?
उत्तर:
1971 के चुनाव के बाद भारत को एक और युद्ध का सामना करना पड़ा। इससे पहले भी भारत को 1962 में चीन के साथ व 1965 में पाकिस्तान के साथ युद्ध करना पड़ा था जिनका भारत की अर्थव्यस्था पर बुरा प्रभाव पड़ा था। इन्हीं के कारण भारत में कीमतें ऊंची हो गयी थी। 1971 में भारत के ऊपर एक प्रकार से युद्ध थोपा गया था क्योंकि भारत ने पाकिस्तान के पूर्वी भाग में वहाँ के नागरिकों के ऊपर हो रहे अत्याचार के खिलाफ मानवीय आधार पर हस्तक्षेप किया। इस युद्ध के अन्य कारण निम्न थे –

  1. पूर्वी पाकिस्तान में राजनीतिक व सैनिक संकट
  2. पूर्वी पाकिस्तान के लोगों पर सैनिक अत्याचार
  3. भारत में पूर्वी पाकिस्तान से लाखों की संख्या में शरणार्थियों का आना।
  4. पूर्वी पाकिस्तान में आन्तरिक कलह
  5. भारत द्वारा पूर्वी पाकिस्तान में मानवीय आधार पर हस्तक्षेप
  6. भारत पर पाकिस्तान का आक्रमण
  7. बड़ी शक्तियों का हस्तक्षेप

प्रश्न 14.
कांग्रेस की पुर्नस्थापना से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
कांग्रेस का इतिहास स्पष्ट रूप से बताता है कि 1952 के प्रथम चुनाव से लेकर 1962 तक कांग्रेस का प्रभुत्व सारे देश पर रहा। केन्द्र में व लगभग सभी राज्यों में कांग्रेस की सरकारें रही। पंडित जवाहर लाल नेहरू के करिश्माई नेतृत्व ने इस प्रभुत्व को बनाये रखा परन्तु नेहरू के बार 1967 में जब चौथा चुनाव हुआ तो कांग्रेस के प्रभुत्व में गिरावट आ गयी। देश के 9 राज्यों में कांग्रेस सरकार नहीं बना पायी। वोट प्रतिशत भी घटा।

कांग्रेस की स्थिति में लगातार गिरावट आयी। 1966 में श्रीमती इंदिरा गाँधी व सिंडिकेट के बड़े नेताओं में सत्ता संघर्ष प्रारम्भ हो गया जो 1969 में हुए राष्ट्रपति के चुनाव में खुलकर सामने आ गया व कांग्रेस 1969 में ही औपचारिक रूप से विभाजित हो गई। इस प्रकार से कांग्रेस में 1967 से लेकर 1969 तक गिरावट का दौर रहा। परन्तु 1971 में हुए मध्यावधि चुनाव ने इंदिरा कांग्रेस ने फिर कांग्रेस को नया जीवन दिया। सभी विराधी दलों के द्वारा कांग्रेस के खिलाफ विशाल गठबन्धन बनाकर चुनाव लड़ने के बावजूद कांग्रेस ने 48.4% वोट प्राप्त करके लोकसभा की 375 सीटें प्राप्त की। इससे यह भी सिद्ध हो गया कि इंदिरा कांग्रेस ही वास्तविक कांग्रेस है। इसी को ही कांग्रेस व्यवस्था की पुर्नस्थाना कहते हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
1967 के चुनाव में कांग्रेस के प्रभुत्व में गिरावट के प्रमुख कारण क्या थे व 1971 के मध्यावधि चुनाव में कांग्रेस व्यवस्था का पुर्नस्थापना कि प्रकार से हुई।
उत्तर:
1967 के चौथे आम चुनाव में कांग्रेस के प्रभुत्व में भारी गिरावट आयी। कांग्रेस को देश के 9 राज्यों में सरकारें गवानी पड़ी । वास्तव में 1964 में पंडित जवाहर लाल नेहरू के देहान्त के बाद ही कांग्रेस के प्रभाव में कमी आ गयी थी। श्री लाल बहादुर शास्त्री का कार्यकाल अत्यन्त छोटा था परन्तु घटनात्मक था क्योंकि उनके ही कार्यकाल में 1965 में भारत व पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था 1962 में पहले ही भारत व चीन के बीच युद्ध हुआ था। इन दोनों युद्धों के कारण भारत में आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया। 1967 के चुनाव के प्रभुत्व में गिरावट प्रमुख कारण निम्न थे –

  1. करिश्माई नेतृत्व का अभाव।
  2. 1962 व 1965 के युद्धों का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव।
  3. सूखा पड़ने से कृषि पैदावार में कमी, जिससे खाद्यान्न का संकट पैदा हो गया।
  4. कांग्रेस में आन्तरिक गुटबाजी का प्रभाव।
  5. सभी विरोधी दलों का कांग्रेस के खिलाफ संगठित होना।
  6. कांग्रेस में सिंडिकेट व श्रीमती इंदिरा गाँधी के बीच सत्ता के बीच सत्ता संघर्ष।
  7. मानसून का फेल होना।
  8. आर्थिक संकट व आवश्यक चीजों की कीमतों में वृद्धि।

1967 से लेकर 1971 तक कांग्रेस का समय अच्छा नहीं रहा। इस बीच में श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने इस अनिश्चितता व अस्थिरता को दूर करने के लिए 1971 में मध्यावधि चुनाव की घोषणा करी दी। 1971 के इस चुनाव में सभी गैर-कांग्रेसी दलों ने कांग्रेस के खिलाफ विशेषकर श्रीमती इंदिरा गाँधी के खिलाफ एक विशाल गठबन्धन बना लिया जिसका उद्देश्य इंदिरा कांग्रेस को सत्ता से हटाना था। परन्तु चुनावों के परिणामों ने विराधी दलों की आशाओं पर पानी फेर दिया। इस चुनाव में इंदिरा कांग्रेस को 48.4% वोट मिली। जिसके आधार पर कांग्रेस की लोकसभा की 375 सीटें मिली। इस प्रकार से कांग्रेस को फिर प्रभुत्व प्राप्त हो गया। जिसे कांग्रेस का पुर्नस्थापना कहा गया।

प्रश्न 2.
निम्न पर टिप्पणियाँ लिखिए।

  1. प्रिवीपर्स
  2. मिली-जुली सरकारें
  3. दल बदल
  4. सिंडिकेट।

उत्तर:
1. प्रिवीपर्स:
देश की आजादी के बाद देशी रियासतों को भारतीय संघ में विलय की व्यवस्था के उद्देश्य से विभिन्न स्तर पर प्रयास किये गये। सरकार की ओर से तत्कालीन शासक परिवारों को निश्चित मात्रा में निजी संपदा रखने का अधिकार दिया गया व उन्हें कुछ विशेष भत्ते भी देने की व्यवस्था भी की गयी। इस प्रकार की निजी संपदा रखने व भत्तों को प्रिवीपर्स कहा गया। प्रिवीपर्स की राशि इस बात निर्भर करेगी। जिस राज्य का विलय है उसका विस्तार, राजस्व और क्षमता कितनी है। 1970 में श्रीमती इंदिरा गाँधी ने अपनी समाजवादी नीतियों के संदर्भ में समाप्त कर दिया। इंदिरा गाँधी के इस कदम की अनेक क्षेत्रों में प्रशंसा की गई व कुछ क्षेत्रों में आलोचना भी हुई।

2. मिली-जुली सरकारें:
जब कई राजनीतिक दल मिलकर सरकार बनाते हैं उन्हें मिली जुली सरकारें कहते हैं। कांग्रेस के प्रभुत्व के समय तक केन्द्र व राज्यों में कांग्रेस की ही सरकारें रहीं। परन्तु 1967 में प्रथम बार अनेक राज्यों में गैर-कांग्रेसी दलों ने कांग्रेस के खिलाफ संयुक्त रूप से चुनाव लड़कर मिल-जुली सरकार बनी। इसके बाद मिली-जुली सरकारों का दौर भारत में चल रहा है। आज भी भारत में केन्द्र तथा प्रान्तों में मिली जुली सरकारों चल रही हैं।

3. दल बदल:
जब कोई संसद सदस्य व राज्य विधान सभा का सदस्य अपने उस राजनीतिक दल से त्यागपत्र देकर जिसके टिकट व चुनाव चिन्ह पर उसने चुनाव जीता है, किसी अन्य राजनीतिक दल में शामिल हो जाता है तो उसे दल बदल कहते हैं। दल बदल की प्रवृत्ति ने भारतीय राजनीति को बहुत अधिक प्रभावित किया है।

4. सिंडीकेट:
सिंडिकेट कांग्रेस के 1960 के दशक के उन शक्तिशाली व प्रभावकारी नेताओं का गुट था जिसने अपने समय में कांग्रेस के प्रत्येक निर्णय को प्रभावित किया इस गुट के प्रमुख नेता कामराज, एन, संजीवा रेड्डी, एस. के. पाटिल व निजलगप्पा थे। सिंडिकेट के नेताओं में व श्रीमती इंदिरा गाँधी के बीच संघर्ष से कांग्रेस में 1969 में विभाजन हो गया।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

I. निम्नलिखित विकल्पों में सही का चुनाव कीजिए

प्रश्न 1.
पंडित जवाहरलाल नेहरू का देहान्त किस वर्ष में हुआ?
(अ) 1964
(ब) 1963
(स) 1965
(द) 1966
उत्तर:
(अ) 1964

प्रश्न 2.
प्रिविपर्स का सम्बन्ध किससे था?
(अ) जमींदारों से
(ब) पूंजीपत्तियों से
(स) देशी रियासतों से
(द) किसानों से
उत्तर:
(स) देशी रियासतों से

प्रश्न 3.
सिंडिकेट निम्न में से किन पार्टी के नेताओं का गुट था।
(अ) साम्यवादी दल
(ब) समाजवादी पार्टी
(स) कांग्रेस
(द) जनसंघ
उत्तर:
(स) कांग्रेस

प्रश्न 4.
गरीबी हटाओं का नारा किसने लगाया था।
(अ) पंडित जवाहर लाल नेहरू
(ब) श्रीमती इंदिरा गाँधी
(स) साम्यवादी दल
(द) लाल बहादुर शास्त्री
उत्तर:
(ब) श्रीमती इंदिरा गाँधी

प्रश्न 5.
‘गरीबी हटाओ’ के नारे ने किस चुनाव को अपना मत्कारी प्रभाव दिखया?
(अ) 1971 का मध्यावधि चुनाव
(ब) 1967 का चौथा चुनाव
(स) 1957 का दूसरा चुनाव
(द) 1991 में
उत्तर:
(अ) 1971 का मध्यावधि चुनाव

प्रश्न 6.
कांग्रेस पार्टी को भंग कर लोक सेवक संघ गठित करने का सुझाव किसने दिया था।
(अ) जय प्रकाश नारायण
(ब) एम. एन. राय
(स) महात्मा गाँधी
(द) अरविंद
उत्तर:
(स) महात्मा गाँधी

प्रश्न 7.
1967 में कांग्रेस व्यवस्था को चुनौती मिली, परिणामस्वरूप निम्न बातों में क्या असंगत है।
(अ) कई राज्यों में गैर कांग्रेसी सरकारें
(ब) कांग्रेस में अन्तर्कलह
(स) 1969 में राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी की हार
(द) सर्वोच्च न्यायालय की शक्ति में ह्रास
उत्तर:
(द) सर्वोच्च न्यायालय की शक्ति में ह्रास

प्रश्न 8.
1967 में स्थापित राज्यों की गैर कांग्रेसी सरकारों ने किस संवैधानिक पद को समाप्त किए जाने की मांग की?
(अ) राज्यपाल
(ब) उपराष्ट्रपति
(स) वित्त आयोग के अध्यक्ष
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) राज्यपाल

प्रश्न 9.
ताशकंद समझौता कब और किसके बीच किया गया?
(अ) 10 जनवरी 1966, भारत-पाक
(ब) 11 जनवरी 1966, भारत-पाक
(स) 20 जनवरी 1970, भारत-चीन
(द) 1965 भारत-पाक
उत्तर:
(अ) 10 जनवरी 1966, भारत-पाक

प्रश्न 10.
जवाहर लाल नेहरू का देहांत कब हुआ?
(अ) 27 मई, 1964
(ब) 30 मई 1957
(स) 27 मई, 1960
(द) 28 मई, 1963
उत्तर:
(अ) 27 मई, 1964

प्रश्न 11.
लाल बहादुर शास्त्री का निधन कब हुआ?
(अ) 10/11 जनवरी, 1966
(ब) जून, 1996
(स) 4 जनवरी, 1996
(द) 5 मार्च, 1963
उत्तर:
(अ) 10/11 जनवरी, 1966

प्रश्न 12.
कांग्रेस पार्टी का केन्द्र में प्रभुत्व कब तक रहा?
(अ) 1947-1977 तक
(ब) 1947-1970 तक
(स) 1947-1960 तक
(द) 1947-1990 तक
उत्तर:
(अ) 1947-1977 तक

प्रश्न 13.
भारत में प्रतिबद्ध नौकरशाही तथा प्रतिबद्ध न्यायपालिका की धारणा को किसने जन्म दिया?
(अ) इंदिरा गाँधी
(ब) लाल बहादुर शास्त्री
(स) मोरारजी देसाई
(द) जवाहरलाल नेहरू
उत्तर:
(अ) जवाहरलाल नेहरू

प्रश्न 14.
किसने का है सम्प्रदायवाद फासीवाद का रूप है?
(अ) महात्मा गाँधी
(ब) जवाहरलाल नेहरू
(स) सरदार पटेल
(द) बी. आर. अम्बेदकर
उत्तर:
(ब) जवाहरलाल नेहरू

II. मिलान वाले प्रश्न एवं उनके उत्तर


उत्तर:
(1) – (स)
(2) – (य)
(3) – (ब)
(4) – (द)
(5) – (अ)


BSEB Textbook Solutions PDF for Class 12th


Bihar Board Class 12th Political Science Challenges to and Restoration of Congress System Textbooks for Exam Preparations

Bihar Board Class 12th Political Science Challenges to and Restoration of Congress System Textbook Solutions can be of great help in your Bihar Board Class 12th Political Science Challenges to and Restoration of Congress System exam preparation. The BSEB STD 12th Political Science Challenges to and Restoration of Congress System Textbooks study material, used with the English medium textbooks, can help you complete the entire Class 12th Political Science Challenges to and Restoration of Congress System Books State Board syllabus with maximum efficiency.

FAQs Regarding Bihar Board Class 12th Political Science Challenges to and Restoration of Congress System Textbook Solutions


How to get BSEB Class 12th Political Science Challenges to and Restoration of Congress System Textbook Answers??

Students can download the Bihar Board Class 12 Political Science Challenges to and Restoration of Congress System Answers PDF from the links provided above.

Can we get a Bihar Board Book PDF for all Classes?

Yes you can get Bihar Board Text Book PDF for all classes using the links provided in the above article.

Important Terms

Bihar Board Class 12th Political Science Challenges to and Restoration of Congress System, BSEB Class 12th Political Science Challenges to and Restoration of Congress System Textbooks, Bihar Board Class 12th Political Science Challenges to and Restoration of Congress System, Bihar Board Class 12th Political Science Challenges to and Restoration of Congress System Textbook solutions, BSEB Class 12th Political Science Challenges to and Restoration of Congress System Textbooks Solutions, Bihar Board STD 12th Political Science Challenges to and Restoration of Congress System, BSEB STD 12th Political Science Challenges to and Restoration of Congress System Textbooks, Bihar Board STD 12th Political Science Challenges to and Restoration of Congress System, Bihar Board STD 12th Political Science Challenges to and Restoration of Congress System Textbook solutions, BSEB STD 12th Political Science Challenges to and Restoration of Congress System Textbooks Solutions,
Share:

0 Comments:

Post a Comment

Plus Two (+2) Previous Year Question Papers

Plus Two (+2) Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Physics Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Chemistry Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Maths Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Zoology Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Botany Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Computer Science Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Computer Application Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Commerce Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Humanities Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Economics Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) History Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Islamic History Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Psychology Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Sociology Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Political Science Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Geography Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Accountancy Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Business Studies Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) English Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Hindi Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Arabic Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Kaithang Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Malayalam Previous Year Chapter Wise Question Papers

Plus One (+1) Previous Year Question Papers

Plus One (+1) Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Physics Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Chemistry Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Maths Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Zoology Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Botany Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Computer Science Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Computer Application Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Commerce Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Humanities Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Economics Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) History Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Islamic History Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Psychology Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Sociology Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Political Science Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Geography Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Accountancy Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Business Studies Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) English Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Hindi Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Arabic Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Kaithang Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Malayalam Previous Year Chapter Wise Question Papers
Copyright © HSSlive: Plus One & Plus Two Notes & Solutions for Kerala State Board About | Contact | Privacy Policy